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पुणे की IT प्रोफेशनल दीप्ति ने पार्कआवर की बेहद ही मुश्किल ट्रेनिंग पूरी कर बनाई अपनी नई पहचान

पुणे की IT प्रोफेशनल दीप्ति ने पार्कआवर की बेहद ही मुश्किल ट्रेनिंग पूरी कर बनाई अपनी नई पहचान

Friday July 29, 2016 , 5 min Read

अगर आप से कोई ये पूछे कि क्या आपने पार्कआवर के बारे में सुना है? तो आपका जवाब शायद हां और शायद नहीं भी हो सकता है, लेकिन आपसे अगर ये पूछा जाए कि क्या आप ऐसी किसी महिला या लड़की को जानते हैं, जो पार्कआवर में माहिर है, तो आपका जवाब ना में होगा।

क्या है ये पार्कआवर:

चलिए सबसे पहले ये बताते चलें कि ये पार्कआवर होता क्या है...फिजिकल ट्रेनिंग की एक डिसिप्लीन है, जिसमें फ्री रनिंग, जंपिंग, क्लाइम्बिंग, लग्गे के सहारे छलांग, स्विमिंग के साथ-साथ कई तरीके से फ्री मुवमेंट किये जाते हैं। इसकी प्रैक्टिस करने वालों के करतब देख कर आप हैरान रह जाएंगे। माना जाता है कि इसकी प्रेरणा मिलीट्री ट्रेनिंग में इस्तेमाल होने वाले ऑब्सटक्ल ट्रेनिंग से ली गई है।

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पार्कआवर किन-किन देशों में प्रचलित है:

दुनिया के कई विकसित देशों जैंसे अमेरीका, कनाडा, यूरोप के देशों और चीन में पार्कआवर काफी मशहूर है और इसके लिए इन देशों में पार्कआवर जिम की व्यवस्था भी है। कई पार्कआवर प्रैक्टिशनर्स दुनिया भर में करतब दिखाते हैं और अपने करतब से लोगों को अचंभित कर देते हैं। पार्कआवर के इतिहास में जाएं तो ये फ्रांस में रेमंड बेले नामक व्यक्ति के द्वारा शुरु किया गया और आगे चलकर 80 और 90 के दशक में इनके बेटे डेविड बेले ने अपने ग्रुप के माध्यम से इसे दुनिया भर में मशहूर किया।

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भारत में पार्कआवर की स्थिति:

भारत में ऐसी सुविधा से लैस कोई पार्क या कोई प्रमुख स्थान नहीं बन पाया है, जहां पार्कआवर के प्रैक्टिस या ट्रेनिंग सेशन आयोजित की जाए। दरअसल पार्कआवर या इसकी ट्रेनिंग अभी भारत में नई है और इसे प्रैक्टिस करने वाले लोग गिने-चुने ही हैं।

पार्कआवर और पुणे की दीप्ती का साहस:

आम तौर पर पार्कआवर को पुरुष प्रधानता वाली ट्रेनिंग का दर्जा दिया जाता है, लेकिन पुणे की दीप्ती सिन्हा से मिलकर आप अपना ये विचार बदलने पर मजबूर हो जाएंगे। दीप्ति IT प्रोफेशनल हैं और पुणे की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करती हैं। दीप्ती वीकएंड पर अपने ग्रुप के साथ पार्कआवर प्रैक्टिस करती हैं।

पार्कआवर के लिए अपने घरवालों को मनाने के बारे में दीप्ति बताती हैं, ''सबसे पहले तो घर वालों को पार्कआवर क्या होता है, इसकी जानकारी नहीं थी, लेकिन जब मैंने घर वालों से बात की तो वो मान गये और पार्कआवर ट्रेनिंग की इजाज़त मिल गई। दरअसल घर वालों के मन में ये डर तो ज़रूर था कि बड़े अरमानों से जिस बेटी को पाला उसे कहीं कुछ हो ना जाए....क्योंकि पार्कआवर की प्रैक्टिस में चूक होने पर गंभीर चोट लगने या हड्डी के टूट जाने तक का ख़तरा हमेशा रहता है। जब इजाज़त मिल गई तो इसे पूरा करने की चुनौती थी। योर स्टोरी के सवाल पर कि प्रैक्टिस के दौरान कभी ऐसा नहीं लगा कि ये मुश्किल है या फिर... मुझ से नहीं होगा, दीप्ती ने कहा “मैंने ठान लिया था कि मुझे ये करना ही है सो छोड़कर वापस लौटने का सवाल ही नहीं था”।

आगे दीप्ति बताती हैं कि पार्कआवर के लिए आपको अपने शरीर और मन दोनों को तैयार करना पड़ता है और दोनों के बीच का तालमेल बेहद ही ज़रूरी है। क्योंकि पार्कआवर उछल-कूद वाले मूव्स से भरा है, इसलिए शरीर तैयार हो और मन तैयार ना हो तो इसकी प्रैक्टिस संभव ही नहीं है। इसलिए दीप्ति की सलाह है कि आप जब भी इसकी कोशिश करें तो पहले अपने मन को पूरी तरह से तैयार करें ताकि आपके स्टेप्स सही रहे और किसी प्रकार का कोई ख़तरा भी ना हो।

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लड़कियों के लिए पार्कआवर कितना चुनौतिपूर्ण है:

दीप्ति कहती हैं कि लड़की होने की वजह से कई बार लोगों ने मेरे पार्कआवर प्रैक्टिस सेशन को बहुत ही कौतूहल से देखा, लेकिन अब वो लोग समझ गए हैं कि मैं क्या कर रही हूँ। ये पूछे जाने पर कि क्या वो भारत की पहली लड़की हैं, जो पार्कआवर प्रैक्टिस करती हैं उनका कहना है कि मुझे नहीं पता, शायद कोई कर भी रही है या नहीं, लेकिन अभी यहां पार्कआवर नया है। खासकर लड़कियों के लिए। लड़कियों के लिए ये तब तक ही चुनौतीपूर्ण है जब तक आपने इसे करने की नहीं ठानी है।

कितना वक्त चाहिए ट्रेनिंग के लिए:

महज़ 27 साल की IT प्रोफेशनल दीप्ति सप्ताहांत पर ट्रेनिंग में अपने ग्रुप ‘MYOW’ (MAKE YOUR OWN WAY) के साथ हिस्सा लेती हैं और 4-5 घंटे तक ट्रेनिंग करती हैं। दीपक माली इस ग्रुप के चीफ ट्रेनर हैं, जो इन्हें सभी स्टेप्स की जानकारी देते हैं।

औसतन कितने वक्त तक ट्रेनिंग करना अच्छा हैं? सवाल के जवाब में दीप्ति कहती हैं, 'जितना ज्यादा से ज्यादा ट्रेनिंग करेंगे उतना ही आप में निखार आएगा। आगे वो बताती हैं कि मेरे लिए काम के साथ-साथ ट्रेनिंग संभव नहीं हो पाता क्योंकि ये एक थका देने वाली प्रक्रिया है सो मैं वीकएंड पर ही ट्रेनिंग के लिए जा पाती हूँ।

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आगे क्या है दीप्ति का लक्ष्य:

सबसे पहला लक्ष्य तो फिट रहना और स्वस्थ्य रहना है और पार्कआवर की ट्रेनिंग से दीप्ति खुद को बेहद फिट मानती हैं। उनके मुताबिक पिछले एक साल की ट्रेनिंग ने जैसे उन्हें फिटनेस का मंत्र दे दिया हो। इसके अलावा इस पार्कआवर फिटनेस ट्रेनिंग की वजह से दीप्ति की ख्याति बढ़ी है। उन्होंने पार्कआवर को और लगन से आगे ले जाने का संकल्प लिया है। दीप्ति इस बात से काफी खुश हैं कि पार्कआवर की ट्रेनिंग की वजह से उन्हें इंटरनेशनल स्पोर्ट्स ब्रांड नाइक के एक विज्ञापन ‘डा डा डिंग’ के एक सीन के लिए अप्रोच किया और वो इसका हिस्सा बनीं। 

नीरज सिंह