पढ़ाई और खेल के लिए जुनून ने रविंद्रन से बनवा दिया दुनिया का सबसे बड़ा Edtech फर्म Byju's
Byju's को बायजू रविंद्रन और उनकी पत्नी दिव्या गोकुलनाथ ने 2011 में थिंक एंड लर्न नाम से शुरू किया था. 2015 में इसे बायजूज ऐप नाम से शुरू किया गया. शुरू होने के 7 साल बाद 2018 में बायजूज इंडिया की पहली एडटेक और 11वीं यूनिकॉर्न कंपनी बन गई.
'खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब' आज नहीं, आज से 7....8 साल पहले स्कूल के बाद खेल के दीवाने बच्चों को अक्सर ये लाइनें सुनने मिल जाया करती थीं. लेकिन, बीते सालों में जिस तरह इंडिया में खेल से जुड़े हालात बदले हैं उसने इस लाइन को कठघरे में खड़े कर दिया है. आप सोच रहे होंगे हम यूनिकॉर्न कंपनी की कहानी सुनने आए थे, फिर ये स्पोर्ट्स की गाथा क्यों? इस भूमिका का मतलब आपको अगले पैरा के बाद समझ आएगा. आइए जानते हैं आगे की कहानी.......
दरअसल आज की यूनिकॉर्न ऑफ इंडिया सीरीज में हम बात करने वाले हैं
. इसे खड़ा करने वाले बायजू रविंद्रन का स्पोर्ट्स से बहुत गहरा कनेक्शन है. बायजू ने अपनी जिंदगी के सारे हुनर स्पोर्ट्स से ही सीखे हैं. उनके पिता ने भी उन्हें हमेशा यही सीख दी कि स्कूल की पढ़ाई से ज्यादा आप बाहर सीखते हैं. स्पोर्ट्स आपको टीम के साथ काम करना, टीम लीड करना, स्ट्रैटजी बनाना और अपनी गट फीलिंग पर डिसिजन लेना सीखाता है. एक बिजनेस चलाने के लिए ये स्किल रामबाण की तरह काम करते हैं.कहां से आया आइडिया
केरल के एक छोटे से गांव अजीकोड से पढ़ाई करने वाले बायजू रविंद्रन को शुरू से मैथ्स, साइंस काफी लगाव था. बीटेक करने के बाद यूके की एक शिपिंग कंपनी में उनकी नौकरी लग गई. वहां काम करते हुए उन्हें दो साल हो गए थे. मगर तब तक उनके जहन में स्टार्टअप शुरू करने का कोई खयाल नहीं आया था.
बायजू किसी काम से बेंगलुरू आए, जहां उनके कुछ दोस्त CAT की तैयारी कर रहे थे. बायजू को मैथ्स काफी पसंद थी इसलिए दोस्तों ने उन्हें मैथ पढ़ाने के लिए मना लिया. हंसी मजाक में उन्होंने भी फॉर्म भर दिया, हैरानी तो तब हुई जब एग्जाम में उनके 100 पर्सेंटाइल आ गए, Byju's को एमबीए में कोई इंटरेस्ट तो था नहीं इसलिए उन्होंने एडमिशन नहीं लिया और वापस चले गए.
2005 में बायजू का एक बार फिर इंडिया आना हुआ, दोस्तों ने पिछली बार की तरह फिर से उनसे मदद मांगी. इस बार तो उन्होंने 6 सप्ताह के अंदर करीबन 1000 बच्चों को वर्कशॉप कराई. उनका ये वर्कशॉप काफी पॉपुलर रहा. देखते-देखते स्टूडेंट्स का नंबर 25 गुना बढ़ गया. जी हां, बायजू ने कई दिनों तक करीबन 25000 बच्चों को स्टेडियम में पढ़ाया.
शुरू में वर्कशाप फ्री होते थे मगर बाद में बायजू ने इसके बदले कुछ चार्ज लेना शुरू कर दिया. पेड वर्कशॉप को भी लोगों से बढ़िया रेस्पॉन्स मिलता देख उन्होंने नौकरी छोड़कर कोचिंग को ही पूरा टाइम देने का फैसला किया. धीरे-धीरे बायजू के चर्चे फैले, तो उनकी वर्कशॉप में भीड़ बढ़ गई. बायजू की क्लास बेंगलुरु से बढ़कर दूसरे 5-6 शहरों में पहुंच गई.
हायर क्लासेज को पढ़ाते हुए उन्हें समझ आया कि इंडिया में पढ़ाई का बेस काफी कमजोर है. उन्होंने अपना फोकस स्कूल के बच्चों को पढ़ाने पर शिफ्ट कर दिया. वर्कशॉप को दूर बैठे लोग भी देख सकें इसलिए उन्होंने 2009 से अपने वर्कशॉप का विडियो बनाना शुरू कर दिया. बायजू के ही कुछ पुराने स्टूडेंट ने उन्हें Byju's क्लासेज शुरू करने की सलाह दी. सलाह मान कर रविंद्रन ने 2011 में थिंक एंड लर्न नाम की कंपनी शुरू की.
फंडिंग की बहार
थिंक एंड लर्न शुरू होने के 2 साल बाद ही 2013 में कंपनी को ऐरिन कैपिटल से 9 मिलियन डॉलर की पहली फंडिंग मिली. 2015 में ही कंपनी को सिकोया कैपिटल से 25 मिलियन डॉलर मिल गए. इतनी बड़ी रकम मिलने के बाद थिंक एंड लर्न और बिल्कुल रॉकेट की स्पीड में ग्रो करने लगी.
रविंद्रन ने उसी साल Byju's लर्निंग ऐप लॉन्च कर दिया, जिसे पहले ही साल में 55 लाख लोगों ने डाउनलोड भी कर लिया. उस समय कंपनी क्लास 4 से 12 तक के बच्चों के लिए ही कंटेंट बना रही थी. चार साल बाद कंपनी ने क्लास 1 से 3 के स्टूडेंट्स के लिए भी कोर्सेज, विडियोज ऐड कर दिए.
2016 में कंपनी ने फंडिंग के मामले में एक नया खिताब अपने नाम किया. Byju's चान जुकरबर्ग इनीशिएटिव से फंडिंग पाने वाली एशिया की पहली कंपनी बन गई. साल 2017 कंपनी के लिए और बड़े खिताबों से भरा रहा. ब्रसेल्स के एक फैमिली ऑफिस वर्लिनइनवेस्ट ने 600 मिलियन डॉलर का निवेश किया.
इस समय तक कंपनी के पास 3 लाख एनुअल पेड सब्सक्राइबर्स आ चुके थे. इतने कम समय में एक नए स्पेस में अपनी धाक जमा लेने वाली Byju's पर हार्वर्ड स्कूल ने केस स्टडी भी की. उसी साल Byju's ने शाहरुख खान को अपना ब्रैंड एंबेसडर बनाया. तब तक कंपनी का वैल्यूएशन 800 मिलियन डॉलर पर पहुंच चुका था.
अगले ही साल 2018 में कंपनी ने आराम से 1 अरब डॉलर का वैल्यूएशन हासिल कर लिया और इंडिया की पहली एड टेक यूनिकॉर्न बन गई. उसके निवेशकों की लिस्ट में टेंसेंट, नैस्पर्स, जनरल अटलांटिक, कतर इनवेस्टमेंट अथॉरिटी जैसे कई बड़े नाम शामिल हो चुके हैं.
Byju's ने ऑनलाइन एजुकेशन के बढ़ते ट्रेंड का सबसे बड़ा फायदा कमाया. उसकी ग्रोथ ने न सिर्फ कंपनी के नाम कई खिताब किए बल्कि रविंद्रन को भी अरबपति बना दिया. 2019 में रविंद्रन को फोर्ब्स की बिलियनेयर लिस्ट में जगह मिली.
क्या ऑफर करती है Byju's
कंपनी फ्रीमियम मॉडल पर काम करती है. यानी शुरू में स्टूडेंट्स को 15 दिन के लिए बेसिक और लिमिटेड फीचर फ्री में देती है. ट्रायल खत्म होने के बाद कोर्स एक्सेस करने के लिए आपको पैसे खर्चने होंगे. कंपनी अपने सब्सक्राइबर्स को वन टू वन मेंटरिंग सेशन भी देती है. बच्चों के पैरेंट्स को फीडबैक भी देती है.
Byju's का दावा है कि वह अपने प्लैटफॉर्म पर बच्चों को वर्ल्ड क्लास टीचर, इनोवेटिव मेथड के साथ विडियोज और हर स्टूेडेंट को पर्सनलाइज्ड लर्निंग प्रोवाइड कराता है. Byju's के ऐप पर क्लास एक से लेकर क्लास 12 तक के बच्चों के अलावा कॉम्पिटिटीव एग्जाम जैसे- IIT-JEE, नीट, कैट, GRE, और GMAT एग्जाम की तैयारी के लिए ऑनलाइन विडियो लेक्चर्स भी प्रोवाइड कराता है. इसके अलावा नोएडा, गुड़गांव, और कुछ और जगहों पर वो क्लासरूम कोचिंग भी देती है.
कैसे होती है कमाई
Byju's तीन तरीकों से कमाई करती है. पहला है ऐप से. 15 दिनों के ट्रायल के बाद स्टूडेंट्स को कोर्स खरीदना ही पड़ता है. ऐप पर बच्चों को ढेरों वैराइटी के टेस्ट सीरीज, कोर्स जैसी चीजें ऑफर की जाती हैं. दूसरा है, जो लोग कोर्स खरीदते हैं उन्हें Byju's से इलेक्ट्रॉनिक टैबलेट्स भी खरीदने होते हैं. इस टैब में उन्हें विडियो, टेस्ट, प्रैक्टिस क्वेश्चन, क्विज जैसी चीजें भरी होती हैं. रेवेन्यू का तीसरा सोर्स है क्लासरूम टीचिंग जो ये अभी चुनिंदा शहरों में ही ऑफर कर रही है.
Byju's के पीछे की टीम
बायजू रविंद्रन ने Byju's को दिव्या गोकुलनाथ के साथ मिलकर शुरू किया था. दिव्या गोकुलनाथ खुद एक आंत्रप्रेन्योर और एजुकेटर होने के साथ रविंद्रन की पत्नी भी हैं. कंपनी ने 2021 में रचना बहादुर को Byju's का सीनियर वाइस प्रेजिडेंट बनाया है. जो Byju's की आगे की स्ट्रैटजी, रोडमैप को देखने का काम संभालेंगी. रविंद्रन के पास कंपनी में 25 पर्सेंट हिस्सेदारी है. जबकि दिव्या और मैनेजमेंट टीम के पास कंपनी में करीबन 4 पर्सेंट हिस्सा है.
एक्विजिशन
बिजनेस के मामले में Byju's का अप्रोच काफी एग्रेसिव रहा है. 2011 में शुरू हुए Byju's ने अब तक कुल 19 कंपनियों का अधिग्रहण किया है. इसमें से 10 कंपनियां उसने अकेले 2021 यानी कोविड के दौरान खरीदी हैं. इन एक्विजिशन पर कंपनी ने 2.4 अरब डॉलर का खर्च किया है. इसमें बेंगलुरु की ऑगमेंटेड रिएलिटी स्टार्टअप whodat से लेकर सिंगापुर की अपस्किलिंग प्लैटफॉर्म ग्रेट लर्निंग और यूएस की डिजिटल रिडिंग प्लैटफॉर्म एपिक का नाम भी शामिल है.
इसके अलावा कोडिंग सीखाने वाले प्लैटफॉर्म वाइटहैट जूनियर, जियोजेब्रा, टिंकर, टॉपर और आकाश लर्निंग का एक्विजिशन भी कंपनी के लिए फायदेमंद रहा है. इन कंपनियों के एक्विजिशन की वजह से ही Byju's को कोविड के दौरान डिजिटल एजुकेशन को बढ़ावा देने में मदद मिल सकी.
चुनौतियों का ढेर लगा है
फास्ट एंड फ्यूरियस जर्नी से Byju's को नेम और फेम मिला है उतना ही उसे मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा है. कंपनी के लिए आज भी सबसे बड़ी चुनौती है फ्री ट्रायल के बाद सब्सक्राइबर्स को पेड सब्सक्राइबर्स में बदलने की. आरोप ये भी है कि कंपनी ने BCCI के 86.21 करोड़ रुपये नहीं लौटाए हैं. हालांकि दिव्या गोकुलनाथ ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इन्हें बेबुनियाद बताया है.
इसके अलावा Byju's के सामने जो दो नई चुनौतियां उभरी हैं वो है कॉम्पिटीटर्स के मुकाबले आगे बने रहना, और दूसरा है प्रॉफिट को लेकर. पहले बात करते हैं कॉम्पिटीटर्स की, आज की तारीख में कई एडटेक कंपनियां उभर चुकी हैं जो Byju's को टक्कर दे रही हैं. इनमें अपग्रैड, मेरिटनेशन, वेदांतु, अनएकेडमी, खान एकेडमी, फिजिक्सवाला नाम खड़े हो चुके हैं.
कंपनी ने इसी साल जून में अपने कोर टीम के अलावा सिस्टर कंपनी वाइटहैट जूनियर और टॉपर से कुल 2500 एंप्लॉयीज की छंटनी भी की है. कंपनी ने FY21 के नतीजे जारी करने में काफी देर की, जिस पर मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स ने उससे जवाब भी मांगा था.
रेवेन्यू कहां से आएगा
कंपनी ने हाल ही में अपने FY21 के नतीजे जारी किए जिसने सभी को हैरत में डाल दिया है. करीबन एक-डेढ़ साल की देरी से जारी रिजल्ट्स बताते हैं कि कंपनी का नुकसान 15 गुना होकर 4500 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. यानी कंपनी को हर दिन 12.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. जबकि रेवेन्यू में कुछ खास इजाफा नहीं हुआ है. रेवेन्यू 2428 करोड़ रुपये के साथ फ्लैट रहा है. FY20 में Byju's का रेवेन्यू 81 फीसदी बढ़कर 2434 करोड़ रुपये हो गया. नेट प्रॉफिट 152 पर्सेंट बढ़कर 51 करोड़ रुपये रहा था.
नतीजों के बाद कंपनी के वैल्यूएशन को लेकर काफी आलोचना हुई. मगर दिव्या और रविंद्रन ने इसके पीछे अकाउंटिंग स्टैंडर्ड में हुए बदलावों को वजह बताई है. कंपनी के मुताबिक इस वित्त वर्ष के आखिर तक Byju's कैश फ्लो पॉजिटिव हो जाएगी. रविंद्रन का दावा है कि अगले वित्त वर्ष में कंपनी को इन बदलावों का फायदा मिल सकता है और रेवेन्यू 10,000 करोड़ रुपये पहुंच सकता है.
हालांकि मार्केट एक्सपर्ट्स की राय कुछ और ही है. उनका कहना है कि कोविड के समय स्कूल बंद होने की वजह से Byju's को ऑनलाइन एजुकेशन का जबरदस्त फायदा मिला. अब स्कूल खुलने के साथ उसके सब्सक्राइबर्स में भारी गिरावट आना जारी है, जिसका असर साफ तौर पर बिजनेस पर दिख रहा है.
खैर अब ये तो नतीजे आने के बाद ही मालूम पड़ेगा कि दावा कितना सच्चा है. फिलहाल तो इतना ही कह सकते हैं Byju's के लिए आगे की राह काफी मुश्किल नजर आ रही है.