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नए लेबर कोड्स पर सभी राज्यों ने तैयार कर लिए ड्राफ्ट नियम, सही वक्त पर किए जाएंगे लागू

राजस्थान ने दो संहिताओं पर मसौदा नियम तैयार कर लिए जबकि दो पर अभी बाकी है. पश्चिम बंगाल में इन्हें अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही है जबकि मेघालय समेत पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों ने चारों संहिताओं पर मसौदा नियम तैयार करने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं की है.

नए लेबर कोड्स पर सभी राज्यों ने तैयार कर लिए ड्राफ्ट नियम, सही वक्त पर किए जाएंगे लागू

Friday July 15, 2022 , 2 min Read

केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को कहा कि लगभग सभी राज्यों ने चार लेबर कोड्स पर नियमों का मसौदा तैयार कर लिया है और नए नियमों को उचित समय पर लागू किया जाएगा. ऐसी अटकलें थीं कि लेबर कोड्स जल्द लागू किए जा सकते हैं क्योंकि ज्यादातर राज्यों ने मसौदा नियम बना लिए हैं.

यादव ने कहा, ‘‘लगभग सभी राज्यों ने चार श्रम संहिताओं पर मसौदा नियम तैयार कर लिए हैं. हम इन संहिताओं को उचित समय पर लागू करेंगे.’’ उन्होंने कहा कि कुछ राज्य मसौदा नियमों पर काम कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि राजस्थान ने दो संहिताओं पर मसौदा नियम तैयार कर लिए जबकि दो पर अभी बाकी है. पश्चिम बंगाल में इन्हें अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही है जबकि मेघालय समेत पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों ने चारों संहिताओं पर मसौदा नियम तैयार करने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं की है.

वर्ष 2019 और 2020 में, 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं में मिलाया गया था और इन्हें युक्तिसंगत तथा सरल बनाया गया था.

यह चार श्रम संहिताएं मजदूरी पर संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता, 2020 थीं.

केंद्र सरकार ने सभी चार संहिताओं के लिए मसौदा नियमों को पहले ही प्रकाशित कर दिया है. अब, राज्यों को अपनी ओर से नियम बनाने की आवश्यकता है क्योंकि श्रम एक समवर्ती विषय है, जिसमें केंद्रीय कानूनों को ध्यान में रखते हुए राज्यों को अपने नियम बनाने पड़ते हैं.

मंत्रालय देश में नए कानूनी ढांचे के लिए आसानी से लागू कराने के लिए केंद्र और राज्यों द्वारा सभी चार श्रम संहिताओं को एक बार में लागू करना चाहता है.

नए कानून बदलते श्रम बाजार के रुझान के अनुरूप हैं और साथ ही कानून के ढांचे के भीतर स्वरोजगार और प्रवासी श्रमिकों सहित असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी और कल्याण को समायोजित करते हैं.