Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory
search

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT
Advertise with us

यह ट्रैवल स्टार्ट अप हर टूरिस्ट के लिए पेड़ लगाता है, रास्ते का प्लास्टिक वेस्ट एक आर्टिस्ट को दे देता है

इलाही ट्रैवेल्स के फ़ाउंडर्स यात्रियों की एक कम्यूनिटी बना रहे हैं जो एक दूसरे की मदद करती है, और पर्यावरण को लेकर सजग है.

यह ट्रैवल स्टार्ट अप हर टूरिस्ट के लिए पेड़ लगाता है, रास्ते का प्लास्टिक वेस्ट एक आर्टिस्ट को दे देता है

Wednesday June 29, 2022 , 5 min Read

2016 की बात है. 11th में पढ़ने वाले बच्चों की एक स्कूल ट्रिप अमृतसर जा रही थी. 

उस ट्रिप में अंशु और मोहित को भी होना था लेकिन उन्होंने वो ट्रिप बंक कर दी. 


क्लास बंक करना तो समझ आता है लेकिन ट्रिप कौन बंक़ करता है. और बंक करके करे क्या? 


अंशु और मोहित ने 11th में जो किया वो काफ़ी जोखिम भरा लेकिन अनोखा था. दोनों दोस्त स्कूल ट्रिप छोड़ कर अपनी ट्रिप पर निकल गए. उन्हें अमृतसर नहीं शिमला जाना था और वे अपने आप, अपने प्लान से शिमला की पहाड़ियों में पहुँच गये. 


उन्हें समझ आया उन्हें घूमना पसंद है और वह अपनी ट्रिप खुद से प्लान भी कर सकते हैं. 


कोविड के दौरान, अंशु ने ट्रेवल कंपनी खोलने का आईडिया मोहित को सुनाया तो उन्हें आइडिया जम गया. पर फण्ड की दिक्कत थी. कॉलेज से निकले दो नौजवान के पास पैसे भी तो नहीं होते. कुछ वक़्त तक दोनों ने अलग-अलग जगहों पर जॉब की. और इत्तिफाक ऐसा रहा कि मोहित के पडोसी दोस्त निरंजन ने अपना हाथ बढ़ाया और इलाही ट्रेवल्स कंपनी सितम्बर 2021 में वजूद में आ गई जिसे आज वे एक कम्पनी नहीं कम्यूनिटी कहते हैं. यह ऐसा ट्रैवल स्टार्ट अप है जो हर टूरिस्ट के लिए एक पेड़ लगाता है, रास्ते के प्लास्टिक वेस्ट को कलेक्ट करके प्लास्टिक वाला नाम से मशहूर आर्टिस्ट मनवीर गौतम को को दे देता है जो उससे आर्टवर्क बनाते हैं.  


योर स्टोरी हिंदी के साथ एक एक्सक्लूजिव बातचीत में मोहित ने कहा कि हम इलाही ट्रेवल्स को कॉर्पोरेट की तरह नहीं चलाते. उन्होंने बताया कि घूमना-फिरना या ट्रेवल करना एक जोखिम भरा काम है और यह बात सब पर  लागू होती है. ट्रेवलिंग को लेकर अक्सर लोगों के मन में डर होता है. ट्रैवल पसंद करने वाले घुमंतू लोगों  में ज़्यादातर ऐसे लोग होते हैं तो एक दूसरे की मदद करते हैं मन से यह डर निकालने में. वे यह नहीं  सोचते कि मदद मांगने वाला इंसान इनका क्लाइंट है या नहीं, और ऐसे ही कम्यूनिटी बनती है. बिज़नेस होता है और कंपीटीशन भी होता है लेकिन यह मदद करने वाला भाव शायद लोगों को एक-दूसरे से जोड़कर इसे बिजनेस से परे ले जाता है. 

स्टार्ट अप


योर स्टोरी हिंदी 

किस उम्र के लोग घूमने में ज्यादा इंटरेस्ट रखते हैं? और आप कहाँ-कहाँ के ट्रिप्स ओर्गेनाइज करते हैं? 

मोहित

24 से 35 साल के लोग. स्टूडेंट या वर्किंग लोग ही ज्यादा आते हैं. फैमिली वाले भी अब आने लगे हैं. हालांकि अपने अनुभव के आधार पर मैंने यह समझा है कि ट्रेवलिंग उम्र से बंधी नहीं होती है. मिसाल के तौर पर, ट्रेवलिंग के दौरान कभी ऐसे मौके आते हैं जो आइडियल नहीं होते वैसे मौकों पर हमने ज्यादा उम्र के लोगों को हौसले से काम लेते देखा है जबकि हमारी सोच यह  होती है कि कम उम्र के लोग या यंगस्टर्स ज़्यादा एडवेंचरस होते हैं. 

अंशु

हमने उत्तराखंड में स्थित कैंचीधाम से शुरुआत की थी और मौसम के अनुसार केदारनाथ की भी सर्विसेज देते थे. फिर हमनें स्पीती वैली (हिमाचल प्रदेश) के लिए ट्रिप्स ओर्गनाइज करना शुरू किया. अब तो हम सिर्फ़ स्पीती वैली पर फोकस कर रहे हैं और वहीँ के ट्रिप्स ले जा रहे हैं. 


योर स्टोरी हिंदी

कम्पनी का नाम इलाही ट्रेवल्स रखने के पीछे कोई ख़ास वजह है?

अंशु 

हम जब इसे शुरू कर रहे थे उन दिनों साथ में बैठ कर काफी प्लानिंग करनी होती थी और साथ में गाने भी चलते रहते थे. एक दिन फिल्म ‘ये जवानी है दीवानी’ का ‘इलाही मेरा जी आये’ गाना चला और हमें ‘इलाही’ शब्द पसंद आया. बाद में इसका मतलब ढूँढने पर पता चला इसका मतलब God होता है. ऐसे पड़ा इसका नाम ‘इलाही.’


योर स्टोरी हिंदी

हर एक ट्रैवलर जो आपके साथ ट्रेवल करता है, आप उनके लिए एक पेड़ लगाते हैं? क्या सोच है इसके पीछे?

मोहित

कोविड महामारी के दौरान हम सब हेल्पलेस फील कर रहे थे. पर हम कुछ करना चाहते थे पर समझ में नहीं आ रहा था कि हमारे जैसा आम इंसान क्या ही कर सकता है? उसी दौरान हमें ‘Give me Trees’ नाम के NGO का पता चला जो वृक्षारोपण करते हैं. इस ट्रस्ट के फ़ाउंडर को लोग ‘पीपल बाबा’ भी कहते हैं. ये पिछले 40 सालों से पेड़ लगा रहे हैं और अब तक तकरीबन 2 करोड़ पेड़ लगा चुके हैं. इसी ट्रस्ट के साथ जुड़कर कोविड के दौरान हमने दिल्ली में कोविड की वजह से हुई हर एक मौत या जान जाने के बदले एक पेड़ लगाने की सोची. 

निरंजन

हमें इसका अच्छा अनुभव रहा और हम यह करना जारी रख सकें इसीलिए हमने इसे अपने ट्रेवलिंग बिजिनेस से भी जोड़ने का सोचा. यहीं से वह आईडिया निकला. 

Plant


योर स्टोरी

पर्यावरण को लेकर या आपकी अपनी जीवन शैली में सस्टेनेबल विकल्प देखना आपकी सोच को कितना प्रभावित करता है?  

निरंजन

अपने ट्रिप्स के दौरान घूमने आने वालों का कूड़े-कचरे को लेकर, जगह को लेकर गैर-जिम्मेदाराना रवैया देखकर दुख होता था. हमने यह भी देखा कि बहुत गंदगी देखकर और लोग भी दुखी होते थे लेकिन इनीशिएटिव नहीं लेते थे. 

मोहित 

हमने इसको लेकर इनीशिएटिव लेनी की सोची. हम  habit change box नाम की चीज़ अपने ट्रिप्स में लेकर आये. यह दिल्ली के एक आर्टिस्ट मनवीर सिंह गौतम, जो ‘प्लास्टिक वाला’ के नाम से भी जाने जाते हैं, से इंस्पायर्ड आईडिया है. हम अपने वाहन में एक बोरी या बड़ा बैग रखते हैं और रास्ते से ड्राई प्लास्टिक वेस्ट कलेक्ट करते हैं. कलेक्टेड प्लास्टिक वेस्ट को हम ‘प्लास्टिक वाला’ को देते हैं जिससे वह आर्ट वर्क बनाते हैं. इसी का एक नमूना हमारे द्वारा काजा में प्लास्टिक वेस्ट से बनाया स्नो-लेपर्ड का आर्ट वर्क इन्सटाल्ड है. हमने इसके लिए ‘प्लास्टिक वाला’ से ही कोलाबोरेट किया था. 

अंशु

हम चाहते हैं कि हम सब ज़िम्मेवारी के साथ ट्रैवल करें. यह उसी दिशा में उठाया गया एक कदम है. हम तीनो की सोच है कि हमारा काम हमें ख़ुशी भी दे, हम अपने काम को केवल बिजनेस की तरह नहीं देखते.