'मराठा गौरव' छत्रपति शिवाजी महाराज की 391वीं जयंती, शिवाजी के महान विचार
छत्रपति शिवाजी महाराज को उनके अद्भुत बुद्धिबल के लिए जाना जाता है। वह पहले भारतीय शासकों में से एक थे, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र की रक्षा के लिए नौसेना बल की अवधारणा को पेश किया था।
देश के गौरव और मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की आज जयंती है। उनका जन्म 19 फरवरी 1630 में महाराष्ट्र के शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। शिवाजी के पिता शाहजी भोसले मराठा सेना में सेनापति थे और उनकी माता जीजाबाई एक धार्मिक महिला थी। शिवाजी की पहली गुरू उनकी माता ही थीं जिनसे उनको धर्म और आध्यात्म की शिक्षा मिली थी।
बचपन में शिवाजी अपनी आयु के बालक इकट्ठे कर उनके नेता बनकर युद्ध करने और किले जीतने का खेल खेला करते थे। युवावस्था में आते ही उनका खेल वास्तविक बन गया और वह शत्रुओं पर आक्रमण कर उनके किले आदि जीतने लगे।
उन्होंने अपने पराक्रम, शौर्य और कुशल युद्ध नीति के बल पर मुगलों के छक्के छुड़ा दिए थे। 1670 में मुगलों की सेना के साथ शिवाजी ने जमकर लोहा लिया था और सिंहगढ़ के किले पर अपना परचम लहराया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की 391वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है और उनके अदम्य साहस और बुद्धिमता को देशवासियों के लिए प्रेरणा बताया है। इस मौके पर उन्होंने ट्वीट कर कहा, "मां भारती के अमर सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। उनके अदम्य साहस, अद्भुत शौर्य और असाधारण बुद्धिमत्ता की गाथा देशवासियों को युगों-युगों तक प्रेरित करती रहेगी। जय शिवाजी!"
आइए आज इस खास मौके पर जानते हैं शिवाजी महाराज के कुछ क्रांतिकारी, प्रेरणादायक अनमोल विचार...
स्वतंत्रता वह वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर किसी को है।
अपना सिर कभी मत झुकाओ, हमेशा उसे ऊंचा रखो।
जब इरादे पक्के हों, तो पहाड़ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है।
बदले की भावना मनुष्य को जलाती रहती है, संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का एकमात्र उपाय है।
एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर,बाद मे विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।
शत्रु को कमजोर समझना या बहुत अधिक बलवान समझना दोनों ही स्थिति घातक है।
नारी के सभी अधिकारों में, सबसे महान अधिकार माँ बनने का है।
छत्रपति शिवाजी महाराज को उनके अद्भुत बुद्धिबल के लिए जाना जाता है। वह पहले भारतीय शासकों में से एक थे, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र की रक्षा के लिए नौसेना बल की अवधारणा को पेश किया था।