चक्रवर्ती पद्मनाभन रामानुजम, भारत के एक और गणितज्ञ जिन्होंने कम उम्र में दुनिया को अलविदा कहा
चक्रवर्ती पद्मनाभन रामानुजम को संख्या सिद्धांत और बीजगणितीय ज्यामिति में उनके काम के लिए जाना जाता है.
चक्रवर्ती पद्मनाभन रामानुजम का जन्म 9 जनवरी 1938 को चेन्नई में हुआ था. कम उम्र से ही रामानुजम ने अपने आस-पास की सभी चीजों के लिए गहन जिज्ञासा का प्रदर्शन करने लगे थे. स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद चेन्नई के लोयोला कॉलेज में दाखिला लिया जहां उन्होंने गणित में विशेषज्ञता हासिल की.
अठारह वर्ष की आयु में सी.पी. रामानुजम गणित में अपना करियर बनाने के लिए मुंबई चले गए थे. वर्ष 1957 में वह अपने मित्र राघवन नरसिम्हन और एस. रामनन के साथ TIFR में शामिल हुए थे. अपने डॉक्टरेट लिखने के दौरान उन्होंने नंबर के सिध्दांतकार कार्ल लुडविग सिएगल, जर्मन गणितज्ञ, के काम से संबंधित नंबरथ्योरी पर काम करते हुए असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया. उनके योगदान को पहचानते हुए संस्थान ने उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर के पद से सम्मानित किया.
हालांकि, 1965 में बीमारी कि एक लडाई के बाद उन्होंने मुंबई मे अपना पद छोड दिया. जिसके बाद चंदीगड में एक प्रोफेसर के रुप मे काम किया जहाँ उनकी मुलाकात युवा छात्र छटीकिला मुसिली से हुई, जो लाइ समुहों के सिध्दांत से जुडे जयामिती में दिलचस्प काम के जाने जाते हैं.
गणित के अलावा रामानुजम साहित्य और संगीत में भी बहुत रुचि रखते थे.
भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम की तरह सी.पी. रामानुजम का भी जीवन बहुत छोटा था. 27 अक्टूबर, 1974 को 37 वर्ष की अल्पायु में सी.पी. रामानुजम की मृत्यु हुई, जिसकी वजह उनकी डिप्रेशन बनी.
(फीचर इमेज क्रेडिट: https://mathshistory.st-andrews.ac.uk/)