फिक्की और डिक्की की तर्ज पर ओबीसी उद्यमियों ने बनाया बिक्की
"फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) और दलित उद्यमियों के संगठन दलित इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डिक्की) की तर्ज पर देश के ओबीसी उद्यमियों ने बैकवर्ड इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का गठन किया है।"
"नवनियुक्त अध्यक्ष सुरेंद्र रोहिल्ला ने कहा कि आने वाले दिनों में देश भर के ओबीसी व्यवसायियों को इस संगठन से जोड़ा जाएगा और शेष पदाधिकारियों की घोषणा भी जल्द ही की जाएगी।"
पिछले माह जनवरी में जनपथ होटल में देश भर के 10 राज्यों से आए ओबीसी उद्यमियों ने बिक्की का गठन किया है और करनाल के रोहिल्ला एसोसिएट्स लॉ फर्म के मालिक और इनकम टैक्स सेल्स टैक्स बार एसोसिएशन के पाँच बार अध्यक्ष रह चुके एडवोकेट सुरेंद्र रोहिल्ला को बिक्की का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। लखनऊ के भारत मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया है।
महाराष्ट्र फिल्म उद्योग के जगन सिंह टाइगर, उद्योगपति छत्रपति दंड, मध्य प्रदेश के लाखन सिंह पटेल, हरियाणा से रामपाल राठी, दिल्ली से राजेश सैनी और गंगानगर राजस्थान से उद्योगपति ताराचंद रतन समेत कई जाने-माने ओबीसी उद्यमियों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और बिक्की के गठन को ओबीसी के हितों के लिए अच्छी पहल बताया। नवनियुक्त अध्यक्ष सुरेंद्र रोहिल्ला ने कहा कि आने वाले दिनों में देश भर के ओबीसी व्यवसायियों को इस संगठन से जोड़ा जाएगा और शेष पदाधिकारियों की घोषणा भी जल्द ही की जाएगी।
ओबीसी समाज की एकजुटता और जागरूकता के लिए लंबे समय से काम करते आ रहे व्यवसायी ताराचंद रतन का कहना है, कि बिक्की की योजना आने वाले समय में देशभर में प्रदर्शनियों और मेलों का आयोजन करने की भी है, ताकि ओबीसी उद्यमियों को अपने कारोबार को स्थापित करने और बढ़ाने में मदद मिल सके। श्री रोहिल्ला ने कहा कि पिछड़े वर्गों के लिए सरकारें कई तरह की योजनाओं का ऐलान तो करती हैं लेकिन उसका लाभ इन वर्गों के व्यवसायियों तक नहीं पहुँच पाता है। इन वर्गों की समस्याओं को भी सही ढंग से सरकार के सामने पेश नहीं किया जाता और अब ये काम बिक्की के जरिए किए जाएंगे।
"बिक्की का मकसद पिछड़े वर्ग के व्यापारियों को हर तरह की मदद करना और ओबीसी को बराबरी का हक दिलाना है। संगठन का उद्देश्य ओबीसी बिजनेस लीडरों को तैयार करना भी है।"
इसके पहले पुणे के व्यवसायी और इंजीनियर मिलिंद कांबले 2005 में दलित इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का गठन किया था और देश भर में दलित उद्यमियों के बीच इसका विस्तार तेजी से हो रहा है। डिक्की में मूल रूप से दलित व्यवसायी ही शामिल हैं, इसलिए ओबीसी व्यवसायियों के बीच भी यह जरूरत महसूस की जा रही थी, कि उनका भी एक व्यावसायिक संगठन होना चाहिए।
बिक्की का भी मानना है कि फिक्की पर सवर्ण व्यवसायियों का ही कब्जा है और उसके जरिए ओबीसी व्यवसायियों के हितों की पूर्ति नहीं हो पाती।