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छोटे शहर से बड़ा कारनामा...'SDLC', दुनियाभर में 300 से ज्यादा प्रोजेक्ट

SDLC की कामयाबी की दास्तां

छोटे शहर से बड़ा कारनामा...'SDLC', दुनियाभर में 300 से ज्यादा प्रोजेक्ट

Wednesday July 08, 2015 , 7 min Read

बड़े शहरों में स्टार्टअप कल्चर की चकाचौंध के बीच कई सारे एंटरप्रेन्योर छोटे शहरों में पसीना बहा रहे हैं और उनका इकलौता लक्ष्य से अपने होमटाउन से कामयाबी हासिल करना।

महाराष्ट्र से आने वाले पंकज छजेड ने अपने छोटे से होम टाउन से कुछ अलग करने का सपना देखा। उन्होंने भारत की एक टॉप एनालिसिस कंपनी का सपना देखा जो ग्रामीण और शिक्षित युवाओं को मजबूती दे। आज उनका स्टार्टअप SDLC ने कामयाबी के 3 साल पूरा कर लिया है। इसके दुनिया भर 300 से ऊपर प्रोजेक्ट हैं और इसके पास 25 लोगों की एक मजबूत टीम है।

SDLC क्या करता है?

SDLC सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड एक सर्विस प्रोवाइडर है जो बिजनेस एनालिसिस, यूजर एक्सप्रिएंस और यूजर इंटरफेस सर्विस प्रोवाइड करता है। इसमें सॉफ्टवेयर को डिफाइन करने की जरूरत होती है और सोल्यूशन को एक्चुअल सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट से पहले रिकमेंड किया जाता है।

ICT और JBIT मुंबई के पूर्व छात्र पंकज छजेड ने इसकी स्थापना की। पहले साल में स्टार्टअप को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। ये इनवेस्टर्स को आकर्षित करने, टैलेंटेड लोगों को भर्ती करने और को-फाउंडर पाने में नाकाम रहा। मगर पंकज ने हार नहीं मानी। अपने जन्म स्थान में कुछ अलग करने के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत और समर्पण दिखाया।

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SDLC अब प्रॉफिटेबल है, ये अच्छी खासी रेवेन्यू जनरेट करती है और विकास को रफ्तार देने के लिए स्ट्रेट्जिक इनवेस्टमेंट की तरफ बढ़ रही है। ये ऑफर किए जाने वाली सर्विसेज को बढ़ा रही है, पहले से ज्यादा क्लाइंट एक्वॉयर कर रही है, बिजनेस एनेलिसिस और UI/UX डोमेन में नए प्रोडक्ट्स ऑफर कर रही है।

इन-हाउस बिजनेस एनालिसिस क्षमता वाली आइटी कंपनियां और स्वतंत्र कंसल्टेंट इसके कॉम्पटिटर्स हैं। इनका मॉडल उन कंपनियों को बीए सपोर्ट प्रोवाइड कराना है जिनके पास बिजनेस एनालिसिस स्किल्स नहीं हैं।

SDLC की खासियत

• कॉस्ट कॉम्पिटिवनेस- छोटे शहर में शुरू होने की वजह से रिसोर्स कॉस्ट, इंफ्रास्ट्रक्टर कॉस्ट और ऑपरेशनल कॉस्ट को कम करने में मदद मिली। इसका फायदा इसके क्लाइंट्स को मिलता है।

• डोमेन नॉलेज- उनका डोमेन एक्सपर्टाइज बिजनेस एनालिसिस, UI और UX है।

• 24*7 उपलब्धता और इंफ्रास्ट्रक्चर- हालांकि ये छोटे शहर में स्थापित है फिर भी इनके पास बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर है। स्पेसियस ऑफिस, हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी, कॉन्फ्रेंस रूम और 24*7 उपलब्धता। इससे उन्हें काफी मदद मिलती है।

• डिलिवर करने की क्वालिटी- उनके पास समय पर डिलिवरी करने की शानदार क्षमता है।

• सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट को सपोर्ट करने वाली सर्विस- वो सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट से जुड़ी सारी सर्विस प्रोवाइड कराते हैं।


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ट्रैक्शन

उनके मुख्य कंज्यूमर्स में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनियां और प्रोडक्ट कंपनियां हैं। इनके अलावा वैसे एंटरप्रेन्योर्स भी इनके कंज्यूमर्स हैं जो अपने आइडिया को प्रोटोटाइप और मॉकअप डिजाइन के रूप में कॉन्सेप्चुअलाइज करना चाहते हैं। उनका 90 फीसदी रेवेन्यू अमेरिका और ब्रिटेन से आता है।

वो सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट को सपोर्ट करने वाली सभी सर्विस प्रोवाइड करते हैं जिनमें रिक्वॉयरमेंट एनालिसिस, बिजनेस एनालिसिस, फंक्शनल एंड टेक्निकल डॉक्यूमेंटेशन, प्रोडक्ट एनालिसिस, यूजर इंटरफेस एंड यूजर एक्सप्रिएंस डिजाइन, प्रोटोटाइपिंग और फंक्शनल टेस्टिंग शामिल हैं।

वो आइटी कंपनियों, प्रोडक्ट कंपनियों और स्टार्टअप्स को टारगेट कर रहे हैं। इन क्लाइंट्स को बिजनेस एनालिसिस स्किल्स की जरूरत होती है मगर ये स्किल्स दुर्लभ हो महंगे हैं इसलिए वो फुलटाइम बिजनेस एनालिस्ट नहीं रखते। बजाय इसके वो इन सेवाओं को आउटसोर्स करते हैं। फिलहाल, SDLC इंडियन कंपनियों को टारगेट नहीं कर रही है लेकिन निकट भविष्य में ये इंडियन कंपनियों को भी टारगेट करने का मन बना रही है।

उनका करीब-करीब 100 फीसदी बिजनेस विदेश से आता है। वो ग्लोबल क्लाइंट्स को सर्विस दे रहे हैं और उनका ज्यादातर बिजनेस सेम क्लाइंट्स से रिपीट प्रोजेक्ट्स के जरिए आता है। सोशल मीडिया और नेटवर्किंग साइट्स के जरिए क्लाइंट्स पाना कोई मुश्किल काम नहीं है और ये इंडियन क्लाइंट्स पाने में जितना समय लगता, उससे भी कम समय में हो जाता है। मगर अब वो ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए भारतीय क्लाइंट्स तक पहुंच बनाने और विस्तार करने की योजना बना रहे हैं।

कंज्यूमर्स के लिए फायदा

• क्लाइंट्स को सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की कॉस्ट को कम करने में मदद पहुंचाना

• क्लाइंट्स वास्तविक सॉफ्टवेयर डेवलपिंग से पहले डेमो प्रोटोटाइप देख सकते हैं

• क्लाइंट्स को टेक्नोलॉजी डोमेन और बिजनेस डोमेन के बीच की खाई को पाटने में मदद

• जटिल बिजनेस प्रक्रियाओं, डॉक्यूमेंटिंग रिक्वॉयरमेंट्स को सिंपल बनाकर डेवलपमेंट लाइफ साइकल की कार्यकुशलता में सुधार लाना

• मेथड्स, टूल्स, टेक्निक्स और चेकलिस्ट का इस्तेमाल करके प्रोडक्ट रिस्क को कम करना

स्माल टाउन ब्वॉय की कामयाबी

पंकज का मानना है कि एक प्रोफेशनल बिजनेस चलाने में लोकेशन आड़े नहीं आती। इसके लिए अगर आपको किसी चीज की जरूरत है तो वो है विज़न, मिशन और उसे कर दिखाने की दृढ़ इच्छाशक्ति।

शुरुआती दौर में टीम सेट करना और क्लाइंट पाना बहुत चुनौतीपूर्ण था। पहले साल में उनका फोकस सिर्फ कुछ क्लाइंट्स पाने और प्रोजेक्ट स्टार्ट करना था। शुरूआत में वह एक स्वतंत्र कंसल्टेंट के तौर पर काम किया और जब उन्होंने देखा कि कुछ ट्रैक्शन हो रहा है तो वो आस-पास के इलाकों से इंजीनियरों की भर्ती शुरू कर दिये।

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उनके पास अब टीम है जो प्रोजेक्ट्स को हैंडल करती है और जो क्लाइंट्स को सर्विस मुहैया कराती है।

छोटे शहर ने टीम को यूनाइटेड और मजबूत बनाने में मदद की है।

कर्मचारियों को लेटेस्ट टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट से अपडेट रखने के लिए उन्होंने उनकी टीम में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस (COEs) बनाया है। कर्मचारियों के संपूर्ण विकास के लिए ये एक अच्छी पहल है।

छोटे शहरों में टीमें सेट अप करना

ये आम धारणा है कि छोटे शहरों में बिजनेस स्थापित करना काफी कठिन होता है मगर पंकज को लगता है कि छोटे शहर में टीम सेट अप करना कोई खास कठिन नहीं है। हां, ये थोड़ा बहुत अलग है।

इंटनेट पेनिट्रेशन की तेज रफ्तार डिसेन्ट्रलाइजेशन को गति दे रही है। ओपन-सोर्स टूल्स और क्लाउड कंप्यूटिंग ने एक तेज ग्रोथ वाली कंपनी को वर्चुअली कहीं से भी शुरू करने को मुमकिन बना दिया है। सोशल मीडिया ने एंटरप्रेन्योर्स को हर जगह के हजारों पोटेंशियल कस्टमर्स तक पहुंचने का एक किफायती और आसान रास्ता भी दे दिया है।

लेकिन जैसा कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, ऐसे में स्माल टाउन्स में स्टार्टअप के लिए इनवेस्टर्स तलाशने, टैलेंटेड लोगों की भर्ती और कामयाबी के लिए उचित एंटरप्रेन्योरियल रिसोर्स खोजना कठिन होता है।

मगर पंकज का मानना है कि अगर किसी के भीतर कुछ कर गुजरने की आग हो तो ये कहीं भी मुमकिन हो सकता है।

बदलता ट्रेंड

मार्केट के बदलते जरूरतों के हिसाब से ऑर्गनाइजेशंस के लिए बिजनेस एनालिसिस बेहद जरूरी हो गया है। यूजर एक्सप्रिएंस/इंटरफेस इसकी एक अहम वजह है।

बिजनेस एनालिसिस डॉक्यूमेंटेशन से बहुत आगे बढ़ चुका है और अब ये वायरफ्रेमिंग और प्रोटोटाइप के जरिए रिक्वॉयरमेंट्स का विजुअल रिप्रजेंटेशन हो चुका है।

टीम प्रोडक्ट साइड में और ज्यादा बिजनेस एनालिसिस की मांग की गवाह बन रही है जहां प्रोडक्ट्स को यूजर की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है और इसका ख्याल रखा जाता है कि ये और भी ज्यादा यूजर-फ्रेडली हो।

चूंकि ट्रेंड प्रोडक्ट्स की तरफ है, पंकज और उनकी टीम अपनी कुछ सर्विस को प्रोडक्ट के रूप में विकसित करने में लगी है। उनके पास SaaS बेस्ट प्रोडक्ट है- myalma.in जो एक ऑफिशियल वेब बेस्ड प्रोडक्ट है।

सर्विस इंडस्ट्री में बदलावों के उफान के बारे में वह कहते हैं- “मैं इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि ट्रेड प्रोडक्ट्स बनाने और उन्हें ऑपरेशनल बनाने का चल रहा है। प्रोडक्ट्स को आसानी से स्केल किया जा सकता है मगर सर्विस इंडस्ट्री की रिसोर्स बेस्ड नीड्स को देखते हुए स्केल करने में टाइम लगता है। मगर मुझे पक्का यकीन है कि सर्विस-बेस्ड स्टार्टअप की तुलना में प्रोडक्ट्स की लाइफ साइकल छोटी होती है। अगर भारत में प्रोडक्ट्स तेजी से ग्रो कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर ये सर्विस बेस्ड इंडस्ट्री के लिए भी बेहतर मौके लाएंगे।”

ये एक शानदार नजीर है कि कैसे एंटरप्रेन्योर्स रूरल एजुकेटेड टैलेंट की बदौलत छोटे शहरों से भी एक विश्वस्तरीय सर्विस बेस्ड स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं।

इससे जबर्दस्त प्रेरणा भी मिलती है और ये इस तथ्य की तस्दीक करती है कि भारत बदल रहा है और तेज गति से बदल रहा है।