Breast Cancer: स्तनों की सुंदरता से ज्यादा जरूरी है उसकी सेहत को लेकर सजग होना
स्तन के भीतर और बाहर हो रहा किसी भी तरह का असामान्य परिवर्तन ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है, जिसे नजरंदाज नहीं करना चाहिए.
फोबी वॉलर ब्रिज की एक कॉमेडी ड्रामा सीरीज है- ‘फ्लीबैग.’ उस कहानी में ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए ब्रेस्ट सेल्फ एक्जामिनेशन का एक सीन है. मैंने अपने जीवन में दस हजार से ज्यादा फिल्में और सीरीज देखी होंगी, लेकिन याद नहीं आता कि पहले कभी स्क्रीन पर ब्रेस्ट सेल्फ एक्जामिनेशन का कोई सीन देखा हो.
समाज, संस्कृति और पॉपुलर मीडिया महिलाओं के स्तनों को सुंदरता के प्रतीक के रूप में हजार तरीकों से ग्लोरीफाई करता है, उसकी तारीफ और शान में कसीदे पढ़ता है. लड़कियां खुद भी अपने स्तनों के आकार, रूप-रंग आदि को लेकर कम ऑब्सेस्ड नहीं होतीं. लेकिन उसके स्वास्थ्य को लेकर समाज में जागरूकता का स्तर बहुत कम है. सिनेमा, विज्ञापन और पॉपुलर कल्चर में इस पर बात नहीं होती. परिवारों में बात नहीं होती. सूचना और जागरूकता फैलाने के जितने भी जरिए हो सकते हैं, उसमें से कोई जरिया लड़कियों को ढंग से ये नहीं बताता कि उन्हें स्तनों की सुंदरता से ज्यादा उसकी सेहत को लेकर सजग होना चाहिए.
क्या आपने कभी सिनेमा में ऐसा कोई दृश्य देखा है? या कोई भी ऐसा वाकया, जिसमें ब्रेस्ट कैंसर का जिक्र आता हो. स्कूल, कॉलेज, घर-परिवार में कभी महिलाओं को इस बारे में बात करते सुना. कभी किसी ने बड़ी होती लड़की से यह कहा कि लड़कियों और महिलाओं को नियमित रूप से ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन करना चाहिए या हम ये कैसे कर सकते हैं. मेरे घर में ब्रेस्ट कैंसर का एक केस होने के बाद भी मैंने कभी पुरानी या नई पीढ़ी की महिलाओं को इस बारे में आपस में बात करते नहीं सुना. ये उतनी ही छिपाकर रखने और चुपके से बोली जाने वाली बात है, जितने कि पीरियड्स.
केरेन बर्जर एक खानाबदोश घुमक्कड़ हैं, जिन्होंने बहुत सारे अलग-अलग विषयों पर किताबें लिखी हैं. ‘You Can Do It! The Merit Badge Handbook for Grown Up Girls’ जैसी लड़कियों के लिए गाइडबुक लिखने वाली केरेन की एक किताब है- ‘व्हॉट विमेन नीड टू नो अबाउट ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन’ (What Women Need To Know About Breast Self-Examination). इस किताब में केरेन बिलकुल सरल तरीके से आम बोलचाल और समझ की भाषा में लड़कियों से संवाद करती हैं और हर उस सवाल को छूती हैं, जिसका संबंध ब्रेस्ट कैंसर से है.
केरेन जोर देकर कहती हैं, “ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी हर वो बात, जो हरेक लड़की को जरूर पता होनी चाहिए. सेल्फ एग्जामिनेशन भी उसमें से एक है. तुम कभी भी, कहीं भी अपने हाथों से अपने स्तनों की जांच कर सकती हो. ये करना खुद को प्यार करने की तरह है. अपनी हथेलियों, अपनी उंगलियों से खुद को छूना और ये यकीन दिलाना कि तुम्हारे स्तन सुरक्षित और स्नेहिल हाथों में हैं. कोई है, जिसे उनका प्यार और ख्याल दोनों है. और वो कोई और नहीं लड़की ! तुम खुद हो.”
क्या है ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन
ब्रेस्ट कैंसर 97 फीसदी मामलों में महिलाओं को होने वाला एक कैंसर है, जिसकी संख्या विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 4 दशकों में 34 गुना बढ़ी है. यानी अब पहले से कहीं ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं.
सेल्फ एग्जामिनेशन एक तरह के जांच या परीक्षण की प्रक्रिया है, जो महिलाएं घर पर खुद से कर सकती हैं. सेल्फ एग्जामिनेशन 100 फीसदी कारगर नहीं है और जरूरी नहीं कि हर बार इससे कैंसर पकड़ में आ ही जाए. लेकिन यह अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और जिम्मेदार होने की बात है. यदि शुरुआती स्टेज में ही कैंसर पकड़ में आ जाए तो उसका इलाज होना आसान होता है. चौथी स्टेज तक पहुंचने पर कैंसर ब्रेस्ट से बढ़कर शरीर के बाकी हिस्सों में भी फैलने लगता है.
ब्रेस्ट कैंसर को समय रहते डिटेक्ट करने का एक और तरीका है मेमोग्राम या मेमोग्राफी टेस्ट. लेकिन चूंकि इस टेस्ट की प्रक्रिया में खतरनाक रेडिएशन से गुजरना पड़ता है, इसलिए डॉक्टर बिना किसी लक्षण के 40 साल की उम्र से पहले मेमोग्राम करवाने की सलाह नहीं देते. 40 के बाद जरूर कोई शुरुआती लक्षण या संकेत न होने पर भी यह टेस्ट करवा लेना सुरक्षित है.
साथ ही डॉक्टर सलाह देते हैं कि 20 साल की उम्र के बाद हर लड़की को महीने में एक बार सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करना चाहिए और कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
ब्रेस्ट के भीतर और बाहर हो रहा किसी भी तरह का असामान्य परिवर्तन ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है, जिसे नजरंदाज नहीं करना चाहिए. जैसेकि-
1- ब्रेस्ट के भीतर गांठें बनना या ऊतकों का असामान्य ढंग से मोटा और कठोर होना.
2- ब्रेस्ट की बाहरी त्वचा का लाल होना.
3- ब्रेस्ट में जगह-जगह छोटी-छोटी गुठलियों जैसा उभार.
4- निप्पल्स से किसी भी तरह का और रंग का असामान्य द्रव निकलना.
5- ब्रेस्ट के बाहरी आकार में अचानक असामान्य ढंग से परिवर्तन होना.
6- निप्पल्स का उभार बाहर की तरफ न होकर भीतर की ओर होना.
7- ब्रेस्ट के आसपास बांह और बगलों में सूजन या गांठ जैसा बनना.
घर पर कैसे करें सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन
सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन की प्रक्रिया बहुत सरल है, जिसके जरिए आसानी से ब्रेस्ट में हो रहे किसी भी तरह के आसामान्य बदलाव का पता लगाया जा सकता है.
1- आईने के सामने खड़े होकर अपने ब्रेस्ट का गौर से मुआयना करें.
2- ये काम जल्दबाजी में और कम रौशनी में नहीं करना चाहिए. कम से कम 7-8 मिनट तक एक ब्रेस्ट की बारीकी से जांच करना जरूरी है.
3- पहले बाएं हाथ को ऊपर उठाएं और दाहिने हाथ से बाएं स्तन के हरेक हिस्से को छूकर और दबाकर जांच करें कि कहीं कोई गांठ जैसा तो नहीं महसूस हो रहा.
4- सिर्फ ब्रेस्ट को ही नहीं, बल्कि अंडर आर्म्स, अंडर आर्म्स के निचले हिस्से, बाहों के नीचे और बाएं ब्रेस्ट के बगल में पूरी त्वचा को अच्छी तरह दबाकर चेक करें कि कहीं, गांठ, सूजन, मस्सा आदि तो नहीं है.
5- अगर ब्रेस्ट के किसी हिस्से को जोर से दबाने पर दर्द महसूस हो रहा है तो उसे भी इग्नोर न करें. हालांकि पीरियड्स के समय और प्रेग्नेंसी के दौरान स्तनों में और निप्पल में हल्का दर्द होना सामान्य है. यदि इसके अलावा बाकी समय में भी दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
6- अब इसी प्रक्रिया को दाहिने स्तन के साथ दोबारा दोहराएं. दायां हाथ ऊपर उठाकर बाएं हाथ से जांच करें कि किसी तरह की गांठ, सूजन, मस्सा आदि तो नहीं है.
7- यदि स्तनों के रंग, आकार आदि में कोई भी असामान्य बदलाव हो रहा है तो सजग हो जाएं. डॉक्टरी सलाह जरूरी है.
8- सेल्फ एग्जामिनेशन नियमित रूप से किया जाना चाहिए. खुद को नियमित तौर पर देखते रहने से यह होगा कि किसी भी तरह का असामान्य परिवर्तन तुरंत नोटिस में आएगा.
9- एक बात को हमेशा ध्यान में रखें कि ब्रेस्ट कैंसर की जांच सिर्फ ब्रेस्ट की बाहरी उभरी मांसपेशियों को चेक करने से नहीं होती. अंडर आर्म्स, उसके नीचे के हिस्से, दाईं और बाईं तरफ पीठ से सटी पूरी त्वचा में भी अगर कोई गांठ जैसी महसूस हो रही है तो वो ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है.
10- शुरुआती स्टेज में ब्रेस्ट कैंसर की गांठ में दर्द नहीं होता. इसलिए यदि आपको छूने पर गांठ महसूस होती है, लेकिन उसमें कोई दर्द, सूजन या तकलीफ नहीं हो रही तो भी इग्नोर न करें.
11- इस प्रक्रिया को हर महीने दोहराएं. अपने आसपास की महिलाओं से इस बारे में बात करें और एक-दूसरे को जागरूक करें.
12- ऊपर लिखे गए लक्षणों के अलावा भी किसी भी तरह का असामान्य बदलाव दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.