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पीट का टारगेट साफ था, तभी 'वनप्लस' बना अंपायर

पीट का टारगेट साफ था, तभी 'वनप्लस' बना अंपायर

Sunday November 04, 2018 , 5 min Read

'वनप्लस' के फाउंडर पीट लाउ आज सफल हार्डवेयर इंजीनियर ही नहीं, कामयाब बिजनेसमैन के रूप में भी पूरी दुनिया में स्थापित हो चुके हैं। इस कंपनी को बड़ा बनाने में उन्हे भी तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

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पीट लाउ ने जब ओप्पो को अलविदा कहा था, उन्होंने बाजार के मिजाज को अच्छी तरह परखते हुए कहा था कि वह बिना किसी खर्च के परफेक्ट स्मार्टफ़ोन बनाना चाहते हैं।

किसी वक्त में 'ओप्पो' में कार्यरत रहे चाइनीज कंपनी 'वनप्लस' के फाउंडर एवं हार्डवेयर इंजीनियर 43 वर्षीय पीट लाउ ने चार साल की कड़ी मेहनत से खुद का एंपायर खड़ा कर लिया। अब तो 'वनप्लस' के फोन फीचर्स एप्पल से टक्कर लेने लगे हैं। भारतीय स्मार्टफोन कंपनी 'माइक्रोमैक्स' की शिकायत पर चार साल पहले दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से भले 'वनप्लस' को बैन किया जा चुका हो, चीन के हांचुआन में 1975 में जन्मे पीट लाउ एक सफल हार्डवेयर इंजीनियर के रूप में पूरी दुनिया में मशहूर हो चुके हैं। इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्होंने ओप्पो कंपनी को ज्वॉइन कर लिया था। बाद में वहां के मार्केटिंग हेड अप्वॉइंट हो गए। आखिर में 2013 में वाइस प्रेसिडेंट पद से रिजाइन कर उन्होंने कुछ ही दिनो में छह सहकर्मियों के साथ खुद की 'वनप्लस' कंपनी लांच कर दी। पीट लाउ कहते हैं कि उन्होंने सिर्फ एक प्रोफेशन की तरह ही नहीं, बल्की निजी स्तर पर भी फोन मॉर्केट को गंभीरता से जाना-सीखा।

उनका कहना है कि किसी भी बिजनेस में खुद पर भरोसा सबसे बड़ी बात होती है। जो भी काम करना हो, उसे लेकर खुद में भरपूर आत्मविश्वास होना चाहिए। छोटा-बड़ा चाहे कोई भी काम शुरू करते समय तो हर किसी को दबावों का सामना करना पड़ता है। हालात तब करो या मरो जैसे रहते हैं। उन्हें भी वह सब झेलना पड़ा। आज अपने अतीत के कई कदमो पर पछतावा तो अपने कई डिसीजन पर गर्व भी होता है। पीट लाउ कहते हैं कि दिमाग में टारगेट फिक्स हो तो फतह सुनिश्चित है।

हाल ही में शाओमी कंपनी पर वनप्लस को ट्रोल करने के आरोप लगे हैं। जब शाओमी ने वनप्लस-6 को टक्कर देने के लिए पोको एफ-1 स्मार्टफोन लॉन्च किया तो उसको काफी पसंद किया जाने लगा। इसके बाद अब वनप्लस ने नया स्मार्टफोन वनप्लस-6टी लॉन्च कर दिया है तो शाओमी कंपनी की ओर से उसका मजाक बनाया जा रहा है। दरअसल, वनप्लस-6 और पोको एफ-1 दोनों ही स्मार्टफोन क्वॉलकॉम स्नैपड्रैगन प्रोसेसर-845 पर काम करते हैं लेकिन दोनों की कीमतों में बड़ा अंतर है। वनप्लस-6 स्मार्टफोन की कीमत 37,999 रुपए है, जबकि पोको एफ-1 स्मार्टफोन की कीमत 20,999 रुपए है।

इसलिए जब से वनप्लस-6 लॉन्च हुआ है, शाओमी पोको वनप्लस को '#DoTheMath' हैशटैग के जरिए ट्विटर पर ये कहते हुए ट्रोल कर रही है कि जितने बजट में वनप्लस-6टी को खरीदा जा सकता है, उतने में शाओमी के लगभग सभी प्रोडक्ट की एक यूनिट खरीदी जा सकती है। यह ट्रोलिंग भर नहीं, बल्कि शाओमी इसे एक कैंपेन की तरह चला रही है। इस बीच पोको ने ओपी बंडल ऑफर भी जारी किया, जिसके तहत 37,999 रुपए में ग्राहकों को पोको स्मार्टफोन के 6जीबी रैम व 128 जीबी स्टोरेज वेरिएंट के अतिरिक्त इस बजट में मी एयर प्यूरिफायर 2एस, मी पावर बैंक 2आई, मी बैंक 3, मी बॉडी कंपोजिसन स्केल, मी ब्लूटूथ स्पीकर बेसिक 2, मी एयरफोन, मी रोलर बॉल पेन, ब्लैक स्टैंड स्टोन पोको एफ1 मोबाइल स्कीन दे रही है।

मोबाइल मार्केट के इस उखाड़-पछाड़ के बीच शुरू से ही पीट लाउ की प्राथमिकता कम दाम में बेहतर क्वालिटी के प्रोडक्ट देना रही है। शुरू में वनप्लस के पास मैन्यूफैक्चरिंग सुविधा नहीं होने से उसके मोबाइल भी ओप्पो कंपनी ही बनाती थी। जब वर्ष 2014 में वनप्लस-1 की आधिकारिक घोषणा हुई, उसके फोन ऑनलाइन बिकने लगे। वनप्लस के 10 लाख फोन देखते ही देखते बुक हो गए। एक बार तो ऐसी नौबत आ गई कि बाजार में वनप्लस के फोन कम, मांग ज्यादा होने लगी। पीट लाउ कहते हैं कि ऐसे हालात की उन्हें कत्तई संभावना नहीं थी। इसके बाद बाजार में वनप्लस-1 की मोबाइल सीरीज आने लगी। इसी क्रम में पिछले सप्ताह कंपनी ने वनप्लस-6T लॉन्च किया है। 30 अक्तूबर की रात कंपनी ने इसे नई दिल्ली में आयोजित एक इवेंट में इसको भारत में लॉन्च कर दिया। इससे पहले 29 अक्टूबर को न्यू यॉर्क में आयोजित एक इवेंट में इसे बाजार में उतारा गया।

कामयाबी की ऐसी ही सफलता की दास्तान केरल के वायनाड निवासी एक मजदूर के बेटे पीसी मुस्तफा की रही है, जिन्होंने कुछ साल पहले महज 25 हजार रुपए से खुद की 'पैकेज्ड इडली और डोसा के रेडी टू मेक' कंपनी शुरू की, जिसका आज टर्नओवर 100 करोड़ रुपए से ज्यादा हो चुका है। मुस्तफा अगले पांच सालों में कंपनी का टर्नओवर 1000 करोड़ तक पहुंचाना चाहते हैं। आज उनकी कंपनी में एक हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं। पीट लाउ ने जब ओप्पो को अलविदा कहा था, उन्होंने बाजार के मिजाज को अच्छी तरह परखते हुए कहा था कि वह बिना किसी खर्च के परफेक्ट स्मार्टफ़ोन बनाना चाहते हैं।

उन दिनों वनप्लस कर्मियों की टीम कैफ़े में बैठकर एंड्रॉयड फोन और उसकी क्वालिटी के बारे में लोगों से बातें किया करती थी। जब पीट ने देखा कि उनकी टीम में ज्यादातर के पास आईफोन हैं, उन्होंने सोचा कि वे क्यों आईफोन के बजाए एंड्रॉयड नहीं इस्तेमाल करते हैं? इससे जो आइडिया बना, वही अन्य देशों की तुलना में वनप्लस के भारतीय स्मार्टफोन बाजार में धाक जमाने का सबब रहा। गौरतलब है कि बाद में 21 दिसम्बर 2014 को वनप्लस पर से दिल्ली हाई कोर्ट ने बैन हटा दिया था।

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