चाय की चुस्कियों का अड्डा बना 100 करोड़ से अधिक का व्यवसाय
दो इंजीनियरों ने दिया चाय की चुस्की को नया आयाम..दिल्ली-एनसीआर में खोल चुके हैं 8 आउटलेटलोगों को उनकी पसंद की चाय परोस रहा है ‘चायोस’...जल्द ही देश के अन्य इलाकों में खोलोंगे आउटलेट
दफ्तर में काम करते-करते थकने के बाद आपको विश्राम चाहिये हो या दोस्तों का साथ तसल्ली से कुछ बात करनी हों, याद आती है सड़क के किनारे वाली चाय की दुकान जहां जाकर आराम से बैठकर आप रिलैक्स होकर चुस्कियों के बीच टाइमपास करते हैं। लेकिन बीतते समय के साथ कुछ जुनूनी और नई सोच वालों ने चुस्कियों के इन अड्डों का स्वरूप ही बदल दिया है और इन्हें करोड़ों के कारोबार में तब्दील कर दिया है।
ऐसे ही जुनूनी हैं नितिन सलूजा और राघव वर्मा जो दिल्ली एनसीआर में ‘चाय के अड्डों’ यानि चाय कैफे की श्रंखला ‘‘चायोस’’ के संचालक हैं। नितिन बताते हैं ‘‘मेरी माँ ने मुझे बचपन में चाय बनाना सिखाया और तभी से मैं अपनी चाय के कप को लेकर काफी सचेत रहता हूँ और इसे चाय के शौकीन हमारे मेन्यूकार्ड को देखते ही समझ जाते हैं। हमारा मेन्यू हमारी टैगलाइन ‘चाय के साथ प्रयोग’ की सोच को दर्शाता है।’’
2012 में शुरू किए ‘चायोस’ को दिल्ली एनसीआर के युवाओं और चाय प्रेमियों ने हाथों-हाथ लिया और वर्तमान में एनसीआर में इनके 8 स्टोर।
हालांकि चाय बचपन से ही नितिन के जीवन का एक अहम हिस्सा रही है लेकिन उन्होंने कभी चाय की एक हाईटेक दुकान के बारे में तो सपने में भी नहीं सोचा था। मुंबई से आईआईटी करने के दौरान ही वे कुछ अलग करना चाहते थे और इसी क्रम में उन्होंने कुछ साथियों के साथ मिलकर एक रोबोटिक्स कंपनी शुरू की। रोबोटिक्स कंपनी के सफल संचालन के साथ ही उन्होंने एक अन्य कंपनी की भी नींव डाली लेकिन कुछ नया करने की ललक उनके अंदर बनी रही।
नितिन का कहना है कि ‘‘रोबोटिक्स के काम के दौरान मैं अपनी ‘पसंद की चाय’ की तलाश करता लेकिन मुझे मनपसंद चाय पीने को नहीं मिलती थी। इसी दौरान मेरे ख्याल में आया कि क्यों न चाय के एक ऐसे अड्डे को खोला जाए जहां लोग तनाव से मुक्त होकर अपनी पसंद की चाय की चुस्कियां ले सकें।’’
चाय के अड्डे के बारे में सोचते हुए एक दिन संयोगवश नितिन की मुलाकात दिल्ली के आईआईटी के स्नातक राघव वर्मा से हुई। दोनों एक मित्र के यहां मिले और इस बारे में चर्चा हुई और ‘चायोस’ की नींव पड़ी। शुरू में इन दोनों ने मिलकर अपने पहले अड्डे की शुरूआत की और आज इनके 7 और ऐसे अड्डे सफलतापूर्वक चल रहे हैं।
‘‘कोई भी नया काम करते समय सामान की गुणवत्ता को बनाये रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है। इन दोनों ने प्रारंभ से ही अपने यहां तैयार होने वाली चाय के प्रत्येक कप की गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा और कोशिश की कि पीने वाले को हर कप में ‘‘मेरी वाली चाय’’ का अहसास हो।’’ नितिन आगे बताते हैं कि लोगों ने उनके अड्डे को काफी पसंद किया और जल्द ही उनकी वार्षिक कमाई 1 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। उनके ग्राहकों में मुख्य रूप से मध्यम वर्ग के लोग हैं जो खर्च किये पैसे की पूरी कीमत वसूलना जानते हैं।
नितिन आगे जोड़ते हैं कि उनके चाय के अड्डे के मेन्यूकार्ड में ‘आम पापड़ चाय’ और ‘गुलाब-इलायची’ की चाय भी शामिल है जो इन्हें औरों से अलग पहचान देती है। ‘‘हम अपने यहां चाय की चुस्कियां लेने आने वालों को 25 से भी अधिक किस्म की चाय परोसते हैं जिनमें देशी पहाड़ी चाय से लेकर विदेशी मोरक्कन चाय भी हैं।
‘चायोस’ के मेन्यूकार्ड में सबसे अधिक बिकने वाली चाय है अदरक, इलायची और दालचीनी के मसाले वाली चाय जिसकी कीमत है 35 रुपये। ये लोग सिर्फ इसी चाय के 4000 से अधिक सम्मिश्रण तैयार कर सकते हैं। इसके अलावा इनकी सबसे महंगी चाय 85 रुपये की है जो शहद, अदरक और नींबू की चाय है।
भविष्य में नितिन का इरादा ‘चायोस’ को दिल्ली के अलावा अन्य महानगरों में भी फैलाना है। जल्द ही वे मुंबई और बेंगलोर में अपने आउटलेट खोलने के प्रयास में लगे हुए हैं। नितिन आगे जोड़ते हैं, ’‘चायोस’ को अपने व्यापार में कई स्तरों पर प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। कीमत के प्रति जागरुक वे मध्यमवर्गीय ग्राहक जो सड़क के किनारे की दुकानो या घर की चाय पीते हैं को कम कीमत पर अच्छी चाय पिलाने के अलावा अड्डे के माहौल को खुशनुमा बनाए रखना भी एक चुनौती है’’