कैंसर से बहन की मौत होने के बाद लक्ष्मी ने शुरू किया मेंटल सपोर्ट देने का स्टार्टअप
लक्ष्मी की बहन की मौत सिर्फ 39 साल में कैंसर के चलते हो गई थी। उसके बाद उन्होंने तनाव में जी रहे लोगों लोगों को मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए एक स्टार्टअप शुरू कर दिया।
लक्ष्मी की खुद की जिंदगी तमाम-उतार चढ़ावों से भरी हुई है। वह एक ऐसे परिवार से आती हैं जहां उनके माता-पिता अक्सर आपस में लड़ते-झगड़ते रहते थे।
2003 में लक्ष्मी अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए मुंबई चली गईं। यहां उन्होंने ICFAI इंस्टीट्यूट से मार्केटिंग में पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा किया। इसके साथ ही उन्होंने इग्नू से साइकॉलजी में पीजी किया।
ऐसा कोई इंसान नहीं होगा जिसने जिंदगी में कभी दुख न झेला हो। हम सब किसी न किसी दुख और दर्द को सहते हुए आगे बढ़ते हैं, लेकिन किसी अपने को हमेशा के लिए खो देने से बड़ा दुख क्या होगा। भले ही हमें अपनी खुद की जिंदगी की परवाह न हो, लेकिन किसी करीबी की जान चली जाए तो जिंदगी में बेबसी और लाचारी घर कर जाती है। इस दुख से पार पाना आसान नहीं होता है। लेकिन लक्ष्मी श्रीनिवासन नाम की महिला ने ऐसी ही हालत में वो कर दिखाया जिसे करने की हम हिम्मत भी नहीं जुटा पाते। दरअसल लक्ष्मी की बहन की मौत सिर्फ 39 साल में कैंसर के चलते हो गई थी। उसके बाद उन्होंने तनाव में जी रहे लोगों लोगों को मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए एक स्टार्ट अप शुरू किया है।
लक्ष्मी की खुद की जिंदगी तमाम उतार चढ़ावों से भरी हुई है। वह एक ऐसे परिवार से आती हैं जहां उनके माता-पिता अक्सर आपस मं लड़ते झगड़ते रहते थे। उन्हें और उनकी दो और बहनों को हमेशा अपने मां-बाप से डर लगता था क्योंकि किसी को नहीं पता होता था कि मां-बाप का गाली-गलौज मार-पीट में कब बदल जाए। इस हालत से तंग आकर लक्ष्मी की मां अपनी तीनों बेटियों को लेकर अपने मायके चली आईं। उस वक्त लक्ष्मी 6ठवीं क्लास में पढ़ती थीं।
जब लक्ष्मी बड़ी होने लगीं तो उनकी नानी को शादी की चिंता होने लगी। जाहिर है कि लक्ष्मी अभी काफी कम उम्र की थीं और इसलिए वह अभी शादी नहीं करना चाहती थीं। पर उनके ऊपर मां और नानी द्वारा शादी के लिए दबाव बनाया जाने लगा। आखिरकार लक्ष्मी को हार मानकर शादी के लिए राजी होना पड़ा। जिस वक्त उनकी शादी हो रही थी उस वक्त वह केवल 19 साल की थीं और कुछ ही दिन पहले ग्रैजुएशन के लिए कॉलेज जाना शुरू किया था। शादी के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और मद्रास विश्वविद्याल से बी. कॉम पूरा किया। यह सब सिर्फ इसलिए संभव हो सका क्योंकि उनके ससुराल वाले भी चाहते थे कि लक्ष्मी अपनी पढ़ाई जारी रखे।
2003 में लक्ष्मी अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए मुंबई चली गईं। यहां उन्होंने ICFAI इंस्टीट्यूट से मार्केटिंग में पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा किया। इसके साथ ही उन्होंने इग्नू से साइकॉलजी में पीजी किया। इसके बाद लगभग 17 सालों तक उन्होंने सर्विस, सेल्स, मार्केटिंग और एचआर कंसल्टेंसी जैसे सेक्टरों में नौकरी की। लेकिन एक हादसे ने उन्हें अंदर तक झकझोर कर रख दिया। सिर्फ 39 साल की उम्र में उनकी बहन की मौत हो गई। लक्ष्मी बताती हैं कि कठिन और विपरीत परिस्थितियों में हम अपना वास्तविक लक्ष्य कई बार भूल जाते हैं और एकदम यही उनके साथ हुआ।
लक्ष्मी बताती हैं कि किसी भी बीमार व्यक्ति को ठीक होने के लिए दवा के साथ-साथ इमोशनल सपोर्ट की जरूरत होती है। उन्हें बहन के इलाज के वक्त ही यह लग गया था कि उन्हें सही से इमोशनल ट्रीटमेंट नहीं मिल रहा है। बहन की मौत के बाद लक्ष्मी ने एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म 'कैफे काउंसल' बनाया जहां मानसिक तनाव और अवसाद से घिरे लोगों की मदद की जाती है। वह बताती हैं कि लगभग 7 करोड़ भारतीय किसी न किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं, लेकिन हमारे समाज की विडंबना यही है कि मानसिक बीमारियों के बारे में बात ही नहीं की जाती। 17 साल के सफल करियर के बाद लक्ष्मी अब एक मां, पत्नी और अर्थपूर्ण पहल को अंजाम दे रही हैं। वह ओपरा विनफ्रे और मलाला युसुफजई जैसी महिलाओं को अपना रोल मॉडल मानती हैं।
यह भी पढ़ें: अपने पिता को एक हस्ताक्षर पाने के लिए लाचार-परेशान देख ये बेटी खुद ही बन गई कलक्टर