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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नैदानिक चिकित्सा में ला रही है क्रांति: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

बेंगलुरु में 2 दिवसीय "अंतर्राष्ट्रीय रोगी सुरक्षा सम्मेलन 2024" के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत की हाल की सफलता की कहानियां, जिन्हें वैक्सीन की कहानी सहित समूचे विश्व में सराहा गया है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नैदानिक चिकित्सा में ला रही है क्रांति: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

Saturday February 24, 2024 , 4 min Read

केंद्रीय डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) नैदानिक ​​चिकित्सा में क्रांति ला रही है और अब रोगी देखभाल के वर्तमान एवं नए उपकरणों के बीच इष्टतम एकीकरण की आवश्यकता है.

इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि एक ओर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच एक अलग स्तर पर एकीकरण की भी आवश्यकता है और दूसरी ओर एक समन्वित दृष्टिकोण के माध्यम से परिकल्पित स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आयुष के साथ एलोपैथी के संयोजन वाली चिकित्सा पद्धति की विभिन्न प्रणालियों के बीच एकीकरण की भी आवश्यकता है.

बेंगलुरु में 2 दिवसीय "अंतर्राष्ट्रीय रोगी सुरक्षा सम्मेलन 2024" के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत की हाल की सफलता की कहानियां, जिन्हें वैक्सीन की कहानी सहित समूचे विश्व में सराहा गया है, साक्ष्यों से परे सत्य सिद्ध हुई हैं कि ठहराव (साइलो) में काम करना या अलगाव की अपनी सीमाएं हैं और यहां से आगे का विकास कई स्तरों पर एकीकरण के माध्यम से ही संभव है.

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता मिली है. उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से डिजिटल स्वास्थ्य के बारे में बात की थी.

स्वयं एक प्रसिद्ध मधुमेह रोग विशेषज्ञ, डॉ. जितेंद्र सिंह ने सर्वोत्तम परिणामों के लिए सुदृढ़ सार्वजनिक निजी विस्तारित एकीकरण का आह्वान किया. उन्होंने जैविक विज्ञान विषयों (बायोसाइंसेज) में हाल ही में शुरू किए गए पीएचडी पाठ्यक्रम का उदाहरण दिया, जिनकी प्रकृति विभिन्न है और यहां तक ​​कि बी.टेक या एम.टेक स्ट्रीम भी इसमें शामिल हो सकते हैं.

स्वास्थ्य देखभाल की विभिन्न धाराओं के एकीकरण के बारे में विस्तार से बताते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि कोविड के दौरान पश्चिम ने भी आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, योग, प्राकृतिक चिकित्सा और अन्य प्राच्य विकल्पों से ली गई प्रतिरक्षा निर्माण तकनीकों की तलाश में भारत की ओर देखना शुरू कर दिया था . उन्होंने कहा, हालांकि, कोविड ​​​​चरण समाप्त होने के बाद भी, चिकित्सा प्रबंधन की विभिन्न धाराओं का एक इष्टतम एकीकरण और तालमेल विभिन्न बीमारियों और विकारों के सफल प्रबंधन की कुंजी है, जो अन्यथा चिकित्सा की किसी भी एक धारा अथवा या साइलोज़ में दिए जाने वाले उपचार द्वारा चिकित्सा के लिए पूरी तरह से उत्तरदायी नहीं हो सकते हैं.

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जब से नरेन्द्र मोदी ने 2014 में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला है, तब से ही उन्होंने चिकित्सा प्रबंधन की स्वदेशी प्रणालियों के गुणों को केंद्र में ला दिया है. उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी ही थे जो संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का सर्वसम्मत प्रस्ताव लेकर आए, जिसके परिणामस्वरूप योग अब दुनिया भर में लगभग हर घर तक पहुंच गया है. फिर यह प्रधानमंत्री मोदी की पहल थी कि हमने बाजरा और अन्य मोटे अनाजों के गुणों को विश्व भर तक फैलाने के लिए 2023 में अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष मनाया है.

सार्वजनिक–निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष के अंतिम नौ महीनों में अप्रैल से दिसंबर 2023 तक भारत में अंतरिक्ष (स्पेस) स्टार्ट-अप्स में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है और यह एक साहसिक निर्णय के कारण संभव हुआ है. मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया है, जिसके परिणामस्वरूप उद्योग के साथ-साथ निजी क्षेत्र के निवेशकों से भी जबरदस्त प्रत्युत्तर मिल रहा है.

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसी तरह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमारी जैव-अर्थव्यवस्था में पिछले 9/10 वर्षों में वर्ष-दर-वर्ष दोहरे अंक की विकास दर देखी गई है. उन्होंने कहा कि 2014 में, भारत की जैव-अर्थव्यवस्था लगभग 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी. इस वित्तीय वर्ष में हमें $150 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है और हम 2030 तक $300 बिलियन तक पहुंचने की आशा करते हैं.

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने पिछले 8/9 वर्षों में तेजी से प्रगति की है. उन्होंने आगे कहा कि "2014 में हमारे पास सिर्फ 55 (बायोटेक) स्टार्ट-अप्स थे, और अब हमारे पास 6,000 से अधिक हैं." आज 3,000 से अधिक एग्रीटेक स्टार्टअप हैं जो अरोमा मिशन तथा बैंगनी क्रांति (पर्पल रिवोल्यूशन) जैसे क्षेत्रों में बहुत सफल हैं.

यह कहते हुए कि "अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन" वैज्ञानिक अनुसंधान में एक बड़े पीपीपी मॉडल के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एनआरएफ हमें नए क्षेत्रों में नए शोध का नेतृत्व करने वाले मुट्ठी भर विकसित देशों की लीग में शामिल कर देगा. उन्होंने कहा कि एनआरएफ बजट में पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये के व्यय की कल्पना की गई है, जिसमें से 70 प्रतिशत से अधिक ऐसे गैर-सरकारी स्रोतों से आएगा, जिसमें घरेलू और बाहरी स्रोत भी शामिल हैं.