मानसिक स्तर पर आसान नहीं है कोरोना रिकवरी, इस डॉक्टर ने बयां किया अपना अनुभव, साथ ही दिये ज़रूरी सुझाव
कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आकर रिकवर हुए डॉ. नीरज कुमार मिश्रा ने इस दौरान की परेशानियों को सबके साथ साझा किया है। इसके लिए उन्होने अपने सोशल मीडिया पेज का सहारा लिया है, जहां उन्होने एक वीडियो पोस्ट किया है।
"कोरोनावायरस संक्रमण से रिकवरी के दौरान डॉ. नीरज ने 10 दिन आईसीयू में बिताए हैं और इस दौरान उन्हे करीब 25 दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा है। फिलहाल डॉ. नीरज कोरोना संक्रमण रिकवरी के बाद की परेशानियों से जूझ रहे हैं और वे ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं।"
कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस कोरोना संक्रमित मरीजों को शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से भी काफी कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना से रिकवर होने वाले मरीजों में इस दौरान अकेलेपन और तनाव जैसी परेशानियाँ भी देखी गई हैं, हालांकि इस दौरान कोरोना मरीजों के संबंध में इन मानसिक परेशानियों पर की जाने वाली चर्चा लगभग ना के बराबर है।
कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आकर रिकवर हुए डॉ. नीरज कुमार मिश्रा ने इस दौरान की परेशानियों को सबके साथ साझा किया है। इसके लिए उन्होने अपने सोशल मीडिया पेज का सहारा लिया है, जहां उन्होने एक वीडियो पोस्ट किया है।
मालूम हो कि कोरोना वायरस संक्रमण से रिकवरी के दौरान डॉ. नीरज ने 10 दिन आईसीयू में बिताए हैं और इस दौरान उन्हे करीब 25 दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा है। फिलहाल डॉ. नीरज कोरोना संक्रमण रिकवरी के बाद की परेशानियों से जूझ रहे हैं और वे ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं।
वो परेशानियां, जो आ रही हैं सामने
वीडियो में अपने अनुभव को सभी के साथ साझा करते हुए डॉ. नीरज ने रिकवरी के दौरान महसूस किए गए बेहद अकेलेपन का जिक्र किया है। डॉ. नीरज कहते हैं-
“हमेशा विज्ञान का छात्र रहने के बावजूद मैंने जो महसूस किया है वो यह है कि इस बीमारी में सबसे बड़ी मुश्किल मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक सपोर्ट की कमी के रूप में सामने आ रही है। यह बीमारी (कोरोना संक्रमण) आपको मानसिक रूप से कमजोर कर रही है। आप रात-रात भर जाग रहे हैं, पैनिक डिसऑर्डर हो रहे हैं और सुसाइडल टेंडेंसीज़ सामने आ रही हैं।”
गौरतलब है कि एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जिस अस्पताल में डॉ. नीरज भर्ती थे उसी अस्पताल में कोरोना से जंग में उन्होने अपने भाई को खो दिया जबकि उनके माता-पिता भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए थे। ऐसे में डॉ. नीरज के लिए मानसिक रूप से भी यह काफी कठिन समय रहा है।
डॉ. नीरज के अनुसार 20-25 दिनों से अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज बिना किसी अपने से मिले सिर्फ मशीनों की आवाज़ ही सुन रहे हैं, इसी के साथ ‘ऑक्सीजन की कमी’ खबरें उनके भीतर पैनिक डिसऑर्डर को बढ़ाने का काम कर रही हैं।
दिये कुछ ज़रूरी सुझाव
इस कठिन दौर में ऐसी मानसिक परेशानियों से जूझ रहे मरीजों को इससे निपटने के लिए डॉ. नीरज ने कुछ सुझाव भी दिये हैं। डॉ. नीरज के अनुसार ऐसे समय में आध्यात्मिक कनेक्ट काफी मदद कर रहा है। मतलब मरीज भजन, मंत्र या चालीसा पढ़ते-सुनते हुए अपने मन को डाइवर्ट कर सकते हैं। डॉ. नीरज के अनुसार मरीज के धर्म के अनुसार भी उनके कानों में ऐसी सकारात्मक चीजों का संचार किया जाना फायदेमंद हो सकता है।
डॉ. नीरज के अनुसार इसके अलावा मेंटल केयर टीमों को इस इलाज में जोड़ा जाये ताकि कोरोना से जूझ रहे मरीजों को सिर्फ अस्पताल में भर्ती ही ना रखा जाए बल्कि उनके सामने नज़र आने परिस्थितियों के प्रति भी उन्हे तैयार किया जाए जिससे मानसिक रूप से वो इस परिस्थिति के अनुसार खुद को मजबूत कर सकें।
तीसरे सुझाव के तौर पर डॉ. नीरज का कहना है कि यदि सिस्टम इसकी आज्ञा देता है तो पूरे प्रोटोकॉल और सुरक्षा के साथ रोजाना करीब 10 मिनट के लिए मरीज को उसके परिजनों से मिलने दिया जाए।
अपने वीडियो में डॉ. नीरज ने बड़े ही स्पष्ट तौर पर यह सुझाव दिया है कि हम सभी को यह समझना होगा की कोरोना से जंग लड़ रहा रोगी इलाज के दौरान अकेला न रह जाए और मानसिक रूप से परेशान न हो जाये इसके लिए बड़ी ही सतर्कता के साथ ध्यान देने की जरूरत है।
डॉ. नीरज ने यह वीडियो 12 मई को शेयर किया है। डॉ. नीरज का वीडियो आप इधर देख सकते हैं-
Edited by Ranjana Tripathi