मिलिए उस भारतीय लड़की से जिसने दुनिया में सबसे कम उम्र में उड़ाया बोइंग-777 विमान
खराब अंग्रेजी बोलने पर दोस्त उड़ाते थे मजाक, अपनी मेहनत से दिया करारा जवाब
ऐसी कहानियां जो बताती हैं कि अगर हमारी चाहतें सच्ची हों तो जिंदगी में बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। ऐसी ही एक कहानी है एनी दिव्या की। आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा की रहने वाली एनी बोइंग-777 विमान उड़ाने वाली दुनिया की पहली महिला कमांडर हैं।
12वीं पास करने के बाद 17 साल की उम्र में ही एनी ने परीक्षा पास की और उत्तर प्रदेश के रायबरेली में स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड्डयन अकादमी में प्रवेश मिल गया। एनी के माता-पिता के पास फीस भरने के पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने एनी की पढ़ाई के लिए लोन लिया।
ऐसी न जाने कितनी कहानियां हैं जो हमेशा हमें ये अहसास दिलाती रहती हैं कि जिंदगी के किसी भी मोड़ पर हार नहीं माननी चाहिए। ऐसी कहानियां जो बताती हैं कि अगर हमारी चाहतें सच्ची हों तो जिंदगी में बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। ऐसी ही एक कहानी है एनी दिव्या की। आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा की रहने वाली एनी बोइंग-777 विमान उड़ाने वाली दुनिया की पहली महिला कमांडर हैं। एनी हमेशा से पायलट बनना चाहती थीं, लेकिन उनकी राह कभी आसान नहीं रही। हम आपको बताने जा रहे हैं कि उन्होंने कैसे इस मुश्किल को आसान किया।
एनी के पिता आर्मी में हैं। जब वे पठानकोट में पोस्टेड थे तो वहीं एनी का जन्म हुआ। बाद में उन्होंने वीआरएस ले लिया और विजयवाड़ा में बस गए। एनी की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई विजयवाड़ा में ही हुई। वह बचपन से ही पायलट बनने के सपने देखती थीं। लेकिन जब वह अपने दोस्तों से यह बात बताती थीं तो सब उनका मजाक उड़ाते थे। उस वक्त हर कोई डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहता था, लेकिन पायलट बनने के बारे में बहुत कम ही लोग सोचते थे। एनी खुशनसीब थीं कि उनके पैरेंट्स ने उन पर कोई बंदिश नहीं लगाई। उन्होंने हमेशा से एनी का सपोर्ट किया।
एनी की मां हमेशा उन्हें प्रोत्साहित करती रहीं। लेकिन उनके रिश्तेदार और फैमिली फ्रेंड्स हमेशा कहते रहे कि यह पेशा ठीक नहीं है। एक और बात थी कि लोग किसी पायलट को लड़की के लिए सही नहीं मानते थे। एनी बताती हैं, 'मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से आती हूं। मुझे भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। इसके अलावा विजयवाड़ा में रहने की वजह से मुझे अंग्रेजी बोलने में दिक्कत होती थी। मैं अंग्रेजी लिख और पढ़ लेती थी लेकिन बोलने की आदत नहीं थी।' वह कहती हैं कि अच्छी अंग्रेजी न बोलने की वजह से उनका मजाक उड़ाया जाता था।
12वीं पास करने के बाद 17 साल की उम्र में ही एनी ने परीक्षा पास की और उत्तर प्रदेश के रायबरेली में स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड्डयन अकादमी में प्रवेश मिल गया। एनी के माता-पिता के पास फीस भरने के पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने एनी की पढ़ाई के लिए लोन लिया। अंग्रेजी की वजह से ही एनी ने एक बार वापस जाने के बारे में भी सोच लिया। लेकिन पैरेंट्स ने उनका साफी सपोर्ट किया और एनी ने काफी मेहनत की, जिसकी बदौलत उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली।
एनी ने 19 साल की उम्र में ही अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ली। ट्रेनिंग के तुरंत बाद उन्हें एयर इंडिया में नौकरी मिल गयी। इसके बाद पहली बार उन्हें विदेश जाने का मौका मिला। एय़र इंडिया ने उन्हें ट्रेनिंग के लिए स्पेन भेजा। वहां से वापस आने के बाद उन्हें बोइंग-737 उड़ाने का अवसर दिया गया। इसके बाद एनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 21 साल की उम्र में एनी को आगे की ट्रेनिंग के लिए लंदन भेजा गया। यह पहला मौका था जब उन्होंने बोइंग-777 विमान उड़ाया। इसके बाद तो एनी की जिंदगी बदल गई। वह कहती हैं, 'अभी तक की मेरी जिंदगी शानदार रही है। मुझे कई देशों में जाने का मौका मिला। इस सफर ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है।'
पायलट के पेशे में पुरुषों का दबदबा है। दुनिया भर में सिर्फ 5 प्रतिशत ही महिला पायलट हैं। लेकिन भारत में यह आंकड़ा 15 प्रतिशत का है। इस बात पर एनी को गर्व भी है। आज एनी एयर इंडिया में सीनियर पायलट के पद पर हैं। वह कहती हैं कि आपको खुद पर भरोसा होना चाहिए तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं। एनी आज न जाने कितनी लड़कियों के लिए मिसाल और प्रेरणा हैं।
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