अपनी मेहनत की कमाई को 8,000 पक्षियों की सेवा में लगा देता है यह कैमरा मकैनिक
'बर्डमैन ऑफ चेन्नई' जोसेफ सेकर...
जोसेफ चेन्नई के रोयापेट्टा इलाके में रहते हैं। वे अपने घर की छत पर हर रोज 30 किलो चावल के दाने बिखेर देते हैं। इसके बाद वहां लगभग 8,000 पक्षी रोज आते हैं। इस काम की शुरुआत जोसेफ ने उस वक्त की थी जब शहर सुनामी जैसे भयंकर तूफान की चपेट में था।
जोसेफ के घर का नजारा काफी शानदार होता है। वहां सुबह-शाम पक्षियों का जमावड़ा रहता है। जोसेफ कहते हैं कि उन्हें फल भी दिया जा सकता है, लेकिन दानों से उनका पेट जल्दी भरता है।
चेन्नई में रहने वाले जोसेफ सेकर वैसे तो कैमरा मकैनिक हैं, लेकिन लोग उन्हें 'बर्डमैन ऑफ चेन्नई' के नाम से भी जानते हैं। पूरे शहर भर में हजारों पक्षियों को आसरा देने वाले जोसेफ को पक्षियों से कुछ खास ही लगाव है। वह हर रोज तरह-तरह के पक्षियों की देखभाल करते हैं और उन्हें दाना खिलाते हैं। 63 वर्षीय जोसेफ यह काम पिछले 11 सालों से कर रहे हैं। वह अपनी रोजाना होने वाली आय का आधा हिस्सा तोतों की सेवा करने में लग देते हैं। उन्होंने पक्षियों से दोस्ती कर ली है और तोते भी उनसे दोस्तों जैसे पेश आते हैं।
जोसेफ चेन्नई के रोयापेट्टा इलाके में रहते हैं। वे अपने घर की छत पर हर रोज 30 किलो चावल के दाने बिखेर देते हैं। इसके बाद वहां लगभग 8,000 पक्षी रोज आते हैं। इस काम की शुरुआत जोसेफ ने उस वक्त की थी जब शहर सुनामी जैसे भयंकर तूफान की चपेट में था। उस वक्त आम इंसान के साथ ही पशु पक्षियों की जिंदगी पर आफत आ गई थी। इंसान तो जैसे-तैसे अपनी जान बचा ले रहे थे, लेकिन इन बेजुबानों की मदद करने वाला कोई नहीं था। उस मुश्किल वक्त ने जोसेफ ने यह बीड़ा उठाया। उन्होंने पहले थोड़े से चावल के दानों को छत पर बिखेकर इसकी शुरुआत की थी। लेकिन धीरे-धीरे पक्षी उनकी छत पर आते गए। यह सिलसिला तब से लेकर आज तक चल ही रहा है।
जोसेफ ने इस काम को अपनी जिम्मेदारी के तौर पर लिया। उनकी कोशिश थी कि कोई भी पक्षी भूखा न रह जाए। उन्होंने छत पर लकड़ी की कटोरियों में चावल रखा। पक्षी उनकी छत पर आते गए और अपना पेटभर के वापस चले जाते। 2015 में जब एक बार फिर से चेन्नई में बाढ़ आई और शहर मुश्किल दौर से गुजरा तो फिर से उनकी छत पर पक्षियों का बसेरा बढ़ता गया। जोसेफ की छत काफी छोटी है और वहां पर सिर्फ 3,000 पक्षियों की जगह है, लेकिन उसके बावजूद वहां पर 5,000 पक्षियों का बसेरा रहता था।
जोसेफ ने बताया, 'सामान्यता मैं सुबह उठकर छत को साफ करता हूं और पक्षियों के लिए दाने का प्रबंध करता हूं। जब वे दाने चुगकर वापस चले जाते हैं तो फिर से छत को साफ करना पड़ता है। बारिश भी होती रहती है इसलिए मैं दानों को जमीन पर नहीं बिखेरता।' जोसेफ के घर का नजारा काफी शानदार होता है। वहां सुबह-शाम पक्षियों का जमावड़ा रहता है। जोसेफ कहते हैं कि उन्हें फल भी दिया जा सकता है, लेकिन दानों से उनका पेट जल्दी भरता है। जोसेफ लगभग 10 दिनों का दानों का स्टॉक रखते हैं ताकि किसी भी मुसीबत की घड़ी में पक्षियों को भूखा न रहना पड़े।
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