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एक ऑटो रिक्शा वाले का अनोखा प्रयास, महिलाओं को पहुंचाते हैं मुफ्त में मंजिल तक

एक ऑटो रिक्शा वाले का अनोखा प्रयास, महिलाओं को पहुंचाते हैं मुफ्त में मंजिल तक

Monday November 23, 2015 , 4 min Read

सतवीर सिहं साल में 5 दिन करवाते हैं महिलाओं को मुफ्त में सफर

अपने प्रयास से समाज को एक संदेश देना चाहते हैं सतवीर

पिछले 15 साल से दिल्ली में ऑटो चला रहे हैं सतवीर

2013 से महिलाओं को विशेष दिनों में मुफ्त में सवारी करवाते हैं सतवीर


महिलाएं समृद्ध समाज की नीव रखती हैं। जिस भी समाज में महिलाओं की इज्जत होती है और उन्हें समान दर्जा मिलता है वो समाज काफी तरक्की करता है और वहां पर चौमुखी विकास होता है जो कि एक मिसाल बनता है। लेकिन जिस समाज और देश में महिलाओं की इज्जत नहीं होती वो समाज कभी तरक्की नहीं कर पाता।

भारत में महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। कई प्रयासों के बाद भी महिलाओं के प्रति अपराध कम नहीं हो पा रहे हैं। सरकार ने महिलाओं के हितों के लिए कई कड़े कानून बनाए हैं लेकिन उसके बावजूद अपराध लगातार जारी हैं।

दिल्ली के एक ऑटो ड्राइवर सतवीर सिंह ने सोचा कि क्यों न वे अपने प्रयासों से समाज में जागरूकता लाएं जिससे अपराधों में कमी आए और हमारा समाज और देश तरक्की करे। सतवीर पिछले 15 सालों से दिल्ली में ऑटो चला रहे हैं वे बताते हैं कि 2012 में हुए निर्भया कांड ने उन्हें झकझोर दिया इस घटना ने उन्हें काफी दिनों तक सोने नहीं दिया और उसके बाद उन्होंने तय किया कि वे भी समाज में महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों के विरोध में अपनी तरफ से कुछ प्रयास करेंगे और उन प्रयासों से सामाज को एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश करेंगे।

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सतवीर ने साल के 5 दिन महिला दिवस, इंदिरा गांधी की पुण्य तिथि, रक्षा बंधन, भैया दूज और 16 दिसंबर को महिलाओं को मुफ्त में सवारी करवाने की सोची। सतवीर कहते हैं- 

"बिना पैसा लिए महिलाओं को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के पीछे केवल एक उद्देश्य है और वो है समाज को एक संदेश देना और उन्हें जागरुक करना।" 

इन 5 दिनों में वे अपने ऑटो के पीछे एक पट्टी लगाते हैं जिसमें वे बड़े बड़े अक्षरों में अपना संदेश लिखते हैं।

सतवीर गर्व से बताते हैं कि जहां भी उनका ऑटो जाता है और लोगों को उनके बारे में पता चलता है वहां लोग उनके साथ फोटो खिचवाने के लिए आ जाते हैं। उन्हें सेल्यूट करते हैं उनके प्रयास की सराहना करते हैं और उन्हें कहते हैं कि वे भी उनसे प्रेरित होकर महिलाओं के लिए कुछ ऐसा ही काम करेंगे। सतवीर मानते हैं कि वे लोगों को केवल जागरूक कर सकते हैं और 2013 से वे इसी प्रयास में लगे हैं। महिलाओं को फ्री ऑटो राइड केवल एक प्रयास है यह समाधान नहीं हैं।

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सतवीर का मानना है कि सरकारें अपनी तरफ से प्रयास कर रहीं हैं लेकिन महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों पर अगर रोक लगानी है तो केवल कानूनों से और भाषणों से कुछ नहीं होगा, बल्कि महिला अपराधों के कानून को कड़े से कड़ा करना होगा ताकि अपराधियों के मन में डर पैदा हो और वे अपराध करने से पहले डरें इसके अलावा समाज को भी जागरूक करने की काफी जरूरत है।

सतवीर कहते हैं कि कई बार उनके ऑटों में ऐसी महिलाएं भी सफर करती हैं जो मजबूरी के कारण और कोई सहारा न होने की वजह से गलत काम में पड़ चुकी हैं, ऐसे में सरकार को इस दिशा में भी काम करने की काफी जरूरत है । सतवीर उन महिलाओं को भी समझाने का प्रयास करते हैं और उन्हें जरूरी सलाह भी देते हैं।

सतवीर की दो बेटियां हैं और एक बेटा है वे चाहते हैं कि उनके बच्चे काफी शिक्षित हों और आगे चलकर वे भी समाज की कुरीतियों के विरोध में अपनी भूमिका अदा करें।

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उनका कहना है कि महिलाओं के प्रति अब सबको जिम्मेदारी समझनी होगी और शुरुआत हमें अपने घर की महिलाओं को सम्मान देकर करना होगा। महिलाओं और पुरुषों में कोई अंतर नहीं है। जो पुरुष कर सकते हैं वही महिलाएं भी करने में सक्षम हैं इसलिए अब समय आ गया है कि लोगों को एक साथ आगे आना होगा, अपराधियों का बहिष्कार करना होगा। महिलाएं देश की नीव होती हैं। मां के रूप में वे बच्चे की पहली शिक्षक होती है और कोई भी देश महिलाओं की उपेक्षा करके कभी आगे नहीं बढ़ सकता।