गाय के गोबर से बने पेपर से मुनाफा कमाएंगे राजस्थान के पशुपालक
कम लोगों को ही मालूम होगा कि इससे अधिक आय भी अर्जित हो सकती है। राजस्थान में गाय के गोबर से पेपर बनाया जा रहा है और इससे पशुपालकों को अच्छी आमदनी भी हो रही है।
खादी एवं ग्रामोद्योग उद्योग मिशन की एक यूनिट कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट (KNHPI) द्वारा इस पेपर का निर्माण किया गया है। इस हैंडमेड पेपर को गाय के गोबर और चिथड़े कागज को मिलाकर बनाया गया है।
जानवरों के गोबर को आमतौर पर ज्यादा उपयोगी नहीं माना जाता। हालांकि इसे खेतों में खाद के तौर पर जरूर इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कम लोगों को ही मालूम होगा कि इससे अधिक आय भी अर्जित हो सकती है। राजस्थान में गाय के गोबर से पेपर बनाया जा रहा है और इससे पशुपालकों को अच्छी आमदनी भी हो रही है। हम सब भी स्कूल के वक्त से ही पढ़ते आ रहे हैं कि गोबर से बायोगैस बनाई जाती है। यह एक तरह से नीवकरणीय ऊर्जा प्रदान करने का अच्छा साधन है। लेकिन अब गाय के गोबर से पेपर उत्पादन भी होगा।
बीते सप्ताह बुधवार को केंद्रीय सूक्ष्म एवं लघु उद्यम मंत्री गिरिराज सिंह ने राजस्थान की राजधानी जयपुर में गाय के गोबर से बने पेपर का लोकार्पण किया। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक खादी एवं ग्रामोद्योग उद्योग मिशन की एक यूनिट कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट (KNHPI) द्वारा इस पेपर का निर्माण किया गया है। इस हैंडमेड पेपर को गाय के गोबर और चिथड़े कागज को मिलाकर बनाया गया है।
इस नई पहल से न केवल किसानों को अधिक आमदनी होगी बल्कि सड़कों पर गोबर से होने वाली गंदगी भी कम होगी। राज्य के गौशालन विभाग की ओर से गौशालाओं को इस तकनीक से कागज बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। राज्य की कई गौशालाओं में अभी गाय के गौमूत्र से कीटाणुनाशक तैयार किया जा रहा है। जालौर जिले की एक गौशाला ने गाय के गोबर से पेपर का उत्पादन भी शुरू कर दिया है। इस नए अविष्कार से निजी पशुपालकों को कागज बनाने के लिए प्रेरित करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा आर्थिक मदद का भी प्रावधान भी किया गया है।
एक आंकड़े के मुताबिक अभी इस वक्त प्रदेश में 1,160 पंजीकृत गौशालाएं हैं। वहीं गायों की संख्या पांच लाख से ऊपर है। किसानों द्वारा गाय के गोबर और गौमूत्र का इस्तेमाल ऑर्गैनिक खेती में किया जाता है। वहीं अगर इससे बायोगैस बनाया जाता है तो इससे स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है वहीं बाकी बचे अपशिष्ट में नाइट्रोजन की मात्रा से खेतों में खनिज की बढ़ोत्तरी की जाती है। गिरिराज सिंह ने इस मौके पर कुछ और इको फ्रैंडली उत्पादों को लॉन्च किया। इन उत्पादों को नारियल और फूलों से बनाया गया है।
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