एक लड़की आयेशा, जिसकी बातों पर आमने-सामने आ गए दो राजनीतिक गुट
दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की छात्रा आयेशा रैना ने केरल के सीएम की जरा सी आलोचना क्या कर दी, पूरी सीपीएम ही आगबबूला हो उठी। आयेशा ने नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार छह छात्रों को रिहा करने की मांग उठाकर क्या बुरा कर दिया, जो रिएक्शन में झंडा फूंक दिया गया!
राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं जब बड़े सोशल एजेंडे से हटकर छोटी-छोटी बातों में उलझने लगती हैं, करोड़ों लोगों को प्रभावित करने वाला मकसद, असफलता की ताक लगाए बैठे विरोधियों की साजिश का शिकार हो जाता है।
दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की छात्रा आयेशा रैना को लेकर केरल में चल रही तकरार से सीएए और एनआरसी विरोधी आंदोलन इसी तरह के भटकाव और आपसी खींचतान में उलझता दिख रहा है। केरल के मलप्पुरम में अलग-अलग पार्टियों ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ एक रैली का आयोजन किया।
इस दौरान कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीएम मार्क्सिस्ट) और डेमोक्रैटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) के कुछ कार्यकर्ताओं ने नई दिल्ली के जामिया मील्लिया इस्लिामिया की स्टूडेंट आयेशा रैना का विरोध किया। इसे लेकर पार्टियों के बीच टकराव हो गया है। बाईस वर्षीय आयेशा दिल्ली में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान चर्चा में आई थीं।
पिछले दिनो मलप्पुरम के कंडोट्टी में सीपीएम, कांग्रेस, आईयूएमएल और वेलफेयर पार्टी ने रैली निकाली तो उसी दौरान सीपीएम और डीवाईएफआई के स्थानीय कार्यकर्ता इसलिए आयेशा का विरोध करने लगे कि उन्होंने अपनी स्पीच में केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन की आलोचना क्यों कर दी और पोन्नानी में 17 दिसंबर को गिरफ्तार किए गए वेलफेयर पार्टी की छात्र इकाई के छह छात्रों को तुरंत रिहा करने की मांग क्यों उठा दी।
यही मामूली से बात अब ऐसी बतंगड़ बन चुकी है कि सीपीएम और डीवाईएफआई कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं, आयेशा सीएम विजयन से माफी मांगे। इतना ही नहीं, रिएक्शन इस हद तक बढ़ चुका है कि कार्यक्रम के बाद सीपीएम और डीवाईएफआई के कार्यकर्ताओं ने वेलफेयर पार्टी का झंडा तक फूंक दिया।
इसकी प्रतिक्रिया में वेलफेयर पार्टी ने रविवार को रैली निकाल दी। वेलफेयर पार्टी के जिला अध्यक्ष नसर कीढूपरंब का कहना है कि आयेशा ने एक सही मुद्दा उठाया था, सीपीएम की भावुक प्रतिक्रिया दुर्भाग्यपूर्ण है और अलोकतांत्रिक है।
ऐसे हालात में साफ साफ नजर आता है कि मामूली बातों पर जिस तरह की ऐतिहासिक भूल और गलतियों से कम्युनिस्ट पार्टी का अस्तित्व भारत समेत पूरी दुनिया में खतरे में पड़ चुका है, वह गुटबंदियों के कारण अपनी शानदार हैसियत खो चुकी है, उसी तरह की हरकत सीएम विजयन पर आयेशा की टिप्पणी को लेकर की जा रही है।
आयेशा की अभिव्यक्ति और गिरफ्तार छात्रों को रिहा करने की मांग इतनी भी गैरवाजिब नहीं कि सीपीएम इस तरह आगबबूला हो उठे। जब किसी आंदोलन के उद्देश्य बड़े होते हैं तो व्यावहारिक तौर-तरीके भी उसी तरह बड़े लक्ष्य के प्रति अडिग होने चाहिए।
इस बीच सीपीएम के प्रमोद दास ने वेलफेयर पार्टी की जॉइंट प्रोटेस्ट के दौरान बेवजह के मुद्दे उठाने पर आलोचना करते हुए कहा है कि हमने तय किया था, कार्यक्रम में दूसरे राजनीतिक मुद्दे नहीं उठाए जाएंगे लेकिन वेलफेयर पार्टी के नेताओं ने इसका उल्लंघन किया। वे सीएए विरोधी प्रोटेस्ट में किसी छिपी हुई मंशा के कारण हिस्सा ले रहे हैं। मुस्लिम लीग के एक विधायक ने कहा है कि इस घटना से सीएए के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर असर पड़ेगा।
कांग्रेस के विधायक वीटी बलराम ने सीएम से आयेशा का अपमान करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने को कहा है।