चोट की परवाह न करते हुए इस एयरहोस्टेस ने बचाई 10 माह के बच्चे की जान, एयरवेज़ ने किया सम्मानित
हाल ही में मुंबई एयरपोर्ट पर जेट एयरवेज की एयरहोस्टेस मितांशी ने एक मासूम बच्चे को गंभीर चोट लगने से बचा लिया। इस दौरान मितांशी जमीन पर मुंह के बल गिर गईं, लेकिन उन्होंने किसी तरह बच्चे को गिरने से बचा लिया।
मितांशी जून 2016 से जेट एयरवेज साथ केबिन क्रू के तौर पर काम कर रही हैं। वह बोइंग 737 विमानों के लिए ट्रेन्ड हैं। कंपनी की ओर से बताया गया कि मितांशी काफी हंसमुख स्वभाव की हैं और जूडो में भी माहिर हैं।
एयर होस्टेस का काम कितना चुनौतीपूर्ण और जिम्मेदारी भरा होता है यह आपने शायद सोनम कपूर अभिनीत फिल्म 'नीरजा' में देखा ही होगा। एयर होस्टेस को फ्लाइट के भीतर किसी की स्थिति को संभालने की ट्रेनिंग दी जाती है। लेकिन हाल ही में मुंबई एयरपोर्ट पर जेट एयरवेज की एयरहोस्टेस मितांशी ने एक मासूम बच्चे को गंभीर चोट लगने से बचा लिया। इस दौरान मितांशी जमीन पर मुंह के बल गिर गईं, लेकिन उन्होंने किसी तरह बच्चे को गिरने से बचा लिया। जेट एयरवेज ने अपने ट्विटर हैंडल पर मितांशी की फोटो शेयर की है जिसमें उनकी बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया।
घटना उस वक्त की है जब शागुफ्ता शेख अपने छोटे से बच्चे के साथ मुंबई एयरपोर्ट से अहमदाबाद के लिए फ्लाइट लेने वाली थी। वह अपने बच्चे को गोद में लेकर फ्लाइट में बोर्डिंग के लिए जा रही थीं। लेकिन उसी दौरान उनका बच्चा गोदी से एकदम फिसल गया। उस बच्चे पर एयर होस्टेस मितांशी की नजर थी। उन्होंने झट से लपककर बच्चे को पकड़ लिया। शागुफ्ता ने ट्विटर पर मितांशी की तारीफ करते हुए लिखा, 'सौभाग्य से एक लड़की (जेट एयर होस्टेस मितांशी वैद्य) ने मेरे छोटे से 10 माह के बच्चे को बचा लिया। बच्चे को बचाने के क्रम में मितांशी के सर और चेहरे पर चोट भी आई।'
शागुफ्ता एक प्राइवेट कंपनी में एमडी हैं। उन्होंने जेट एयरवेज को पत्र लिखकर मितांशी की तारीफ की और शुक्रिया अदा किया। जेट एयरवेज ने इस घटना की पुष्टि की और मितांशी को पुरस्कृत भी किया। जेट की तरफ से कहा गया कि मितांशी ने चोट और अपने चेहरे पर आने वाले चोट की परवाह नहीं की। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। जेट के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमें मितांशी पर बेहद गर्व है। वह जून 2016 से हमारे साथ केबिन क्रू के तौर पर काम कर रही हैं। वह बोइंग 737 विमानों के लिए ट्रेन्ड हैं।' कंपनी की ओर से बताया गया कि मितांशी काफी हंसमुख स्वभाव की हैं और जूडो में भी माहिर हैं।
शागुफ्ता शेख ने अपने पत्र में लिखा, 'मैंने अपने बेटे को बचाने वाली एयरहोस्टेस का नंबर मांगा, लेकिन उस खूबसूरत और मासूम लड़की ने मुस्कुराकर इंकार कर दिया और कहा कि यह कंपनी की नीति के खिलाफ है। वह मेरे लिए किसी परी से कम नहीं है। शादी के 14 साल बीत जाने के बाद हमें बच्चे की खुशी मिली और उस एयरहोस्टेस ने बच्चे को बचाया। मैं उसका शुक्रिया अदा करना चाहती थी, लेकिन उसने सिर्फ इतना कहा कि दुआओं में याद रखना।' मितांशी के चेहरे पर चोट लग गई थी, लेकिन उन्होंने प्राथमिक उपचार के बाद फ्लाइट की जिम्मेदारी निभाने का फैसला लिया।
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