जीएसटी से उपभोक्ता होगा राजाः प्रधानमंत्री
संसद ने जीएसटी संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दी। लोकसभा में मौजूद सभी 443 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया। संसद ने आज बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर देश में नयी परोक्ष कर प्रणाली के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया। सरकार ने इसे कर आतंकवाद खत्म से मुक्ति की दिशा में महत्वपूर्ण पहल बताया तथा जीएसटी के तहत कर दर को यथासंभव नीचे रखने की बात कही। लोकसभा ने आज संविधान (122वां संशोधन) विधेयक पर सरकार द्वारा लाए गये संशोधनों को शून्य के मुकाबले 443 मतों से मंजूरी दे दी। अन्नाद्रमुक ने सदन से वाकआउट किया। राज्यसभा इस संविधान संशोधन विधेयक को पहले ही पारित कर चुका है। वैसे यह विधेयक पहले ही लोकसभा में पारित हो चुका था किन्तु उच्च सदन में सरकार द्वारा लाये गये संशोधनों के कारण इसे फिर से निचले सदन की मंजूरी दिलवानी पड़ी।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इससे देश में ‘‘कर आतंकवाद से मुक्ति’’ मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में गरीबों के उपयोग की अधिकतर वस्तुओं को कर से अलग रखा गया है और इससे भ्रष्टाचार और काले धन पर लगाम लगाने का मार्ग प्रशस्त होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी से मुख्य रूप से उन राज्यों को लाभ मिलेगा जिन्हें पिछड़ा माना जाता है। इससे असंतुलित विकास की समस्या पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी से संदेश जाएगा कि उपभोक्ता राजा है । जीएसटी को किसी पार्टी या सरकार की विजय नहीं बल्कि भारतीय लोकतंत्र की परंपरा और सभी की जीत के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘जीएसटी को किसी एक पार्टी या सरकार की विजय के रूप में नहीं बल्कि भारत की स्वस्थ लोकतांत्रिक परम्परा एवं सभी राजनीतिक दलों की जीत के रूप में देखा जाना चाहिए। यह सभी पूर्व की सरकारों और वर्तमान सरकार के प्रयासों का नतीजा है। ’’
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को देश में ‘‘कर आतंकवाद से मुक्ति’’ की दिशा में महत्वपूर्ण कदम करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि इस व्यवस्था में ग़रीबों के उपयोग की अधिकतर वस्तुओं को कर से अलग रखा गया है और इससे भ्रष्टाचार और काले धन पर लगाम लगाने का मार्ग प्रशस्त होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे देश की इकनॉमी को संचालित करने में ये छोटे छोटे कारोबारी बड़ी ताकत हैं। इन्हें नयी व्यवस्था से लाभ होगा। उन्होंने कहा कि आज हम देखते हैं कि हमारे चुंगी नाका पर. हम कई मील तक कतार देखते हैं। और ऐसा अनुमान है कि हमारे देश में ये चलते फिरते साधन हैं जो अपनी क्षमता का केवल 40 फीसदी ही उपयोग करते हैं 60 फीसदी का इस्तेमाल नहीं हो पाता।
मोदी ने कहा कि एक आर्थिक सर्वे एजेंसी ने बताया कि इन कारणों से भारत में एक लाख 40 हजार करोड़ रूपए का नुकसान का अनुमान है। जीएसटी के कारण ये सारी बाधाएं दूर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि चुंगी के कारण गाड़ियां घंटों तक खड़ी रहती है। इस व्यवस्था से पर्यावरण को फायदा होगा। सारी चीजों में एक बहुत बड़ी सुविधा पैदा होगी। सरलीकरण आने वाला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस व्यवस्था के कारण राज्यों की कठिनाइयां दूर करने में सुविधा होगी। उनकी आय बढ़ेगी। आज जो राज्य पिछड़े माने जाते हैं. इस व्यवस्था के कारण उनकी आय बढ़ना तय है। इसके कारण उन राज्यों को शिक्षा में, स्वास्थ्य, ढांचागत सुविधाओं में धन लगाना है तो उनके लिए इस व्यवस्था से जो आय बढ़ने वाली है. वे उसमें लगा सकते हैं।
मोदी ने कहा कि भारत के विकास के लिए पश्चिम में जो विकास हम देख रहे हैं, पूर्वी हिस्से को उसकी बराबरी पर लाना चाहिए। असुंलित विकास रूकावट पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा कि हम यह कहना चाहते हैं कि जीएसटी के माध्यम से ऐसे राज्य इसका अधिकत फायदा उठाएँ। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से हम देखते ही देखते देश के सपनों को पूरा कर पाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ आज देश अनुभव कर रहा है कि एक मंच, एक मन, एक मार्ग, एक मंजिल. इस मंत्र का आज जीएसटी की इस सारी प्रक्रिया में हम सब ने अनुभव किया है। इसलिए यह बात सही है कि राज्यसभा में अंकगणित में तो यह विधेयक संकट में आ सकता था। यह सही है कि राज्यों को केंद्र के प्रति अविश्वास का माहौल था। यह अपने अपने अनुभवों के कारण था और इसमें सबसे बड़ी जरूरत थी कि राज्यों और केंद्र के बीच एक विश्वास पैदा हो। सबसे बड़ी आवश्यकता थी कि यह निर्णय केवल बहुमत के आधार पर नहीं हो बल्कि सहमति के आधार पर हो।मैंने पहले भी इसी सदन में कहा है कि लोकतंत्र बहुमत के अंक का फेर नहीं हो सकता ये सहमति की यात्रा है। सबके सुझावों पर विचार करने के प्रयास के साथ इस अभूतपूर्व सहमति का माहौल पैदा हुआ। अब उसमें से शक्ति पैदा होती है जो शक्ति राष्ट्र के लिए एक बहुत बड़ी अमानत है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ हम सब अलग अलग राजनीतिक विचारों से जुड़े हुए हैं। राजनीति हमारे जेहन में है. हमारी बातों में हैं, उसका कहीं न कहीं आ जाना स्वाभाविक है। चर्चा में हमने देखा कि हमने इस पवित्र स्थान को राजनीति का मंच नहीं बनने दिया बल्कि यह राष्ट्रीय हितों का मंच बना। राजनीति से उपर राष्ट्रनीति होती है। ’’ उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि कोई शिकायत नहीं होगी। कुछ लोगों को अभी भी शिकायत होगी। यही तो लोकतंत्र की ताकत है। उसके बाद भी हमने प्रयास किया है कि इसे आगे बढाएं।
मोदी ने कहा कि जीएसटी के कारण हम बहुत बड़ी संभावनाएं देख रहे हैं। अलग अलग राज्यों में परीक्षा में, टैक्स प्रोसेसिंग, रेट के संबंध में एकरूपता आएगी। मोदी ने कहा कि छोटे छोटे उद्यमियों, व्यापारी को जूझना पड़ता है। इसके कारण यह परेशानी समाप्त हो जाएगी। एक सरलीकरण आ जाएगा। छोटे उद्यमियों को भी लाभ होगा। उपभोक्ता को सबसे अधिक लाभ होने वाला है। छोटे कारोबारियों को यह सुरक्षा की गरंटी देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी के कारण उपभोक्ता राज्यों को अधिक फायदा होने वाला है, लेकिन विनिर्माण राज्यों को नुकसान की भरपाई के लिए प्रावधान किया गया है। जिन राज्यों को तकलीफ़ होने वाली है उनकी राहत का भी प्रावधान है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर दो भाइयों के बीच में झगड़ा होता है, तो मुख्य रूप से संपत्ति के कारण होता है। राज्य-केंद्र के बीच का तनाव भी प्राकृतिक संसाधनों को लेकर और संपत्ति को लेकर रहता है। इस व्यवस्था के कारण एक पारदर्शिता आएगी। केंद्र और राज्य से कितना धन एकत्र हो रहा है, यह राज्य को पता होगा, केंद्र को पता होगा। लिखित नियमों के आधार पर बंटवारा होगा।
मोदी ने कहा कि हमें मालूम है कि हमारे देश में राजस्व और राजकोषीय घाटे पर सभी ने मिलकर एक वित्तीय निर्णय के लिए एफआरबीएम कानून बनाया, जिसके कारण भारत में राजस्व और राजकोषीय घाटे के बीच संतुलन का प्रयास हुआ है। इससे राज्यों की आर्थिक सेहत में सकारात्मक बदलाव आया है।
उन्होंने कहा कि इस सरकार ने ‘कानूनन’ एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। पहली बार इस सरकार ने कानून के तहत आरबीआई से कहा है कि अब मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत तक लाया जाए। यह अब वित्तीय संस्थाओं की जवाबदेही होगी। मोदी ने कहा कि इसलिए जीएसटी इस माहौल को तैयार करने में एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म बन सकता है जो गरीबी के खिलाफ लड़ने में भी काम आ सकता है। हम जानते हैं कि जब आम लोग बैंकों में लोन लेने जाते हैं तो कितनी दिक्कत होती है। इस नयी व्यवस्था से ये सवालिया निशान हमेशा हमेशा के लिए मिट जाएगा। राज्य भी अपने निर्णय कर विकास , सोशल सेक्टर सारी बातों को तेज़ गति से आगे बढ़ा सकते हैं।
मोदी ने कहा कि आज हम देख रहे हैं कि कई तरह के स्वरूप हैं और इसके स्थान पर एक समान कर व्यवस्था आने से कर की दर और कर की प्रणाली को सुगम बनाने में मदद मिलेगी। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उपभोक्ता राजा है (कंज्यूमर इज किंग)। उन्होंने कहा कि इससे छोटे छोट उद्यमियों और उपभोक्ताओं को लाभ होगा। इससे अर्थव्यवस्था के विकास के विभिन्न पहलुओं को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से और तेज गति से चलाने के लिए पांच बातों पर ध्यान देने की जरूरत होती है जिसमें व्यक्ति, मशीन, सामग्री, धन और समय शामिल है। और इनका सर्वोच्च उपयोग किये जाने की जरूरत है। जीएसटी के माध्यम से हम उस दिशा में बढेंगे।
उन्होंने कहा कि यह एक सरलीकृत व्यवस्था को आगे बढ़ाने वाली है। विदेशों से आने वाले पेट्रोलियम में भी लाभ होगा। हर राज्य एक दूसरे पर निर्भर है, लेनदेन पर निर्भर हैं। इस व्यवस्था से राज्यों के बीच कठिनाइयों को दूर करने में मदद मिलेगी।
मोदी ने कहा कि जीएसटी से सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि समानता के आधार पर आगे बढ़ने और संतुलित विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि इससे विनिर्माण राज्यों को कुछ परेशानी पेश आ सकती है और भारत सरकार ने विनिर्माण राज्यों को राहत प्रदान करने की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से पारदर्शिता आयेगी और केंद्र एवं राज्यों के बीच विश्वास बढेगा। यह व्यवस्था संघीय ढांचे को मजबूत बनायेगी। उन्होंने कहा कि जीएसटी विधेयक के तहत ग़रीबों के लिए जितनी उपयोग की चीजें हैं, उन्हें कर के दायरे से बाहर रखा गया है। जरूरी दवाओं को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह व्यवस्था भ्रष्टाचार और कालेधन पर रोक लगाने में कारगर होगी। इससे कर एकत्र करने की लागत में कमी आयेगी और सरकारी हस्तक्षेप को कम करने में मदद मिलगी। इससे भ्रष्टाचार शून्य की ओर बढ़ेगा।
बहुप्रतीक्षित जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पर लोकसभा में हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री ने जीएसटी के लिए सभी राजनीतिक दलों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘‘जीएसटी को किसी एक पार्टी या सरकार की विजय के रूप में नहीं बल्कि भारत की स्वस्थ लोकतांत्रिक परम्परा एवं सभी राजनीतिक दलों की जीत के रूप में देखा जाना चाहिए। यह सभी पूर्व की सरकारों और वर्तमान सरकार के प्रयासों का नतीजा है। ’’ उन्होंने कहा कि जीएसटी के मामले में ‘‘कंज्यूमर इज किंग :उपभोक्ता ही सम्राट है:।’’ उन्होंने जीएसटी लागू होने से आम उपभोग की वस्तुओं के महंगे होने की आशंकाओं को परोक्ष रूप से निर्मूल साबित करते हुए कहा कि उपभोक्ताओं के आम उपयोग की अधिकतर वस्तुओं पर लगने वाले कर को अलग रखा गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी का अर्थ ‘ग्रेट स्टेप बाई इंडिया (भारत की महान पहल) है, जीएसटी का अर्थ ग्रेट स्टेप टूवर्डस ट्रांसपेरेंसी (पारदर्शिता की तरफ महान कदम), ग्रेट स्टेप टूअर्डस ट्रांसफार्मेशन (बदलाव की दिशा में महान कदम) है। इसलिए हम एक एक नई व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं जो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के सपने को साकार करने वाली है।
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी की तत्कालीन राज्य सरकार के वित्त मंत्री द्वारा जीएसटी का विरोध करने संबंधी सवाल पर मोदी ने कहा कि जीएसटी को लेकर संशय रहे हैं। ‘जब मैं मुख्यमंत्री था, तब मेरे मन में भी संशय रहा। इस बारे में मैंने तब प्रणब मुखर्जी से चर्चा की थी। मुख्यमंत्री के रूप मेरे अनुभव प्रधानमंत्री के रूप में जीएसटी को समझने में काम आए। इस कालखंड में काफी कमियों को दूर किया ्रगया और इसमें सभी का योगदान है। ’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ यह पहल टैक्स टेरर :कर आतंकवाद: से मुक्ति की दिशा में एक अहम पहल है। जो सात से लेकर 13 कर व्यवस्थाओं के स्थान पर लाई गई है।’’ जारी
‘जीएसटी के जन्मदाता’ होने के कांग्रेस के दावे पर हास्य-विनोद के अंदाज में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि जन्म कोई दे, लालन पालन कोई करे। कृष्ण को जन्म किसी ने दिया, कृष्ण को बड़ा किसी ने किया। लोकसभा में जीएसटी पर संविधान (122वां संशोधन) विधेयक पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय वह सभी रजनीतिक दलों, सभी राज्य सरकारो समेत सभी का धन्यवाद करने के लिए खड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ एक ऐसा निर्णय हम कर रहे हैं जिसमें राज्यसभा, लोकसभा, 29 राज्य और जिनके कोई कोई नुमाइंदे जीत कर आए हैं.. ऐसे 90 राजनीतिक दल, उन सब ने एक व्यापक मंथन करके, विचार मंथन करके आज हमें यहां पहुंचाया है। ’’ मोदी ने कहा, ‘‘ इसलिए यह बात सही है कि जन्म कोई दे, लालन पालन कोई करे। कृष्ण को जन्म किसी ने दिया, कृष्ण को बड़ा किसी ने किया। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ ये भारतीय लोकतंत्र की उच्च परपंराओं की विजय है। ये सभी राजनीतिक दलो की विजय है। ये पहले की और वर्तमान की सभी सरकारों के योगदान से है और इसलिए कौन जीता कौन हारा..इसके लिए मैं नहीं मानता कि विवाद की जरूरत है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि अगस्त क्रांति का बिगुल आठ अगस्त को बजा था और महात्मा गांधी ने इसी दिन भारत छोड़ो के मंत्र के साथ देश को आजादी के पूरे आंदोलन में एक बहुत बड़ी तीव्रता के साथ आंदोलित किया था। नौ अगस्त को आजादी के दीवानों पर बहुत सारे जुल्म ढााए गए थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज आठ अगस्त को अगस्त क्रांति के 75 साल हो रहे हैं। उन सभी आज़ादी के दीवानों को स्मरण करते हुए आज का दिन ‘कर आतंकवाद’ से मुक्ति का दिवस होगा। उस दिशा में हमारी संसद..दोनों सदनों के सभी सांसद, मिलकर एक बहुत बड़ा अहम कदम उठाने जा रहे हैं। मोदी ने कहा कि हमारे देश में टैक्स को लेकर कैसी स्थिति रही है, कुछ लेागों को यह मालूम होगा। टैक्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक मसला आया था और विषय यह आया था कि नारियल को फल माना जाए कि सब्जी माना जाए। नारियल पर फल के आधार पर टैक्स हो या सब्जी के आधार पर। कर को लेकर कैसे कैसे उतार चढ़ाव आए हैं उसे समझने के लिए यह घटना अपने आप में पर्याप्त है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम रेलवे की तरफ देखते हैं तो एक भारत की अनुभूति आती है। जब डाकखाने देखते हैं, जब आल इंडिया सर्विसेज को देखते हैं तो एक महक आती है। जब हम डिजिटल इंडिया की बात करते हैं , सागरमाला की बात करते हैं तो एक भारत, श्रेष्ठ भारत की अनुभूति होती है। ये सारे उपक्रम इस बात को बल देते हैं और उसी सिलसिले में आज हम जीएसटी का एक नया मोती इस माला में पिरो रहे हैं जो एक भारत के भाव को ताकत देता है।- पीटीआई