नोटबंदी पर खुल कर सामने आये पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
नोटबंदी प्रबंधन की विशाल असफलता है : मनमोहन सिंह
राज्यसभा में नोटबंदी के फैसले पर चर्चा को लेकर पांच दिनों से बना गतिरोध कुछ समय के लिए दूर हुआ, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकार पर विपक्ष के हमले की अगुवाई करते हुए इस कदम को प्रबंधन की विशाल असफलता करार दिया और कहा कि इससे जीडीपी विकास में कम से कम दो प्रतिशत की कमी आएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सदन में आने के कारण विपक्ष एवं सत्ता पक्ष के बीच यह सहमति बनी कि प्रश्नकाल के बजाय नोटबंदी के मुद्दे पर 16 नवंबर को अधूरी रह गयी चर्चा को आगे बढ़ाया जाए। सदन के नेता अरूण जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी चर्चा में भागीदारी करेंगे।
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मनमोहन ने नोटबंदी को संगठित एवं कानूनी लूटखसोट का मामला भी बताया।
उल्लेखनीय है कि पिछले पांच दिन से विपक्ष इस चर्चा को सदन में प्रधानमंत्री की उपस्थिति में कराने की मांग कर रहा है। मोदी प्रश्नकाल के दौरान सदन में आए थे, क्योंकि गुरूवार को उनके तहत आने वाले मंत्रालयों से संबंधित मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं। सदन में चर्चा दोपहर बारह बजे बहाल हुई और एक बजे तक चली। इसके बाद सदन में भोजनावकाश हो गया। बैठक फिर शुरू होने पर सदन में प्रधानमंत्री के नहीं होने के कारण विपक्षी दलों ने उन्हें बुलाने की मांग फिर शुरू कर दी। इस पर उपसभापति पी जे कुरियन ने कहा कि सदन के नेता यह आश्वासन दे चुके हैं, कि प्रधानमंत्री चर्चा में भागीदारी करेंगे। इस पर जेटली ने कहा कि उनकी यह आशंका सच साबित हो गयी है कि विपक्ष चर्चा नहीं चाहता क्योंकि वे चर्चा से बचने के लिए बहाने ढूंढ रहे हैं। सदन में हंगामा कायम रहने पर कुरियन ने अपराह्न तीन बजकर करीब 10 मिनट पर बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।
इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथ लिया और कहा कि जिस तरह से इसे लागू किया गया है, वह ‘प्रबंधन की विशाल असफलता’ है और यह संगठित एवं कानूनी लूट खसोट का मामला है। सदन में मोदी की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि इस फैसले से सकल घरेलू उत्पाद में दो फीसदी की कमी आएगी जबकि इसे नजरअंदाज किया जा रहा है।
नोटबंदी के इस फैसले से सकल घरेलू उत्पाद में दो फीसदी की कमी आएगी जबकि इसे नजरअंदाज किया जा रहा है : मनमोहन सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उम्मीद जताई है, कि प्रधानमंत्री एक व्यावहारिक, रचनात्मक एवं तथ्यपरक समाधान निकालेंगे जिससे आम आदमी को नोटबंदी के फैसले से उत्पन्न हालात के चलते हो रही परेशानी से राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि जो परिस्थितियां हैं उनमें आम लोग बेहद निराश हैं। सिंह ने कहा कि कृषि, असंगठित क्षेत्र और लघु उद्योग नोटबंदी के फैसले से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और लोगों का मुद्रा एवं बैंकिंग व्यवस्था पर से विश्वास खत्म हो रहा है।
जिस तरह योजना लागू की गई, वह प्रबंधन की विशाल असफलता है। यहां तक कि यह तो संगठित एवं कानूनी लूट खसोट का मामला है: मनमोहन सिंह
सिंह ने कहा कि उनका इरादा किसी की भी खामियां बताने का नहीं है। लेकिन मुझे पूरी उम्मीद है कि देर से ही सही, प्रधानमंत्री एक व्यावहारिक, रचनात्मक और तथ्यपरक समाधान खोजने में हमारी मदद करेंगे ताकि इस देश के आम आदमी को हो रही परेशानियों से राहत मिल सके। मेरी अपनी राय है कि राष्ट्रीय आय, जो कि इस देश का सकल घरेलू उत्पाद है, इस फैसले के कारण दो फीसदी कम हो सकती है। इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। इसलिए मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री को कोई रचनात्मक प्रस्ताव लाना चाहिए कि हम योजना का कार्यान्वयन कैसे कर सकें और साथ ही आम आदमी के मन में घर कर रहे अविश्वास को कैसे दूर करें।’
इस फैसले का अंतिम परिणाम क्या होगा, इसके बारे में कोई नहीं जानता लेकिन प्रधानमंत्री ने 50 दिन तक इंतजार करने के लिए कहा है। वैसे तो 50 दिन का समय बहुत कम समय है, लेकिन गरीबों और समाज के वंचित वर्गों के लिए 50 दिन किसी प्रताड़ना से कम नहीं हैं। अब तक तो करीब 60 से 65 लोगों की जान जा चुकी है। शायद यह आंकड़ा बढ़ भी जाए।
साथ ही संसद में नोट बंदी पर मनमोहन सिंह के आलोचनात्मक भाषण की तारीफ करते दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने कहा कहा कि मोदी सरकार को इतना बड़ा फैसला लेने से पहले कम से कम पूर्व प्रधानमंत्री से सलाह-मशविरा कर लेना चाहिए था, क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय ख्याति के अर्थशास्त्री हैं। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख अजय माकन ने दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय पर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ मनमोहन सिंह न सिर्फ वरिष्ठ राजनीतिज्ञ हैं बल्कि दुनिया के जानेमाने अर्थशास्त्री, आरबीआई के पूर्व गवर्नर और पूर्व वित्त सचिव भी हैं। उन्होंने देश को मुश्किल आर्थिक दौर से निकाला था और 1991 में उदारीकरण लाने में मदद की थी। इतना बड़ा फैसला लेने से पहले उनसे विचार विमर्श नहीं किया गया।’ दिल्ली कांग्रेस सिंह से सीख लेते हुए उनके भाषण के 11 प्रमुख बिंदुओं को उठाएगी जिनका इस्तेमाल उन पर्चों में किया जाएगा जो लोगों को बांटे जाएंगे। यह पर्चे अंग्रेजी और हिन्दी में बनाये जायेंगे, जिनमें मनमोहन सिंह के भाषण के 11 प्रमुख बिन्दु होंगे और फिर सामग्री को बैंकों और एटीएम की लाइनों में लगे लोगों को शिक्षित करने के लिए बांटी जाएगी।
उधर दूसरी तरफ नोटबंदी को लेकर केंद्र पर कई बार निशाना साधने के बाद, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस कदम को ‘आम आदमी से लूट’ बताया और भाजपा से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बात को गंभीरता से लेने को कहा क्योंकि वह ‘जाने माने अर्थशास्त्री’ हैं। ठाकरे ने कहा, ‘जिस तरह से नोटबंदी को लागू किया गया मैं उसपर गंभीर रूख अपनाने से नहीं हिचकिचाउंगा।’ उन्होंने कहा, ‘यूरोपीय संघ से निकलने से पहले ब्रिटेन में जिस तरह जनमत संग्रह हुआ यहां पर एक सर्वेक्षण कराया जा रहा। लेकिन लोगों की प्रतिक्रिया देखकर उनके (ब्रिटेन के) प्रधानमंत्री को पद छोड़ना पड़ा । क्या यहां भी वैसा ही होगा?’ परोक्ष रूप से ठाकरे प्रधानमंत्री द्वारा लोगों से नरेंद्र मोदी एप्प पर नोटबंदी को लेकर लोगों की प्रतिक्रिया मांगे जाने का हवाला दे रहे थे। उन्होंने कहा कि जब लोगों की आंखों में आंसू है ऐसे वक्त में मोदी के भावुक होने का कोई मतलब नहीं है। ‘एक व्यक्ति 125 करोड़ लोगों के लिए फैसला नहीं ले सकता। नकदी बंद करने का फैसला लेने के पहले लोगों को विश्वास में लेना चाहिए था।’
और अंत में ठाकरे ने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जाने माने अर्थशास्त्री हैं । इसलिए उनकी बातों और विचार को गंभीरता से लेना चाहिए। जिस तरह रकम जमा करवायी जा रही है लगता है कि आम आदमी से धन लूटा जा रहा है। बहुत सारी आकांक्षाओं के साथ आपको सत्ता में लाने वाले लोगों की आंखों में आपने आंसू ला दिये।’