कोरोना काल में दिव्यांगजनों का सहारा बनी ये दृष्टिबाधित महिला, दे रही हैं बड़े ही सकारात्मक सुझाव
टिफनी बरार खुद एक दृष्टिबाधित सामाजिक कार्यकर्ता हैं और कोरोना काल में अपनी संस्था के जरिये दिव्यांगजनों की लगातार मदद कर रही हैं।
कोरोना महामारी ने यूं तो सभी को झकझोर का रख दिया है लेकिन इस दौरान दिव्यांगजनों और खासकर दृष्टिबाधितजनों को बेहद मुश्किल समय का सामना करना पड़ रहा है। मालूम हो कि इस कठिन दौर में ऐसे लोगों की मदद के लिए एक महिला लगातार प्रयासरत है।
टिफनी बरार खुद एक दृष्टिबाधित सामाजिक कार्यकर्ता हैं और कोरोना काल में अपनी संस्था के जरिये दिव्यांगजनों की लगातार मदद कर रही हैं। टिफनी को उनके कामों के लिए यूं तो सैकड़ों पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, इसी के साथ साल 2017 में उन्हे देश के राष्ट्रपति के हाथों ‘बेस्ट रोल मॉडल’ के नेशनल अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है।
संस्था के जरिये मदद
टिफनी ने दिव्यांगजनों की मदद के उद्देश्य से साल 2015 में ज्योतिर्गमय फाउंडेशन की स्थापना की थी। यह संस्था मूल रूप से दृष्टिबाधितजनों को मोबाइल फोन, कंप्यूटर और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना सिखाती है।
इतना ही नहीं जब कोरोना महामारी ने भारत में अपने पैर पसारे तो संस्था ने दिव्यांगजनों को मानसिक हालत पर भी कंसल्टेशन उपलब्ध कराना शुरू कर दिया। टिफनी के अनुसार चाहें कोरोना हो या न हो लेकिन इस तरह की लॉकडाउन वाली स्थिति में जरूरी वस्तुओं तक पहुँचने के लिए दिव्यांगजनों हर समय ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उन्हे ऐसे में मदद की आवश्यकता होती है।
दिव्यांगजनों के लिए बढ़ी मुश्किल
टिफनी इसी साल अप्रैल में खुद भी कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ गई थीं, हालांकि इस दौरान उनके परिवार ने उनका पूरा ख्याल रखा जिसके बाद वह आसानी से रिकवर कर गईं। टिफनी का मानना है कि ऐसे बेहद चुनौतीपूर्ण समय में हर कोई उनकी तरह भाग्यशाली नहीं होता है।
इस कठिन दौर में आम लोगों के भीतर जो दिव्यांगजनों को लेकर एक झिझक भरी हुई है उसपर बात करते हुए टिफनी कहती हैं कि कोरोना काल में कोई भी एक दूसरे को छूना नहीं चाहता है लेकिन दृष्टिबाधित लोगों की मदद अधिकतर छूकर ही करनी पड़ती है, ऐसे में लोग उनकी मदद करने में झिझक जाते हैं।
इस बारे में सुझाव देते हुए टिफनी कहती हैं कि यदि दिव्यांगजनों और दृष्टिबाधित लोगों को कोरोना संक्रमण हो जाता है तो ऐसी स्थिति में सामाजिक संस्थाओं को उन लोगों को किसी अन्य सुरक्षित स्थान/घरों पर ले जाना चाहिए जहां ऐसे लोगों को इलाज के साथ ही उनकी देखभाल में सहयोग मिल सके। सरकार को भी चाहिए कि वह इस तरह दिव्यांगजनों और दृष्टिबाधित लोगों की मदद कर रहे लोगों को आर्थिक रूप से सहयोग प्रदान करे।
दृष्टिबाधितजनों को मिले सहूलियत
टिफनी के अनुसार अस्पतालों पर दिव्यांगजनों और खासकर दृष्टिबाधित लोगों के लिए कुछ लोग या वॉलांटियर होने चाहिए जो उनकी रजिस्ट्रेशन आदि में मदद कर सकें। उनका मानना है कि सरकारी ऐप्स जैसे आरोग्य सेतु और उमंग आदि को दृष्टिबाधितजनों के इस्तेमाल के अनुकूल बनाया जाए।
टिफनी का सुझाव है कि ऐसा होने के बाद दिव्यांगजन भी इन सरकारी ऐप्स के जरिये खुद को वैक्सीन लगवाने के लिए आसानी से रजिस्टर कर सकेंगे, साथ ही अपने वैक्सीनेशन को ट्रैक भी कर सकेंगे।
देश में कोरोना के बढ़े हुए प्रकोप पर बात करते हुए टिफनी कहती हैं कि आज लोग सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन कर रहे हैं लेकिन फिर भी बड़ी तादाद में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इन नियमो को नहीं मान रहे हैं, ऐसे लोगों को बुनियादी बातों के बारे में जान लेना बेहद आवश्यक है कि बिना सोशल डिस्टेन्सिंग और मास्क के हम इस महामारी से पार नहीं पा सकते हैं।