कश्मीरी पंडितों ने जम्मू में मनाया ‘होमलैंड’ दिवस, स्थायी पुनर्वास सहित अन्य मांगो का विधेयक स्वीकार किया
December 30, 2019, Updated on : Mon Dec 30 2019 08:01:31 GMT+0000

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विस्थापित कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन पनुन कश्मीर ने शनिवार को यहां ‘होमलैंड’ दिवस मनाया और स्थायी पुनर्वास सहित अपनी विभिन्न मांगों को शामिल करते हुए एक विधेयक स्वीकार किया।

प्रतीकात्मक चित्र
संगठन ने कहा कि उसका एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेगा और उन्हें ‘पनुन कश्मीर नरसंहार और अत्याचार निवारण विधेयक 2020’ पेश करेगा तथा उनसे इसे तत्काल प्रभाव से स्वीकार करने का अनुरोध करेगा।
होमलैंड दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में अपना विधेयक जारी करते हुए मसौदा समिति के अध्यक्ष टीटू गंजु ने कहा कि,
‘‘यह विधेयक समुदाय की मुश्किलों से जुड़े सभी घटकों और उनके दीर्घकालिक अस्तित्व, वापसी और पुनर्वास के संबंध में एक लंबा रास्ता तय करेगा।’’
उन्होंने कहा कि विधेयक में नरसंहार के संबंध में संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय संधियों, हिंसा के शिकार लोगों के अधिकारों सहित विभिन्न प्रावधानों को शामिल किया गया है।
पनुन कश्मीर के संयोजक अग्निशेखर ने कहा कि कश्मीर के हिंदुओं के पूरे समुदाय को प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा लिए गए बड़े निर्णयों का समर्थन करना है।
उन्होंने कहा कि केंद्र के प्रयासों को मजबूत करने के लिए पनुन कश्मीर विधेयक का प्रस्ताव कर रहा है जो राष्ट्र के दुश्मनों को परास्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और भारत की अवधारणा को कायम रखते हुए जम्मू कश्मीर का एकीकरण करेगा।
आपको बता दें कि अन्य बातों के अलावा, विधेयक में एक सांस्कृतिक तरीके से सांस्कृतिक नरसंहार के पहलुओं को देखने के लिए एक बोर्ड और एक आयोग के गठन की सिफारिश की गई है और सभी आपराधिक पहलुओं में जांच, परीक्षण की प्रक्रिया, नरसंहार के लिए जिम्मेदारी तय करना, अपराधियों को सजा शामिल है और पीड़ितों को मुआवजा देने का जिक्र भी इस बिल में किया गया है।
विधेयक में कश्मीर में होने वाले नरसंहार के अपराध की जिम्मेदारी और सजा तय करने के लिए नूर्नबर्ग टाइप ट्रायल की परिकल्पना की गई है।
पनुन कश्मीर के अध्यक्ष अजय चुरंगु ने कहा कि अनुच्छेद और 35 (ए) निरस्त किए जाने, जम्मू कश्मीर राज्य का दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठन और संशोधित नागरिकता कानून अपनाने से ‘‘राजनीतिक स्वाधीनता प्रदान करने वाले कदम’’ हैं।
(Edited by रविकांत पारीक )
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