बधिर कलाकारों की अभिव्यक्त का मंच, 'अतुल्य कला'
- भारत में हैं दुनिया के सबसे ज्यादा बधिर लोग- स्मृति नागपाल ने रखी 'अतुल्य कला 'की नीव- बधिर कलाकारों की कला को को लोगों के सामने ला रहा है 'अतुल्य कला'
क्या आप जानते हैं कि दुनिया में हर 5 बधिर लोगों में से 1 भारत में है? यह नहीं दुनिया के सबसे ज्यादा बधिर लोग भारत में ही रहते हैं। । ये आंकड़ा ये बताने के लिए भी काफी है कि भारत में ये रोग कितना व्यापक रूप ले चुका है। भारत में लगभग 18 मिलियन बधिर लोग रहते हैं। लेकिन फिर भी भारत में बधिर लोगों के लिए वो सब कार्य नहीं हुए जो होने चाहिए थे। बधिर लोगों आज भी अच्छी नौकरी नहीं पा पाते उनकी जिंदगी काफी कष्टदायी है। वे आम लोगों की तरह अपनी जिंदगी नहीं व्यतीत कर पा रहे हैं। ये सब चीजें यही संकेत करती हैं कि आज भी हमारा समाज उतना संवेदनशील नहीं है। सरकार को और हमें इस दिशा में काम करने की काफी जरूरत है ताकि बधिर लोगों की जिंदगी को सुधारा जा सके। आज कई एनजीओ और संस्थाएं हैं जो अपने अपने स्तर पर बधिरों के लिए काम कर रहीं हैं उन्हीं में से एक है अतुल्यकला यह एक फोर-प्रॉफिट सोशल एंटरप्राइज है जिसकी शुरूआत 23 वर्षिय स्मृति नागपाल ने की।
स्मृति नागपाल के घर में उनसे बड़े दो भाई-बहन हैं जो कि सुन नहीं सकते थे ऐसे में उन तक अपनी बात पहुंचाने के लिए स्मृति को साइन लैंग्वेज का सहारा लेना पड़ता था और धीर-धीरे वे इस भाषा में ट्रेन्ड हो गईं थी। 16 वर्ष की उम्र में वे नैश्नल ऐसोसियेशन ऑफ डीफ से जुड़ीं कुछ समय बाद उन्हें दूरदर्शन से ऑफर आया कि वे बधिर समाचार के दौरान बधिर लोगों को साइन लैंग्वेज से समझाएं।
स्मृति ने बीबीए किया उनका मन बधिर लोगों के लिए ही कुछ करने का था। ग्रेजुएशन के बाद एक बार वे एक एनजीओ में एक बधिर कलाकार से मिलीं जो कि काफी टेलेंटिड़ था लेकिन उसका सारा हुनर व्यर्थ जा रहा था एनजीओ में वह अपने स्किल को नहीं निखार रहा पा रहा था और यहीं से स्मृति को आईडिया मिला अतुल्य कला खोलने का। वे अपने मित्र हर्शित के साथ बैठीं और दोनों ने तय किया कि वे बधिर कलाकारों के लिए कुछ ऐसा करेंगे जिससे वे पैसे के साथ-साथ नाम कमा सकें और दुनिया उनको उनकी कला के लिए जान सके और फिर नीव रखी गई अतुल्य कला की
अतुल्य कला बधिर कलाकारों द्वारा बनाए गए विभन्न उत्पादों को बेचता है और उन्हें उसका उचित मूल्य देता है जिससे उनकी जिंदगी सुधर सके। हर आर्ट में बधिर अपना नाम लिखते हैं ताकि उन्हें लोग जानें और उनकी कला से उनकी प्रसिद्धि हो। अतुल्य कला बधिरों के टैलेंट को निखार कर उनके हुनर को दुनिया के सामने पेश कर रहा है। इससे कई फायदे हैं पहला तो ग्राहकों के लिए ये लोग बेहतरीन कालकृति ला रहे हैं दूसरा बधिरों को उनके टेलेंट का उचित मूल्य मिल रहा है और साथ ही उनके टेलेंन्ट को लोग पहचान रहे हैं। देश के नजरिए से भी यह प्रयास काफी सराहनीय है क्योंकि यह प्रयास कहीं न कहीं असमानता को कम कर रहा है।
ऐसा नहीं है कि बाकी एनजीओ या संगठन बधिरों के लिए कुछ काम नहीं कर रहे। सब अपने अपने स्तर पर इन लोगों की जिंदगी सुधारने के प्रयास में लगे हैं लेकिन अतुल्य कला उनको सशक्त बना रहा है वो उनके हुनर को और निखार रहा है और उन्हेें एक शारीरिक रूप से सक्षम कलाकार से मुकाबला करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है जो काफी बड़ी बात है।
स्मृति अपने काम से काफी संतुष्ट हैं और वे अब और दृढ़ता से अपने काम में लग चुकी हैं। अतुल्य कला को शुरू हुए कुछ ही समय हुआ है लेकिन लोगों का काफी अच्छा रिस्पॉन्स इन्हें मिला है। स्मृति का विजन साफ है कि उन्हें क्या करना है वे अतुल्यकला को एक बड़ा ब्रांड बनाना चाहती हैं क्योंकि अतुल्यकला जितना बड़ा ब्रांड बनेगा उनता ही बधिर आर्टिस्ट को फायदा होगा।