पार्टी पॉलीटिक्स, डर्टी पॉलीटिक्स...ना ना गंदी बात!
क्या आज की राजनीति से सभ्यता अपना बोरिया-बिस्तर समेट चुकी है। गाली-गलौज, मारपीट कद ऊंचा कर लेने का बेशर्म फैशन सा हो चला है। जब कोई राजनेता देश के प्रधानमंत्री के लिए अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल करता है तो वह किसी व्यक्ति को नहीं, पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपमानित करता है।
स्वस्थ राजनीति का एक उदाहरण है, जब जयप्रकाश नारायण दिल्ली पहुंचे, सबसे पहले इंदिरा गांधी से मिलने गए। जब उनसे पूछा गया कि इंदिराजी ने आपको जेल में रखा और आप उनसे सबसे पहले मिलने जा रहे हैं। जेपी का जवाब था कि वह तो अपने बड़े भाई जवाहर लाल की बेटी इंदू से मिलने जा रहे हैं।
और एक आज का वक्त है, कोई किसी को फेंकू तो कोई पप्पू कहता है। कितनी बेसुरी होती जा रही है राजनीति। मनीष तिवारी ने पहले एक वीडियो शेयर किया, जिसमें पीएम विदेश दौरे पर राष्ट्रगान के बीच में गलती से चल पड़ते हैं। इस वीडियो को शेयर करते हुए तिवारी ने पीएम की देशभक्ति पर सवाल उठाते हुए उनका मजाक उड़ाया तो एक यूजर ने लिख दिया कि पीएम को आप देशभक्ति न सिखाएं। इस पर रिट्वीट करते हुए तिवारी ने बेहद अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया।
जब कोई राजनेता देश के प्रधानमंत्री के लिए अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल करता है तो वह किसी व्यक्ति को नहीं, पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपमानित करता है। पीएम मोदी के जन्मदिन पर कांग्रेस के शीर्ष नेता मनीष तिवारी की अभद्र टिप्पणी को इसी रूप में लिया जाना चाहिए। एक जमाना वह था, जब इंदिरा गांधी ने देश को आपात काल के हवाले कर दिया तो जनता पार्टी ने कांग्रेस का सफाया कर दिया। वैसे तल्ख दौर में भी जब जयप्रकाश नारायण दिल्ली पहुंचे, सबसे पहले इंदिरा गांधी से मिलने गए। जब उनसे पूछा गया कि इंदिराजी ने आपको जेल में रखा और आप उनसे सबसे पहले मिलने जा रहे हैं। जेपी का जवाब था- वह तो अपने बड़े भाई जवाहर लाल की बेटी इंदू से मिलने जा रहे हैं। और एक आज का वक्त है, कोई किसी को फेंकू तो कोई पप्पू कहता है। कितनी बेसुरी होती जा रही है राजनीति।
एक वाकया याद आता है। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में शुमार रहे सलमान खुर्शीद ने वर्ष 2002 में जनसभा को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी के लिए 'नपुंसक' शब्द का इस्तेमाल कर दिया। हो-हल्ला मचा तो जनाब माफी मांगने के बजाय अपनी बात पर अड़े रहे। ऐसे ही एक दूसरे जनाब आजम खान हैं। वक्त-बेवक्त उनकी जुबान से अक्सर जहर बरसता रहता है। इसी तरह भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान नीमच (मध्य प्रदेश) में नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में राहुल गांधी की तुलना करते हुए कह गए कि कहां मूंछ का बाल और कहां पूंछ का बाल। ऐसे ही एक दफे शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे रक्षा मंत्री को हिजड़ा तक कह गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 17 सितंबर को जन्मदिन था। देश के सिरहाने बैठे जनप्रतिनिधियों की छोड़ दीजिए, आम आदमी भी ऐसे समय में बधाई, शुभकामनाएं देता है। यह हमारी संस्कृति में है लेकिन कहते हैं न कि राजनेता का सभ्यता-संस्कृति से क्या लेना-देना। कांग्रेस के शीर्ष नेता (देश के पूर्व कैबिनेट मंत्री) मनीष तिवारी ने ट्वीट पर पीएम के लिए गंदे शब्द का इस्तेमाल किया। जिस वक्त तिवारी ने असभ्य ट्वीट किया, उस वक्त पीएम गुजरात में सरदार सरोवर बांध का लोकार्पण कर रहे थे। इसी तरह एक बार कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति असंसदीय भाषा का प्रयोग किया था।
मनीष तिवारी ने पहले एक वीडियो शेयर किया, जिसमें पीएम विदेश दौरे पर राष्ट्रगान के बीच में गलती से चल पड़ते हैं। इस वीडियो को शेयर करते हुए तिवारी ने पीएम की देशभक्ति पर सवाल उठाते हुए उनका मजाक उड़ाया तो एक यूजर ने लिख दिया कि पीएम को आप देशभक्ति न सिखाएं। इस पर रिट्वीट करते हुए तिवारी ने बेहद अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी कहते हैं कि मनीष एक समझदार व्यक्ति माने जाते हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है जैसे उन्हें राहुल गांधी जैसे अर्ध-शिक्षित व्यक्ति से आदेश मिला हुआ है। हर कोई जानता है कि कांग्रेस को राहुल गांधी के आदेश पर 'बंदरों' की तरह व्यवहार करना पड़ता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और दमोह से भाजपा सांसद प्रहलाद पटेल ने ट्वीट का जवाब ट्वीट से देते हुए मनीष तिवारी को ट्वीट टैग किया कि ये मसखरा और मानसिक दिवालियापन है।
देश या किसी भी प्रदेश की सियासत के पन्ने पलट लीजिए, वहां के आए दिन के दो-चार गाली-पुराण पढ़ने-जानने को मिल ही जाएंगे। उत्तर प्रदेश में तत्कालीन प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष दयाशंकर द्वारा बसपा सुप्रीमो मायावती पर अभद्र टिप्पणी को लेकर तो इतना बवाल मचा कि पूरे प्रदेश की सियासत में भूचाल सा आ गया और उसके बाद बसपा नेताओं ने दयाशंकर की पत्नी तक को निशाने पर ले लिया। लेकिन याद होगा, बसपा ने इस तरह से अपनी राजनीति की शुरुआत ही की थी। बसपा संस्थापक कांशीराम और मायावती ने उन्नीस सौ अस्सी-नब्बे के दशक में नारा दिया था; तिलक , तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार। गांधी को शैतान की औलाद तक कह डाला था। जब दैनिक जागरण ने बसपा के ही एक पूर्व मंत्री दीनानाथ भास्कर के हवाले से छाप दिया कि मायावती विवाहित हैं और कि उन के एक बेटी भी है और उनका पति एक सिपाही है, तो कुछ दिन बाद बसपा की रैली से समर्थकों के साथ कांशीराम ने पूरे हज़रतगंज बाज़ार पर धावा बोल दिया था। अखबार मालिक को माइक पर चिल्ला-चिल्लाकर अश्लील गालियां दी थीं। जागरण के कर्मचारियों को पीट-पीटकर लहूलुहान कर दिया गया था।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आज की राजनीति से सभ्यता अपना बोरिया-बिस्तर समेट चुकी है। गाली-गलौज, मारपीट कद ऊंचा कर लेने का बेशर्म फैशन सा हो चला है। एक बार शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ ने एयर इंडिया के कर्मचारी से मारपीट की, फिर पूरी बेशर्मी से कहने भी लगे, मैंने उसे अपनी सैंडल से 25 बार मारा। यद्यपि बाद में उन्होंने संसद में खेद प्रकट कर दिया था पर गलती के लिए कभी माफी नहीं मांगी। दिल्ली एक बार दिल्ली में प्रदेश भाजपा ने तेजिंदर पाल सिंह बग्गा को पार्टी प्रवक्ता बना दिया। वही बग्गा, जिन्होंने यह ओहदा संभालने से पहले सुप्रीम कोर्ट परिसर में घुसकर जाने-माने अधिवक्ता प्रशांत भूषण को पीटा, कपड़े फाड़े। उन्होंने जानी मानी लेखिका अरुंधति राय और स्वामी अग्निवेश पर भी हमले की कोशिशें कीं।
एक थे बलिया (उत्तर प्रदेश) के भोला पांडेय। उन्होंने इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के विरोध में विमान का ही अपहरण कर लिया। पुरस्कार मिला। पार्टी के विधायक और राष्ट्रीय सचिव बन गए। जिस कांग्रेसी विट्ठल भाई को भाजपा ने गुंडा कहा था, वही भाजपा के सम्मानित सांसद हो गए। बिहार की राजनीति की तो कुछ कहिए ही मत। वहां क्या-क्या नहीं होता रहता है।
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