कांग्रेस सरकार लगातार 10 वर्षों तक 2004-14 तक केंद्र में सत्तासीन थी। उस दौरान शासन के दो असाधारण विशेषताएं थी। पहली यह की इसने भ्रष्टाचार या काले धन के विरुद्ध एक भी कदम नहीं उठाया। दूसरा, जहां तक भ्रष्टाचार के घोटालों का प्रश्न था, वह उस कार्यकाल में चरमोत्कर्ष पर था। इसलिये टू-जी स्पैक्ट्रम से लेकर कोयला ब्लॉक, सीडबल्यूजी, वीवीआईपी हेलिकॉप्टर ऑगस्ता वैस्टलैण्ड, सभी घोटाले, जिनकी आज भी सार्वजनिक स्थानों पर चर्चा है, उसी कार्यकाल में हुए। इस प्रकार के घोटालों भरे रिकॉर्ड के साथ यह आश्चर्यकारी नहीं है कि कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार द्वारा चलाए जा रहे भ्रष्टाचार-विरोधी अभियान से बेचैन हो। एक समाज जो केवल नकद में ही कार्य करता हो, या प्रधान रूप से नकद में कार्य करता हो और यह याद किया जाना चाहिए कि 2004-14 के बीच बड़ी मुद्रा केवल 36 प्रतिशत से 80 प्रतिशत से अधिक हो गई। नकद में व्यवहार करने की आर्थिक लागत चुकानी होती है, नकद में व्यवहार करने की सामाजिक लागत चुकानी होती है। ऐसी लागत भी होती है जो इस तंत्र को वहन करनी पड़ती है।
वर्तमान एनडीए सरकार ने हमारे तंत्र का रद्दोबदल करना शुरू किया है। विमुद्रिकरण की प्रक्रिया ऐसे चरण में है जब बड़ी मुद्रा विधिमान्य नहीं रही है। वास्तविकता में यह कम नकदी अर्थव्यवस्था की ओर कदम है। यह हमारी रणनीति है कि नकदी के वर्चस्व वाली अर्थव्यवस्था से हम कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनें जहां काग़ज़ी मुद्रा पर लागत घटे। बावजूद इसके नकद राशि रहेगी और अधिक डिजिटलीकरण होगा। वास्तव में डिजिटलकरण के पक्ष में एक बड़े आंदोलन को हम संतुष्टि के भाव से देख रहे हैं। इसके स्पष्टतः लाभ हैं। तथापि लोगों को कुछ अस्थाई समस्या का सामना करना पड़ेगा, हम अब तेज़ी से पुनर्मुद्रीकरण की मुहिम पूरी कर रहे हैं। प्रतिदिन पुनर्मुद्रीकरण की मुहिम के लिये आरबीआई बैंकिंग तंत्र में भारी मात्रा में मुद्रा डाल रहा है। अगले तीन सप्ताह में बड़ी धनराशि डाली जाएगी जो धीरे धीरे दबाव को कम कर रही है।
जैसे ही अधिक से अधिक मुद्रा का प्रसारण होगा, बैंकिंग तंत्र एवं एटीएम में पुनर्प्रसारण के माध्यम से और अधिक मुद्रा उपलब्ध होगी। फायदे यह हैं कि हमारी व्यवस्था में बहुत सारा रुपया जो ढीली नकदी के तौर पर प्रचालित था, बैंकिंग व्यवस्था में आ गया। कर नहीं चुकाये जाने के लिये यह उत्तरदाई था, अब यह वसूल किया जा सकेगा। भविष्य में होने वाला लेनदेन काफी हद तक डिजिटल होगा एवं जब काफी हद तक डिजिटल होंगे तो कर के दायरे में भी आ जाएंगे। इसलिये भविष्य में कर प्रणाली का स्तर वर्तमान में संगृहीत किये जा रहे कर की तुलना में अधिक होगा। इससे किसी न किसी मोड़ पर सरकार भी करों को यथोचित बना पाएगी, जो प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर दोनों पर लागू होगा।
बैंकिंग प्रणाली में अपेक्षाकृत अधिक नकदी होगी एवं इसलिये इसकी लो-कोस्ट कैश के माध्यम से अर्थव्यवस्था को मदद करने की क्षमता भी बढ़ जाएगी। स्पष्टतः इन सभी फायदों से व्यवस्था की सामाजिक क़ीमत भी कम हो जाएगी। अतः रिश्वतखोरी, आतंकवाद, कर से बचने और जाली नोटों में इस्तेमाल नकदी कम हो जाएगी। जब इसको सरकार के अन्य सुधारों के साथ देखा जाएगा, ख़ास कर प्रस्तावित जीएसटी के साथ, नकद व्यहवार पर पैन नंबर के ज़रिये लगने वाले प्रतिबंध के साथ, तो यह स्वयं ही समाज में भ्रष्टाचार के स्तर को कम करेगा, यह हमारे समाज में नकद लेनदेन को घटाएगा और कर की बात करें तो चोरी को कम करेगा। इसलिये मैं कांग्रेस पार्टी में अपने मित्रों से अनुरोध करना चाहता हूं कि हम इस विषय पर संसद में बहस करने के लिये तैयार हैं। नारेबाज़ी से ऊपर उठिये और लंबे समय में इन परिवर्तनों से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों और फायदों की ओर देखिये। अतएव, राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में मैं विपक्ष से अपील करना चाहूंगा कि इस अभियान में रोड़े अटकाने और इसका वास्तविक उद्देश्य समझने की बजाय वो इसमें शामिल हों।
सरकार के संज्ञान में यह भी आया है कि कुछ अनैतिक लोग, बैंकिंग प्रणाली वाले भी एवं कुछ अन्य, ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से तंत्र को भ्रष्ट कर दोबारा भारी मात्रा में नकदी इकट्ठी कर रहे हैं। स्पष्ट रूप से यह क़ानून का उल्लंघन है एवं इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है। और इसलिये सभी एजेंसियां उन पर निगाह रख रही हैं। वे इस मामले के जांच करेंगी और इन अनैतिक तरीक़ों में जो भी लिप्त होगा उन्हें इसकी भारी क़ीमत चुकानी होगी।
(साभार : पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार)