बिहार की लड़की ने बनाए बच्चों को पढ़ाने वाले रोबोट, स्कूलों में खुलेगी रोबोटिक्स लैब
बेंगलुरु में रहने वाली आकांक्षा मूल रूप से बिहार की राजधानी पटना से संबंध रखती हैं। उन्होंने बेंगलुरु से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी जिसके बाद दो साल तक एक आईटी कंपनी में नौकरी की।
आकांक्षा इस बेकार हो चुके एजुकेशन सिस्टम को एक नया जीवन देना चाहती हैं। उनकी कंपनी द्वारा बनाए गए रोबोट को बनाने में 10 से 15 लाख रुपए की लागत आती है। इस रोबोट की लंबाई दो फीट होती है। इस रोबोट का नाम निनो रखा गया है।
कहा जाता है कि अगर बच्चों को खेल-खेल में कोई चीज सिखा दी जाए तो वे उसे हमेशा याद रखते हैं और उनका मन भी सीखने की चीजों में लगता है। इसी मॉडल पर काम कर रही हैं बेंगलुरु की आकांक्षा आनंद। आकांक्षा ने ऐसे रोबोट तैयार किए हैं जो बड़े ही आसानी से खेल-खेल में बच्चों को तमाम चीजें सिखा देंगे। बेंगलुरु में रहने वाली आकांक्षा मूल रूप से बिहार की राजधानी पटना से संबंध रखती हैं। उन्होंने बेंगलुरु से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी जिसके बाद दो साल तक एक आईटी कंपनी में नौकरी की। उसके बाद वह सिरेना टेक्नॉलजी के साथ जुड़ गईं। अभी भी वह इसी कंपनी से जुड़ी हैं। यह कंपनी रोबोटिक्स के क्षेत्र में काम करती हैं।
सिरेना टेक्नॉलजी के सीईओ हरिहरण बोजन हैं। उनका मकसद एक ऐसा रोबोट तैयार करना था जो कि बच्चों को आसानी से पढ़ा सके। इस प्रॉजेक्ट में कर्नाटक सरकार ने भी उनकी मदद की और इस प्रयास के लि प्रोत्साहित भी किया। इस रोबोट को बनाने का खास उद्देश्य बच्चों को नए और रोचक तरीके से पढ़ाना, खेलना, डांस जैसी चीजों को सिखाना है। इस नए तकनीक से बच्चे पढ़ाई में रुचि भी लेंगे। आकांक्षा का कहना है कि धीरे-धीरे इसे सरकारी स्कूलों तक पहुंचाने में हमारी टीम जुटी हुई है। इससे जो बच्चे पढ़ने नहीं आते हैं या रुचि नहीं लेते हैं, वे स्कूल आने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई में मन लगा सकेंगे।
अभी भारत में जैसी रोबोटिक्स की तकनीक का विकास हो रहा है उसमें रोबोट में पहियों का इस्तेमाल होता है, लेकिन आकांक्षा के बनाए रोबोट्स अपने पैरों पर चलते हैं। आकांक्षा ने इस पर काफी रिसर्च भी किया है। वह इस सिलसिले में चीन और ताइवान जैसे देश भी गईं। वहां उन्होंने देखा कि काफी छोटे बच्चे भी रोबोटिक्स में रुचि ले रहे हैं। उन्होंने सोचा कि जब दूसरे देश के बच्चे इतने हाइटेक हो रहे हैं तो फिर भारत के बच्चे पीछे क्यों रहें। बिहार की होने की वजह से इसका शुभारंभ भी सबसे पहले यहीं से होगा। बिहार में शिक्षा की हालत इन दिनों काफी दयनीय बनी हुई है। हाल ही में कई सारे टॉपर्स के द्वारा धोखाधड़ी और नकल का मामला सामने आया था।
आकांक्षा इस बेकार हो चुके एजुकेशन सिस्टम को एक नया जीवन देना चाहती हैं। उनकी कंपनी द्वारा बनाए गए रोबोट को बनाने में 10 से 15 लाख रुपए की लागत आती है। इस रोबोट की लंबाई दो फीट होती है। इस रोबोट का नाम निनो रखा गया है। यह रोबोट बात कर लेता है और डांस भी करता है। इसे ऐप या वॉइस कमांड के जरिए संचालित किया जा सकता है। आकांक्षा अब तक ह्यूमेनाइड रोबोट, रोबोटिक आर्म, ऑटोमोबाइल किट, पेट रोबोट, क्वार्डबोट रोबोट जैसे कई रोबोट तैयार कर चुकी हैं। सिरेना टेक्नॉलजी का मुख्य फोकस शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरीके से डिजिटल कर देने का है। इसी साल गणतंत्र दिवस के मौके पर बिहार के मुजफ्फरनगर के एक स्कूल में रोबोटिक्स लैब की शुरुआत की गई।
ये ह्यूमेनाइड रोबोटिक्स की श्रेणी में आता है। कंपनी से जुड़ी रिचा ने बताया कि स्कूल लेवल से ही बच्चों को रोबिट्कस की जानकारी देने के लिए ऐसा किया गया है। इसके अलावा बच्चे अपने विषयों को भी रुचिकर तरीके से जान सकेंगे। देश की तरक्की तभी है जब बच्चे नई खोज के प्रति जागरूक होंगे। कंपनी के सीईओ हरिहरण ने भी एजुकेशन सेक्टर में रोबोटिक्स को इसलिए लाना जरूरी समझा क्योंकि देश में मेक इन इंडिया और डिजिटल भारत को बढ़ावा दिया जा रहा है।
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