चॉकलेट की चाह ने 'रश्मि' को बना दिया 'रेज चॉकलेटियर'...
"आखिरकार यह चॉकलेट है और चॉकलेट के एक अच्छे से टुकड़े को कौन ‘ना’ कहेगा"
चॉकलेट बनाने का शौक, पिछले सात सालों में एक युवा उद्यमी रश्मि वासवानी के लिए एक सफल व्यापारिक मॉडल है. दिल्ली के आईएमआई से परा-स्नातक की पढाई करते समय रश्मि छुट्टियों में जब अपने घर बेंगलुरु आती थी तो वो चॉकलेट बनाने में लग जाती थी. उनका इस से गहरा लगाव था, उनके पिता की मुस्कराहट ने उन्हें इस काम के लिए और अधिक प्रेरित किया.
पढाई खत्म होते ही उन्हें 9 से 5 बजे वाली नौकरी एक वित्तीय परामर्श कंपनी में मिल गयी, लेकिन वो इस नौकरी से 3 महीने में ही उब गईं और नौकरी के बजाय उन्होंने बेंगलुरु लौटकर अपने चॉकलेट बनाने के काम में ही ध्यान केंद्रित करने का निश्चय किया. दीवाली के आसपास उन्होंने एक प्रदर्शनी में अपना स्टाल लगाया और लोगों ने इनके चॉकलेट को बहुत पसंद किया. "हमने एक कंपनी में अपना एक डब्बा भेजा और उन्होंने इसे पसंद किया और हमें हमारा पहला कार्पोरेट आर्डर २०० डब्बों के लिए मिला." 33 वर्षीय उद्यमी और "रेज चॉकलेटियर" की प्रबंधक निदेशक रश्मि याद करते हुए बताती हैं.
उत्सव के मौकों के दौरान मिठाई या मेवे उपहार में देने से थक गए कार्पोरेट्स के लिए चॉकलेट भेंट में देना अब वास्तव में एक सनक बन चुकी है."अब वो आम तौर पर लंबे समय तक ख़राब नहीं होने वाले अद्वितीय और अनुकूलित उपहार के तलाश में रहते हैं." रश्मि कहती हैं. नियमित चॉकलेट बार और विदेशी चॉकलेट के बीच इस विशाल अंतर को देखते हुए उन्होंने फैंसी चॉकलेट बनाने का फ़ैसला किया.
इस काम में रश्मि की बहन ने भी काफी मदद की।
"हमने इसको इतना बड़ा बनाने का कभी सपना भी नहीं देखा था. आज हम ने इस खंड के खुदरा क्षेत्र में भी प्रवेश कर लिया है" रश्मि कहती हैं. रश्मि इस सत्य से हमेशा प्रेरित रहती थी कि सभी बच्चों को पसंद आने वाली बहुत ही बुनियादी चीज वंचित बच्चों को शायद ही कभी मिलती और वो है -चॉकलेट."
आज, जब भी कोई किसी अनाथालय या बाल आश्रय का उल्लेख करता है तो रश्मि और उनकी टीम वहाँ जाकर वहां के बच्चों को चॉकलेट देना सुनिश्चित करती हैं.
उनके चॉकलेट का अनुकूलन ही उनकी सबसे बड़ी खासियत है,ये आनन्द संदेश के साथ होते हैं और ग्रीटिंग कार्ड की तरह दिखते हैं. "कई बार लोग गलती से इन्हें ग्रीटिंग कार्ड भी समझ लेते हैं और आवरण के अंदर एक चॉकलेट बार देख कर हैरान हो जाते हैं." एक खुश उद्यमी रश्मि का कहना है.
आज "रेज चॉकलेटिएर" का बेंगलुरु के एक प्रमुख स्थान रेजिडेंसी रोड पर अपना बुटीक है. सभी कुछ यहाँ ही ताजा बनाया जाता है. अब कंपनी में १२ सदस्यी टीम हैं.
"इससे पहले, मैं केवल चॉकलेट बना कर ही खुश हुआ करती थी, लेकिन अब मैं प्रबंधकों और मेरी टीम के लिए काम आवंटित करती हूँ और यह एक बड़ी जिम्मेदारी है." रश्मि कहती हैं. तब से अब तक यह परिवार की ही एक साझेदारी फर्म बन चुकी है जिसमे उनके माता-पिता और वो दोनों बहने हिस्सेदार हैं.
"मैं ने जब शुरुआत की थी तब मेरी कोई भी महत्वाकांक्षा नहीं थी, जबकि अब यह एक चुनौती भरा व्यापार मॉडल है." रश्मि स्वीकार करती हैं. वो जब भी बाजार में कोई नया विचार लेकर आते हैं तो उसकी नक़ल हो जाने की पूरी सम्भावना होती है. वह मानती हैं कि शुरू में उन्होंने वास्तव में धीरे-धीरे चीजों को लिया और फिर वर्षों में इसमें स्वाभाविक रूप से विस्तार होता गया.
"इससे पहले, चॉकलेट के एक टुकड़े से उसके हर मोल्ड तक सब कुछ मेरे नियंत्रण में था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब हर एक व्यक्ति की अलग अलग जिम्मेदारी है और मुझे लगता है कि इसने मेरे लिए एक बड़ा अंतर पैदा कर दिया है." वो कहती हैं. कर्नाटक राज्य पर्यटन विभाग के साथ मिलकर, वे अब यादगार वस्तुओं (souvenir items) के रूप में भी चॉकलेट भी बनाना शुरू कर दिया है. लोकप्रिय स्मारकों और कर्नाटक के गर्व के स्थानों को चॉकलेट के रैपर पर छापा जा रहा है और उन्हें अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर बेचा जा रहा है. यह पर्यटन को बढ़ावा देने के का एक अभिनव तरीका है.
बहुत हाल ही में अपने स्टोर खोलने के बाद, रश्मि तुरंत तो विस्तार नहीं करना चाहती है, लेकिन वो इसके लिए योजना बना रही हैं. वो बताती हैं. " एक बच्चा जो हमारे प्रतिष्ठान में आकर चॉकलेट से अपना मुँह गन्दा कर लेता है वह पल हमारे लिए अद्भुत होता है. साथ ही साथ अब हमारा व्यवसाय काफी बड़ा हो गया है और समय पर वितरण का हमारे ऊपर दबाव है " रश्मि कहती हैं. वह कहती हैं कि उद्यमी की भूमिका में वह आखिरकार अपने प्रबंधन की डिग्री का अच्छा इस्तेमाल कर रही है.
विभिन्न स्थानों की यात्रा रश्मि की सबसे बड़ी प्रेरणा है. इसकी गुंजाइश को देखते हुए और लोगों की नज़रों में "रेज चॉकलेटिएर" के कर्ता-धर्ता के रूप में अपनी पहचान बनते देखना उन्हें रोमांचित करता है.
"आखिरकार यह चॉकलेट है और चॉकलेट के एक अच्छे से टुकड़े को कौन ‘न’ कहेगा" रश्मि चुटकी लेती हैं.
उद्यमी बनने का सपना देखने वाले सभी लोगों के लिए उनकी सलाह है कि छोटी शुरुआत करें और सावधानी से चलें. उत्पाद की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करें. बाजार का परीक्षण करते हुए धीरे धीरे आगे बढ़े. अगर आपके पास कोई विचार हो तो उस पर भरोसा करें. याद रखें, अगर हिम्मत नहीं करेंगें तो फिर लक्ष्य हासिल नहीं कर सकेंगें."