CCI 26 अप्रैल तक Google के बिलिंग सिस्टम के खिलाफ स्टार्ट-अप आवेदनों का निपटान करे: दिल्ली हाई कोर्ट
अक्टूबर 2022 में, CCI ने अपने Google Play बिलिंग सिस्टम (GPBS) के लिए Google पर जुर्माना लगाया, जो कि ऐप डेवलपर्स के लिए उपलब्ध एकमात्र पेमेंट मिडियम था और Google 15-30% कमीशन लेता था. CCI ने Google को थर्ड-पार्टी पेमेंट ऑप्शन की अनुमति देने का निर्देश दिया था.
दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को निर्देश दिया कि वह उददुता के नए 'चॉइस बिलिंग' सिस्टम के खिलाफ कई स्टार्ट-अप्स द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करे. कोर्ट ने CCI को 26 अप्रैल तक आवेदनों का निस्तारण करने का आदेश दिया है.
एलायंस ऑफ़ डिजिटल इंडिया फ़ाउंडेशन (ADIF) और उसके सदस्यों द्वारा दायर आवेदनों में कहा गया है कि Google का नया 'यूज़र चॉइस बिलिंग' (UCB) जो 26 अप्रैल से लागू होगा, पहले के CCI आदेश का उल्लंघन है. बता दें कि टेक जगत की दिग्गज कंपनी पर CCI ने थर्ड-पार्टी पेमेंट्स की अनुमति नहीं देने के लिए जुर्माना लगाया था.
अक्टूबर 2022 में, CCI ने अपने Google Play बिलिंग सिस्टम (GPBS) के लिए Google पर जुर्माना लगाया, जो कि ऐप डेवलपर्स के लिए उपलब्ध एकमात्र पेमेंट मिडियम था और Google 15-30% कमीशन लेता था. CCI ने Google को थर्ड-पार्टी पेमेंट ऑप्शन की अनुमति देने का निर्देश दिया था.
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि नया UCB GPBS का एक गुप्त संस्करण है, जो ऐप डेवलपर्स को थर्ड-पार्टी पेमेंट एग्रीगेटर्स का विकल्प चुनने के लिए स्वतंत्रता प्रदान करने का दावा करता है, लेकिन बदले में, डेवलपर्स से 11-26% का सेवा शुल्क लेता है.
दलील में यह भी आरोप लगाया गया कि टेक दिग्गज ने CCI में कोरम की कमी का फायदा उठाने की कोशिश की. अदालत जाने से पहले, याचिकाकर्ताओं ने CCI के पास कई शिकायतें दर्ज कीं, जो अनसुनी हो गईं.
याचिका के अनुसार, Google इस तथ्य का फायदा उठा रहा है कि CCI के पास कोरम बनाने के लिए पर्याप्त सदस्य नहीं हैं. नतीजतन, कंपनी ऐसे व्यवहारों में संलग्न है जो प्रतिस्पर्धा-विरोधी हैं और इससे याचिकाकर्ताओं और बाजार में अन्य ऐप डेवलपर्स दोनों को स्थायी नुकसान होगा. इस व्यवहार से बाजार में विकृति भी आएगी.
ADIF के नेतृत्व वाले याचिकाकर्ताओं ने UCB के कार्यान्वयन को स्थगित करने के लिए Google से अनुरोध किया और निर्देश मांगा, जब तक कि CCI उनके आवेदनों पर निर्णय नहीं लेता है और टेक दिग्गज कंपनी को थर्ड-पार्टी के भुगतान लेनदेन पर कोई कमीशन नहीं लेना चाहिए.
एकल-न्यायाधीश वाली बेंच ने आदेश दिया, "धारा 42 के तहत याचिकाकर्ता द्वारा दायर आवेदनों को सुनने और 26 अप्रैल को या उससे पहले निर्णय लेने के लिए CCI को निर्देश देने में कोई बाधा नहीं है, चाहे कानूनी हो या अन्यथा."