Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

माइक्रोस्कोपी में हुई प्रगति ने शारीरिक गति से सम्बंधित जटिल सवालों के अध्ययन में मदद की है: प्रो. विजयराघवन

माइक्रोस्कोपी में हुई प्रगति ने शारीरिक गति से सम्बंधित जटिल सवालों के अध्ययन में मदद की है: प्रो. विजयराघवन

Thursday August 13, 2020 , 3 min Read

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजयराघवन ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि माइक्रोस्कोपी में हुई प्रगति ने हमें चलने और उड़ने के जटिल सवालों के अध्ययन में मदद की है। हम कोशिकाओं के बेहतरीन फोटो देख सकते हैं और इससे हम कोशिकाओं के विशिष्ट घटकों तथा उनके कार्यों को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) के स्थापना दिवस को संबोधित कर रहे थे।


भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजयराघवन (फोटो साभार: AshokaUniversity)

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजयराघवन (फोटो साभार: AshokaUniversity)


भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) के 50वें स्थापना दिवस पर“शारीरिक गति का विकास” विषय पर आयोजित वर्चुअल समारोह के दौरान अपने व्याख्यान में प्रोफेसर के विजयराघवन ने कहा,

"पर्यवेक्षण उपकरण में सुधार हमें प्रयोग करने की अनुमति देता है, कोशिकाओं को आनुवंशिक रूप से हटाया जा सकता है, कोशिकाओं के घटकों को भी हटाया जा सकता है, उनके कार्यों को बढ़ाया जा सकता है तथा 'कार्यों के नुकसान' और 'कार्यों के लाभ' प्रौद्योगिकी से बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है।”

फल-मक्खी पर किये गए अपने प्रयोगों का उल्लेख करते हुएउन्होंने कहा कि पिछले बीस वर्षों में पर्यवेक्षण उपकरण में इतना सुधार हुआ है कि व्यक्ति कीट को खोल सकता है और देख सकता है कि क्या हो रहा है। इसके अलावा, विभिन्न प्रकार के रंजक और लेबल का उपयोग, विभिन्न घटकों को रेखांकित करने के लिए किया जा सकता है, जैसे पर्यवेक्षण खगोल विज्ञान में विभिन्न स्पेक्ट्रा को दर्शाने के लिए किया जाता है।


प्रोफेसर विजयराघवन ने बताया कि हरकत या गति तंत्रिका तंत्र से पैदा होती है, तंत्रिका तंत्र हमारे द्वारा आस-पास से ली गई जानकारी पर प्रतिक्रिया करती है और हरकत या गति इस बात पर निर्भर करती है कि हम इसे कैसे लेते हैं तथा इसे अपने मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में कैसे संसाधित (प्रोसेस) करते हैं।



उन्होंने विस्तार से बताया कि गति को नियंत्रित करने वाले निर्देशों की कनेक्टिविटी पर पर्याप्त अद्ययन किया जा रहा है। पिछले 20 वर्षों के दौरान इसके एक अन्य क्षेत्र पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है - 'गति कैसे विकसित होती है' या कैसे एक शिशु बंदर अपने जन्म के तुरंत बाद चारों ओर दौड़ता है, जबकि मानव शिशु ऐसा नहीं कर सकता है, साथ ही वास्तविक दुनिया के साथ चलने और निपटने की क्षमता कैसे विकसित होती है। इन सवालों का जवाब विभिन्न इकाइयों में गति के लिए आवश्यक घटकों के विभाजन में काफी हद तक निहित है।


ये इकाइयां हैं- तंत्रिका तंत्र, मांसपेशियां, स्नायु, मस्तिष्क से जुडाव आदि। यह पूछना कि इनमें से प्रत्येक कैसे कार्य करता है, वैसा ही है जैसे ऑटोमोबाइल की फैक्टरी में विभिन्न कलपुर्जों को निर्मित किया जाता है और इन्हें बेहतर तरीके से काम करने के लिए आपस में जोड़ दिया जाता है।


प्रोफेसर विजयाघवन ने बताया कि जीव विज्ञान के दो प्रमुख सिद्धांतों ने एक जीव के अध्ययन से दूसरे जीव को समझने में मदद की है। ये सिद्धांत हैं- प्राकृतिक चयन द्वारा विकास का सिद्धांत और इस ग्रह पर रसायन विज्ञान डीएनए से कैसे जुड़ा है।उन्होंने कहा,

“फल मक्खी पर किए गए अध्ययनों का विभिन्न घटनाओं को समझने में बहुत महत्व रहा है, जैसे जन्मजात प्रतिरक्षा क्योंकि फल मक्खी में जो टूलकिट होती है, उसी का उपयोग इंसान बनाने के लिए किया जाता है। जो बदलता है, वह है- सामग्री तथा नियमों के कार्यान्वयन का पैमाना, लेकिन नियम समान ही होते हैं।”

(सौजन्य से: PIB_Delhi)