कॉल ड्रॉप की समस्या: TRAI ने टेलीकॉम कंपनियों को सर्विस क्वालिटी रिपोर्ट भेजने का निर्देश
अधिकतर कंपनियां मुफ्त वॉयस कॉल की सुविधा दे रही है. ऐसे में एक बड़ी बहस है कि अगर कुछ मुफ्त है तो ट्राई उस पर कितना दंड लगा सकता है, क्योंकि कंपनियों को उससे कुछ मिल नहीं रहा.
देशभर में दूरसंचार उपभोक्ता कॉल ड्रॉप से परेशान हैं. दूरसंचार विभाग ने कॉल ड्रॉप पर रोक लगाने और कॉल की गुणवत्ता सुधारने के लिए दूरसंचार नियामक ट्राई से सेवाओं की गुणवत्ता संबंधी मानक सख्त करने को कहा है. भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) को फोन कॉल की गुणवत्ता को लेकर आ रही शिकायतें दूर करने के लिए इससे जुड़े मानकों को सख्त करने को कहा गया है.
टेलीकॉम सेक्टर नियामक TRAI ने शुक्रवार को टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए भी सर्विस क्वालिटी रिपोर्ट भेजने के निर्देश जारी किए हैं. ट्राई ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों द्वारा मुहैया की जा रही सर्विस की क्वालिटी के इष्टतम विश्लेषण के लिए QoS (Quality of Service) मापदंडों के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश वार रिपोर्ट भेजना आवश्यक है.
ट्राई ने एक बयान में कहा, "इससे संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों को जरूरत पड़ने पर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में QoS में सुधार करने में सर्विस प्रोवाइडर्स की सुविधा में मदद मिलेगी."
तदनुसार, टेलीकॉम ऑपरेटरों को निर्देश दिया गया है कि वे मार्च 2023 तिमाही से हर तिमाही पर QoS मापदंडों के संबंध में राज्य और केंद्र शासित प्रदेश-वार रिपोर्ट भेजा करें.
TRAI ने आगे कहा, "LSA (लाइसेंस सर्विस एरिया) वार डेटा, जैसा कि वर्तमान में विभिन्न प्रदर्शन निगरानी रिपोर्टों के माध्यम से प्रस्तुत किया जा रहा है, विनियमन में परिभाषित कार्यक्रम के अनुसार प्रस्तुत किया जाना जारी रहेगा."
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने पिछले सप्ताह एक रिव्यू मीटिंग में यह स्पष्ट कर दिया था कि सर्विस क्वालिटी के मुद्दों और उपभोक्ता शिकायतों के बढ़ते मामलों के बीच वह टेलीकॉम ऑपरेटरों से राज्य स्तर पर भी कॉल ड्रॉप डेटा रिपोर्ट करने के लिए कहेगा.
इस हफ्ते की शुरुआत में, मोबाइल ऑपरेटरों के निकाय COAI ने कहा कि कॉल ड्रॉप डेटा की राज्यवार रिपोर्टिंग भी कई प्रशासनिक और जमीनी स्तर पर "कठिनाइयों" को लागू करती है, और यह रिपोर्टिंग LSA (लाइसेंस सर्विस एरिया) स्तर पर जारी रहनी चाहिए.
अधिकतर कंपनियां मुफ्त वॉयस कॉल की सुविधा दे रही है. ऐसे में एक बड़ी बहस है कि अगर कुछ मुफ्त है तो ट्राई उस पर कितना दंड लगा सकता है, क्योंकि कंपनियों को उससे कुछ मिल नहीं रहा. लेकिन यह सही नहीं है, क्योंकि वह अनिवार्य रूप से उसकी लागत अन्य सेवाओं से निकाल रही हैं.
वर्ष 2016 में रिलायंस जियो के बाजार में उतरने के बाद अधिकतर कंपनियों को डेटा सेवाओं के साथ मुफ्त वॉयस कॉल की सेवा देना शुरू करना पड़ा. इससे कंपनियों की आय प्रभावित हुई, क्योंकि उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा कॉल शुल्क से आता था.