महिला वकीलों के बाल संवारने पर रोक लगाने वाला नोटिस 5 दिन में ही वापस
सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने ही इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर इसकी जानकारी दी और उन्होंने ही नोटिस वापस लिए जाने की जानकारी भी दी. जबकि कोर्ट रजिस्ट्रार ने इस बारे में कमेंट करने से इनकार कर दिया.
पुणे की जिला अदालत ने सोमवार को उस नोटिस को वापस ले लिया जिसमें महिलाओं पर कोर्ट के दौरान बाल संवारने से रोक लगाई गई थी. अदालत की तरफ से 20 अक्टूबर को ये नोटिस जारी हुआ था. उसमें कहा गया था कि महिला वकीलों के खुले कोर्ट में बाल संवारने की वजह से अदालत के कामकाज पर असर पड़ता है.
यह नोटिस तब चर्चा में आया जब सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने इस बारे ट्विटर पर पोस्ट किया. उन्होंने नोटिस शेयर करते हुए लिखा, ‘वॉओ, देखिए जरा महिला वकीलों से किसका ध्यान भटक रहा है और क्यों’. कई यूजर्स ने इसे महिला विरोधी और महिलाओं का नीचे दिखाने वाला बताया.
एक शख्स ने कमेंट किया कि रजिस्ट्रार/कोर्ट एडमिनिस्ट्रेशऩ को सार्वजनिक रूप से इस तरह के नोटिस जारी करने की बजाय महिला वकीलों के लिए पर्याप्त कॉमन रूम उपबल्ध कराने के बारे में सोचना चाहिए. एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘ऐसे वकील कोर्ट में कर क्या रहे हैं जिनका ध्यान महिलाओं के बाल संवारने से भटक जाता है?’
ट्विटर पर चौतरफा आलोचना के बाद अदालत को ये नोटिस वापस लेना पड़ा. उधर दैनिक भास्कर के मुताबिक रजिस्ट्रार ऑफिस से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘नोटिस केवल कोर्ट रूम की मर्यादा बनाए रखने के लिए जारी किया गया था. किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए इसे वापस ले लिया गया है.’ इंदिरा जयसिंह ने ट्विटर पर ही इसकी भी जानकारी देते हुए कहा, ‘सक्सेस ऐट लास्ट’ यानी आखिरकार सफलता मिल गई.
इस संबंध में जब पीटीआई ने रजिस्ट्रार ऑफ दी पुण कोर्ट से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, ‘मैं इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.’ जबकि 20 अक्टूबर को जारी इस नोटिस पर कथित तौर पर खुद कोर्ट रजिस्ट्रार के दस्तखत थे.
पुणे बार असोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट पांडुरंग थोर्वे ने कहा है कि उनके ऑफिस को ऐसा कोई नोटिस नहीं मिला है. थोर्वे ने कहा- एडवोकेट्स को जारी किए गए सभी नोटिस पुणे बार असोसिएशन को भेजे जाते हैं, लेकिन आज तक हमें ऐसा कोई नोटिस नहीं मिला है. हालांकि, शनिवार को विरोध जताने के बाद नोटिस तुरंत वापस ले लिया गया है.
उन्होंने कहा दिवाली की छुट्टियां 21 अक्टूबर से शुरू हो गई हैं और कोर्ट का काम 28 अक्टूबर को दोबारा शुरू होगा.
थोर्वे ने कहा, सोशल मीडिया पर जब नोटिस वायरल हुआ तो मैं कोर्ट में इसे वेरिफाई करने गया कि वाकई ऐसा कोई नोटिस लगा है क्या लेकिन वहां ऐसा कोई नोटिस नहीं था.
Edited by Upasana