इंफ्लुएंसर्स की वजह से इस वेबसाइट पर दोगुना हो गया था ट्रैफिक, Vaani Kola बोलीं बड़ी पावरफुल है Creator Economy
खुद Chess.com का ये कहना है कि क्रिएटर्स, स्ट्रीमर्स, कोच और चेस कम्यूनिटी मेंबर द्वारा बनाए जा रहे अव्वल दर्ज के कंटेंट की वजह से हमें इतने बड़े स्तर पर ट्रैफिक देखने को मिला.
अगर आप चेस खेलने के शौकीन हैं तो आपने भी Chess.com पर कभी न कभी खेला ही होगा. आप ही नहीं चेस के लगभग सभी शौकीन Chess.com पर खेलने के शौकीन हैं.
आलम ये हुआ कि प्लेटफॉर्म पर जनवरी में एक दिन में 1 करोड़ लोगों ने लॉगिन किया और 3.2 करोड़ बार गेम खेले गए. एक महीने पहले के मुकाबले यह आंकड़ा सीधा दोगुना है. अगर महामारी के दौरान, जिस वक्त लोग घरों में बंद थे उस समय के मुकाबले खेले गए गेम्स की संख्या से तो कहीं ज्यादा है.
इतना ज्यादा ट्रैफिक बढ़ने के पीछे की वजह क्या थी? इसका जवाब है- क्रिएटर इकॉनमी! खुद Chess.com का ये कहना है कि क्रिएटर्स, स्ट्रीमर्स, कोच और चेस कम्यूनिटी मेंबर द्वारा बनाए जा रहे अव्वल दर्ज के कंटेंट की वजह से हमें इतने बड़े स्तर पर ट्रैफिक देखने को मिला.
क्रिएटर इकॉनमी पर तो हम व्यापक स्तर पर बात करते आए हैं, लेकिन एक उदाहरण विशेष इसका गवाह है कि इस इकॉनमी का असर कितना गहरा और बड़ा हो सकता है.
वेंचर कैपिटल फर्म Kalaari Capital की फाउंडर और एमडी Vaani Kola ने मंगलवार को एक लिंक्डइन पोस्ट शेयर किया जिसमें उन्होंने Chess.com और क्रिएटर इकॉनमी वाले इस वाकये पर अपनी राय रखी.
उन्होंने लिखा, क्रिएटर इकॉनमी में कितनी ताकत है यह केस इसकी जीती जागती मिसाल है. एन्ना कार्मलिंग (Anna Cramling) और बोटेज सिस्टर्स (Botez sisters) जैसी पॉपुलर चेस क्रिएटर्स युवाओं को चेस खेलने के लिए प्रेरित कर रही हैं.
उनके चैनल्स पर चेस पर आधारित या उससे जुड़े ढेरों तरह के कंटेंट मिल जाएंगे, जिसमें लाइव स्ट्रीम्स से लेकर गलियों..सड़कों पर चेस खेलते हुए तो कभी मैग्नस कार्लसन और रमेशबाबू प्रज्ञानानंद जैसे दिग्गज चेस प्लेयर्स के गेम को एनालज करते हुए वीडियो शामिल हैं.
Chess.com के मुताबिक कई सेलिब्रिटी और इंफ्लुएंसर अब सोशल मीडिया पर गेम को लेकर अपनी पसंद रखने लगे हैं. हाल ही में दिग्गज फुटबॉल प्लेयर मेसी और रोनाल्डो के साथ में चेस खेलने वाला एक सोशल मीडिया पोस्ट देखते ही देखते अरबों लोगों के फीड में पहुंच गया.
आज से 10 साल पहले इंफ्लुएंसर अमूमन सेलेब्रिटीज को ही माना जाता था. लेकिन आज इंफ्लुएंसर्स की कैटेगरी बन चुकी है, जिसके जितने ज्यादा फॉलोअर उसकी उतनी अधिक इंफ्लुएंस करने की क्षमता.
इतना ही नहीं मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 63 फीसदी मिलेनियल्स किसी ब्रैंड के बारे इंफ्लुएंसर की राय को ज्यादा स्वीकार करते हैं. ऐसे में कई बड़े-छोटे, नए-पुराने ब्रैंड्स ने अपने बिजनेस मॉडल में बदलाव करना शुरू कर दिया है.
वाणी लिखती हैं कि नए तरीके के कंटेंट बनते हैं तो नए बिजनेस मॉडल भी पैदा होते हैं. क्रिएटर इकॉनमी इस बात को साबित कर रही है.
Edited by Upasana