अडानी ग्रुप के विदेशी कारोबारों पर भी छाए संकट के बादल, जानिए कहां-कहां तक फैला हुआ है बिजनेस
कभी दुनिया के तीसरे अमीर शख्स रहे अडानी समूह का कारोबार देशभर में बंदरगाह, कोयला खनन, हवाई अड्डा, डेटा केंद्रों और सीमेंट के साथ ही हरित ऊर्जा तक फैला है.
अमेरिकी फाइनेंशियल रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में बंदरगाह से लेकर ऊर्जा क्षेत्र में कारोबार कर रहे अडानी ग्रुप
पर ‘गड़बड़ी’ और ‘खाते में धोखाधड़ी’ के आरोप के बाद चौतरफा संकट में घिरे गौतम अडानी के विदेशों में चल रहे कारोबार पर भी संकट गहराने लगा है.बांग्लादेश ने अडाणी पावर लिमिटेड के साथ 2017 के बिजली खरीद समझौते में संशोधन की मांग की है. बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (बीपीडीसी) के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को ढाका में यह जानकारी देते हुए कहा कि कोयले से पैदा होने वाली बिजली काफी महंगी है.
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक, भारत के झारखंड में अडाणी के संयंत्र के लिए खरीदे जाने वाले कोयले की अत्यधिक कीमत विवाद की मुख्य वजह बनकर उभरी है.
बांग्लादेश की निजी समाचार एजेंसी यूएनबी के अनुसार, अडाणी पावर ने बीपीडीसी से अनुरोध किया था कि झारखंड के गोड्डा में 1,600 मेगावॉट (MW) क्षमता वाले संयंत्र के लिए कोयले का आयात करना है.
बीपीडीसी के एक अनाम अधिकारी ने बताया कि हमारे अनुसार उनके द्वारा बताई गई कोयले की कीमत (400 अमेरिकी डॉलर प्रति टन) बहुत अधिक है. यह 250 डॉलर प्रति टन से कम होनी चाहिए, जो हम अपने दूसरे ताप बिजली संयंत्रों में आयातित कोयले के लिए भुगतान कर रहे हैं.’’
वहीं, समझौते में संशोधन की बांग्लादेश की मांग के बारे में पूछने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने नई दिल्ली में कहा कि यह एक संप्रभु सरकार और एक भारतीय कंपनी के बीच का सौदा है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि आप एक संप्रभु सरकार और एक भारतीय कंपनी के बीच एक सौदे का जिक्र कर रहे हैं. मुझे नहीं लगता कि हम इसमें शामिल हैं.’’
यह पूछने पर कि क्या यह द्विपक्षीय संबंधों के दायरे में नहीं आता है, उन्होंने कहा कि सरकार व्यापक तौर पर आर्थिक एकीकरण और पड़ोसी देशों के साथ संपर्क जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है.
ऑस्टेलियाई रेगुलेटर करेगा जांच
बता दें कि, कभी दुनिया के तीसरे अमीर शख्स रहे अडानी समूह का कारोबार देशभर में बंदरगाह, कोयला खनन, हवाई अड्डा, डेटा केंद्रों और सीमेंट के साथ ही हरित ऊर्जा तक फैला है. कंपनी के वर्तमान पोर्टफोलियो में एक ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम, डेटा सेंटर, हवाईअड्डे, सड़कें, फूड, एफएमसीजी, डिजिटल, खनन (माइनिंग), रक्षा और औद्योगिक विनिर्माण शामिल हैं.
हालांकि, अडानी ग्रुप का कारोबार देश ही नहीं विदेशों में फैला हुआ है. बांग्लादेश में बिजली सेक्टर में कारोबार के अलावा अडानी ग्रुप ऑस्ट्रेलिया में बड़े पैमाने पर कोयला खनन और बंदरगाह कारोबार में जुटा हुआ है.
अडानी ग्रुप, ऑस्ट्रेलिया में ब्रैवस नाम से अपना कारोबार चलाता है. वहां पर उसका क्वींसलैंड राज्य में एक कोयला खदान है. इसके साथ ही वह एक बंदरगाह और एक एक्सपोर्ट टर्मिनल का भी संचालन करता है.
ऑस्ट्रेलिया में, अडानी ग्रुप कारमाइकल कोयला खदान और उससे जुड़ा एक रेल लाइन, नॉर्थ क्वींसलैंड एक्सपोर्ट टर्मिनल का संचालन करता है, जो क्वींसलैंड कोयला निर्यात के लिए एक प्रमुख बंदरगाह है. कंपनी के पास एक सोलर फार्म भी है.
अब ऑस्ट्रेलिया के कॉरपोरेट नियामक ने भी कह दिया है कि वह हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट की समीक्षा करेगा.
ऑस्ट्रेलिया में पिछले कुछ सालों से पर्यावरणीय एक्टिविस्ट्स अडानी ग्रुप का बड़े पैमाने पर विरोध कर रहे हैं. वह संगठित तौर पर स्टॉप अडानी नाम से कैंपेन चला रहे हैं. इसकी अपनी वेबसाइट है और अक्सर यह ट्विटर पर ट्रेंड भी करता है.
प्रदर्शन करने वाले कार्बन उत्सर्जन और ग्रेट बैरियर रीफ को नुकसान के बारे में चिंतित है. वे चाहते हैं कि अडानी ग्रुप को उत्पादन लक्ष्य कम करने और शिपमेंट में देरी करने के लिए मजबूर किया जाए. नवंबर, 2020 में सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में भारत और ऑस्ट्रेलिया के पहले मैच के दौरान स्टॉप अडानी प्रोटेस्टर्स ने हंगामा किया था.
इजरायल में भी फैला कारोबार
वहीं, हाल ही में अडाणी ग्रुप ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इजरायल के हाइफा बंदरगाह का मंगलवार को 1.2 अरब डॉलर में अधिग्रहण कर लिया. इस सौदे के तहत अडाणी समूह तेल अवीव में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) लैब भी स्थापित करेगा.
वहीं, अडाणी समूह ने पिछले छह साल में एल्बिट सिस्टम्स, इजरायल वेपन सिस्टम्स और इजरायल इनोवेशन अथॉरिटी जैसी कंपनियों के साथ महत्वपूर्ण साझेदारियां की हैं.
एफपीओ वापस लिया, संसद में उठा मुद्दा और आरबीआई भी हुआ सख्त
बता दें कि, पिछले महीने कुल 20,000 करोड़ रुपये मूल्य का एफपीओ लाने की घोषणा की गयी थी, उस समय पेशकश मूल्य शेयर के बाजार मूल्य से अच्छा-खासा नीचे था. लेकिन अमेरिका की शोध कंपनी की रिपोर्ट के बाद समूह की सभी 10 कंपनियों के शेयरों में बिकवाली शुरू हो गयी और समूह को अब तक कुल मिलाकर 108 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है. देश के इतिहास में किसी एक समूह के बाजार पूंजीकरण में यह सबसे बड़ी गिरावट में से एक है.
एफपीओ के पूरी तरह से सब्सक्राइब होने के बाद अडानी ने एफपीओ को रद्द करने की घोषणा की और कहा कि कंपनी ने निवेशकों का पैसा वापस करने का निर्णय किया है.
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में गिरावट को लेकर संसद में भी मामला उठा. विपक्षी दलों ने इस पर चर्चा और संयुक्त संसदीय दल से मामले की जांच की मांग की. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी बैंकों से अडाणी समूह की कंपनियों को दिये गये कर्ज के बारे में ब्योरा मांगा है.