गुजरात के इस मंदिर ने पेश की मिसाल, हनुमान चालिसा और कव्वाली हुई साथ-साथ
समाज में भाईचारे को वापस लौटाने के लिए गुजरात के एक मंदिर में जो घटना घटित हुई वह काफी सुखद है। दरअसल बीते शनिवार को पवित्र सावन का महीना खत्म हो रहा था और उसी के उपलक्ष्य में गुजरात के एक मंदिर में हनुमान चालिसा और कव्वाली साथ-साथ हुई।
कव्वाली और हनुमान चालिसा का आयोजन कराने वाले श्री मारुति मंजल के अध्यक्ष राकेश पटेलने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द बना रहेगा।
एक समय ऐसा था जब हमारे समाज में हर एक समुदाय और वर्ग के लोग आपसी भाईचारे के लिए जाने जाते थे। लेकिन अब न जाने क्यों हवा में एक अजीब तरह की कड़वाहट घुल गई है। यह कड़वाहट इतनी तेजी से बढ़ती जा रही है कि हम खुश रहना और मुस्कुराना तक भूल गए हैं। समाज के उस भाईचारे को वापस लौटाने के लिए गुजरात के एक मंदिर में जो घटना घटित हुई वह काफी सुखद है। दरअसल बीते शनिवार को पवित्र सावन का महीना खत्म हो रहा था और उसी के उपलक्ष्य में गुजरात के एक मंदिर में हनुमान चालिसा और कव्वाली साथ-साथ हुई।
इंडिया टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात के वड़ोदरा में तरसाली इलाके में एक प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है जहां शनिवार की शाम पहले हनुमान चालिसा का पाठ हुआ तो कुछ देर बाद ही दूसरी तरफ 'या मोहम्मद' और 'ख्वाजा' का संगीत गूंजने लगा। हनुमान मंदिर में यह एक ऐतिहासिक लम्हा था। मंदिर के ट्रस्टियों ने मुस्लिम कव्वालों को इस मौके के लिए विशेष तौर पर आमंत्रित किया था। इस ग्रुप में 10 कव्वाल थे। कव्वालों ने न केवल कव्वाली गाई बल्कि श्रोताओं को भी गुनगुनाने पर मजबूर कर दिया।
जम्बूसर के रहने वाले कव्वाल इमरान मिरासी ने कहा, 'हमने कई मस्जिदों और दरगाहों पर कव्वाली के प्रोग्राम किए लेकिन यह पहला मौका था जब हमने किसी मंदिर में कव्वाली गाई। जब हमें आमंत्रित किया गया तो काफी हैरानी हुई। सावन के महीने में मंदिर में कव्वाली गाना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।' इमरान ने कहा कि उन्होंने बिना किसी देरी के आमंत्रण स्वीकार कर लिया। वह कहते हैं कि चाहे कव्वाली हो या फिर हनुमान चालिसा या फिर कोई मंत्र, अगर पूरी शिद्दत से गाया जाए तो भगवान के पास पहुंच ही जाता है।
उन्होंने कव्वाली की शुरुआत एक देशभक्ति गाने से की उसके बाद गुजराती और हिंदी दोनों में गाने गाए गए। ग्रुप में शामिल दूसरे कव्वाल अख्तर मिरासी कहते हैं, 'हम कलाकार हैं इसलिए हम कभी धर्मों में फर्क नहीं करते। यहां तक कि हम श्री मारुति मंडल के आभारी हैं कि उन्होंने हमें मंदिर के भीतर कार्यक्रम करने का अवसर प्रदान किया। हम वहां पर उपस्थित जनता को देखकर हैरत में थे।' अख्तर की कई पीढ़ियां कव्वाली के पेशे में शामिल रही हैं।
कव्वाली और हनुमान चालिसा का आयोजन कराने वाले श्री मारुति मंजल के अध्यक्ष राकेश पटेलने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द बना रहेगा। उन्होंने कहा, 'हमने पहले हनुमान चालिसा का पाठ कर ईश्वर को याद किया फिर कव्वाली से इस मौके को उत्सव में बदल दिया। हमें खुशी है कि पूरे शहर के लोग इस मौके पर एकजुट हुए और आयोजन को सहर्ष स्वीकार किया।' जिस इलाके में यह मंदिर स्थित है वहां की आबादी 3,000 है। इसमें 500 मुस्लिम भी हैं। सभी मिलकर रहते हैं और हर शनिवार को ट्रस्ट को दान भी करते हैं।
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