Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

गीता बाली के साथ काम करने से राजेंद्र कुमार ने क्यों कर दिया था मना?

आज टिकट खिड़की पर उस एक्टर को सफल माना जाता है जिसकी फिल्म 100 करोड़ से ज्यादा बिजनेस करे जबकि उस दौर में वह हीरो-हीरोइन सफल माने जाते थे जिनकी फिल्में सिल्वर जुबिली या गोल्डन जुबिली मनाती थीं। बॉलिवुड में ऐसे ही एक सितारे थे राजेंद्र कुमार।आइए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्सों के बारे में...

<b>फिल्म <i>मदर इंडिया</i> के एक सीन में राजेंद्र कुमार</b>

फिल्म मदर इंडिया के एक सीन में राजेंद्र कुमार


सन 1964 में तो एक समय ऐसा भी आया था जब देश के लगभग आधे सिनेमाघरों में राजेन्द्र कुमार की फिल्में चल रही थीं। 60 से 70 का दौर जुबली कुमार की जिंदगी का ऐसा गोल्डन पीरियड था जब हर तरफ उनकी ही तूती बोलती थी।

 जुबिली मनाने के मामले राजेन्द्र कुमार सबसे आगे थे। इतने आगे कि निर्माता-निर्देशकों ने राजेन्द्र कुमार को जुबिली कुमार कहना शुरू कर दिया था।

भारतीय फिल्म इतिहास में सत्तर के दशक में राजेन्द्र कुमार सबसे सफल अभिनेता थे। यह एक ऐसा वक्त था जब एक साथ उनकी छः से ज्यादा फिल्में सिल्वर जुबिली सप्ताह की सफलता मना रही थी। ये फिल्में थीं, मेरे महबूब, जिंदगी, संगम, आई मिलन की बेला, आरजू और सूरज। यह एक ऐसी सफलता थी जिसने उन्हें हिंदी फिल्मों का जुबली कुमार बना दिया। बॉक्स ऑफिस की कामयाबी के मामले में तब राज कपूर और दिलीप कुमार जैसे दिग्गज अभिनेता भी उनसे पिछड़ गए थे।

आज टिकट खिड़की पर उस एक्टर को सफल माना जाता है जिसकी फिल्म 100 करोड़ से ज्यादा बिजनेस करे जबकि उस दौर में वह हीरो-हीरोइन सफल माने जाते थे जिनकी फिल्में सिल्वर जुबली या गोल्डन जुबिली मनाती थीं। और आपको बता दें कि जुबिली मनाने के मामले राजेन्द्र कुमार सबसे आगे थे। इतने आगे कि निर्माता-निर्देशकों ने राजेन्द्र कुमार को जुबिली कुमार कहना शुरू कर दिया था। सन 1964 में तो एक समय ऐसा भी आया था जब देश के लगभग आधे सिनेमाघरों में राजेन्द्र कुमार की फिल्में चल रही थीं। सन 60 से 70 का दौर जुबली कुमार की जिंदगी का ऐसा गोल्डन पीरियड था जब हर तरफ उनकी तूती बोलती थी।

राजेंद्र कुमार (फाइल फोटो)

राजेंद्र कुमार (फाइल फोटो)


बंटवारे के बाद राजेंद्र कुमार जब अपने परिवार के साथ मुंबई में रहने लगे, तो उस समय उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाने के बारे में सोचा जरूर था लेकिन हीरो बनने के बारे में कभी नहीं सोचा था। 

राजेंद्र कुमार का जन्म पंजाब के सियालकोट में 20 जुलाई 1926 को एक पंजाबी परिवार में हुआ था। इनके दादाजी अंग्रेजों के समय में सफल मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर थे। इनके पिता का लाहौर में कपड़ों का कारोबार हुआ करता था। बंटवारे के बाद राजेंद्र कुमार जब अपने परिवार के साथ मुंबई में रहने लगे, तो उस समय उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाने के बारे में सोचा जरूर था लेकिन हीरो बनने के बारे में नहीं सोचा था। राजेंद्र कुमार ने फिल्म जोगन से फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। इसमें उन्होंने केमियो रोल निभाया। फिल्म निर्माता देवेंद्र गोयल राजेंद्र कुमार के अभिनय से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी अपकमिंग फिल्म में उन्हें लीड रोल देने का वादा किया। डेढ़ साल बाद उन्होंने फिल्म वचन में राजेंद्र कुमार को मुख्य किरदार के तौर पर लिया। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही। इसके बाद ही उन्हें 'ए स्टार इज बॉर्न' का टाइटल मिला।

जुबिली कुमार की बड़ी-बड़ी बातें

इसके बाद राजेंद्र कुमार को कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह फिल्मों में एक्टिंग के अलावा निर्देशक एच एस रवेल को असिस्ट भी करते थे। उनका सोचना था कि अगर फिल्म फ्लॉप हो गई तो कहीं वह फिर से बेरोजगार न हो जाएं। राजेंद्र कुमार को पहली फिल्म वचन के लिए 1500 रुपये मिले थे। राजेंद्र कुमार ने फिल्म वचन के बाद पीएचडी की उपाधि हासिल की थी। राजेंद्र कुमार ने 80 से ज्यादा फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया, जिसमें उन्हें 35 फिल्मों के लिए जुबिली अवॉर्ड मिला। उन्होंने अपने 40 साल के फिल्मी करियर में 80 से ज्यादा फिल्में की।


<b>अभिनेता सुनील दत्त, अभिनेत्री माधुरी और पुत्र कुमार गौरव के साथ राजेंद्र कुमार</b>

अभिनेता सुनील दत्त, अभिनेत्री माधुरी और पुत्र कुमार गौरव के साथ राजेंद्र कुमार


राजेंद्र कुमार गीता बाली को दिल से अपनी बहन मानते थे और वह उनके साथ फिल्मों में रोमांस नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने उनके साथ काम करने से मना कर दिया।

स्क्रीन पर बनी बहन को अपनी असली बहन माना

फिल्म 'वचन' एक भाई-बहन के रिश्ते और एक दूसरे को दिए गए वचन पर आधारित थी। इस फिल्म में मशहूर अदाकार गीता बाली राजेंद्र की बहन बनी थीं। इस किरदार को राजेंद्र ने दिल से निभाया और मन से गीता बाली को अपनी बहन मानने लगे। हालांकि इस फिल्म के बाद गीता बाली निर्माता बन गईं और वह फिल्मों में राजेंद्र कुमार के साथ काम करना चाहती थीं। क्योंकि राजेंद्र कुमार उन्हें दिल से अपनी बहन मानते थे और वह उनके साथ फिल्मों में रोमांस नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने उनके साथ काम करने से मना कर दिया।

सामाजिक कार्यों की वजह से मिला 'शास्त्री नेशनल अवॉर्ड'

जरूरतमंदों के लिए सामाजिक कार्यों से जुड़े रहना राजेंद्र कुमार को बहुत अच्छा लगता था। वह भी मीडिया को बिना बताए। उनके इसी सराहनीय कार्य की वजह से उन्हें शास्त्री नेशनल अवॉर्ड देकर सम्मानित किया गया था।

<b>सुनील दत्त और राजेंद्र कुमार</b>

सुनील दत्त और राजेंद्र कुमार


राजेन्द्र कुमार के बारे में एक बार सुनील दत्त जी ने इंटरव्यू में कहा था, 'आज तक राजेन्द्र कुमार को भले ही किसी फिल्म के लिए अवार्ड नहीं मिला है लेकिन वह एक मानवतावादी व्यक्ति हैं। उन दिनों जब संजय को गिरफ्तार किया गया था और प्रतिदिन हमारे घर की तलाशी होती थी। तब राजेन्द्र कुमार हमरे घर पर आकर रहते थे और इस बात की सांत्वना देते थे की यह सिर्फ जांच का हिस्सा है। उनको दुनिया की अच्छी समझदारी थी।'

राजेंद्र साहब को भारत सरकार ने 1969 में पद्मश्री से सम्मानित किया। कैंसर की वजह से राजेंद्र कुमार का देहांत 12 जुलाई 1999 में हो गया। राजेंद्र कुमार की बेटी डिंपल ने उनके देहांत से एक वर्ष पहले 1998 में बॉयोपिक 'जुबिली कुमार' बनाई थी, जो 110 मिनट की है। राजेंद्र कुमार को गुजरे हुए बरसों हो गए फिर भी वो अपनी पनीली आंखों और तिरछी मुस्कान लिए हमारे दिलों में वैसे ही गा रहे हैं जैसे उनकी फिल्मों का रिलीज होना मानो कल की ही बात हो।