Budget 2023: उभरती क्रिएटर्स इकॉनमी को इस बजट से क्या उम्मीदें हैं?
इस ईकोसिस्टम के कुछ एक्सपर्ट्स ने YourStory Hindi को बताया कि बजट में सरकार इंफ्लुएंटर और क्रिएटर्स जगत के लिए नए और सख्त नियम बना सकती है. कुछ अन्य देशों की तरह क्रिएटर कार्ड्स की भी पेशकश हो सकती है. क्रिएटर्स इकॉनमी को इंडस्ट्री का दर्जा और उसके लिए बजट आवंटन जैसी उम्मीदें हैं.
हाल के सालों में क्रिएटर इकॉनमी ने काफी ग्रोथ हासिल की है. ग्रोथ ही नहीं क्रिएटर्स इकॉनमी अपने-अपने आप में एक सेक्टर बन चुकी है. इसलिए आइए जानने की कोशिश करते हैं इस ईकोसिस्टम के लोगों की बजट से क्या उम्मीदे हैं?
इस ईकोसिस्टम के कुछ एक्सपर्ट्स ने YourStory Hindi को बताया कि बजट में सरकार इंफ्लुएंटर और क्रिएटर्स जगत के लिए नए और सख्त नियम बना सकती है. कुछ अन्य देशों की तरह क्रिएटर कार्ड्स की भी पेशकश हो सकती है. क्रिएटर्स इकॉनमी को इंडस्ट्री का दर्जा और उसके लिए बजट आवंटन जैसी उम्मीदें हैं.
डॉट मीडिया के सीईओ शुभम सिंघल ने कहा, क्रिएटर इकॉनमी अब केवल कम्यूनिटी के लिए एक शब्द नहीं है, यह मार्केटिंग बिजनेस और ज्यादातर ब्रैंड्स की प्लानिंग का एक अभिन्न अंग बन गया है. केवल ब्रैंड ही नहीं बल्कि सरकार भी इस सेक्टर की अहमियत और प्रभाव को समझ रही है.
आगामी बजट आवंटन में, हम उम्मीद करते हैं कि क्रिएटर इकॉनमी को एक अलग इंडस्ट्री के रूप में मान्यता दी जाएगी. साथ ही बजट आवंटन में पर्याप्त राशि भी दी जाएगी. इसमें शामिल सभी पक्षों को बराबर के मौके मिलें किसी का शोषण ना हो, इसके सरकार इन्फ्लुएंसर और क्रिएटर इंडस्ट्री के लिए नए और सख्त नियम बना सकती है.
एक अन्य संभावित परिदृश्य कई अन्य देशों की तरह इन्फ्लुएंसर/क्रिएटर कार्ड्स बनाना भी हो सकता है. ये कार्ड उन कलाकारों को इन्फ्लुएंसर के रूप में सत्यापित करेंगे और उन्हें ऐड से जुड़ी एक्टिविटीज में भाग लेने की आजादी देंगे.
गौरतलब है कि ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स की एक स्टडी बताती है कि 2021 में इस ऑनलाइन कम्यूनिटी ने देश की जीडीपी में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया है. साथ ही इस दौरान 750,000 फुल टाइम रोजगार भी दिए.
2020 में क्रिएटर्स इकॉनमी ने जीडीपी में 6,800 करोड़ रुपये का योगदान दिया जबकि 683,900 लोगों को फुल टाइम नौकरियां दी थीं. आंकड़ों को देखकर इस बात का साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्रिएटर्स इकॉनमी में कितनी बड़ी इंडस्ट्री बनने की काबिलियत है.
वहीं आइसबर्ग क्रिएशंस के फाउंडर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर दीपक पारीक का कहना है, पिछले 2-3 सालों से क्रिएटर इकॉनमी ने काफी ग्रोथ हासिल की है. इसलिए क्रिएटर्स से लेकर इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग एजेंसियों की संख्या में वृद्धि हुई है.
ब्रैंड्स भी मनचाहे रिजल्ट हासिल करने के लिए क्रिएटर्स पर पैसा खर्च करने के लिए तैयार हैं. एक क्रिएटर के रूप में केंद्रीय बजट से मेरी अपेक्षा क्रिएटर इकॉनमी के लिए धन आवंटित करने की है, ताकि क्रिएटर्स अपने स्किल को मोनेटाइज कर सकें.
यह कंटेंट क्रिएशन स्कूल खोलने या कंटेंट क्रिएशन पर एक पूरा पाठ्यक्रम शुरू करने की कवायद भी शुरू की जा सकती है. सरकार से क्रिएटर इकॉनमी को लेकर ज्यादा सपोर्ट की उम्मीद है.
हालांकि सरकार की तरफ से भी बीते सालों में क्रिएटर्स और क्रिएटर्स इकॉनमी को काफी पहचान मिली है. कई राज्य सरकारें लगातार क्रिएटर्स/इंफ्लुएंसर के साथ मिलकर वर्कशॉप या बड़े प्रोग्राम आयोजित करा रही हैं. ऐसे में बजट में क्रिएटर्स कम्यूनिटी की उम्मीदें पूरी होने की संभावना नजर आ रही है.
इधर सोशलटैग के को-फाउंडर चिराग जैन ने कहा, क्रिएटर इकॉनमी में हाल के सालों में अच्छी खासी ग्रोथ देखी गई है. इस ग्रोथ के आगे भी जारी रहने की उम्मीद है, जिससे क्रिएटर इकॉनमी के और बढ़ने, अधिक फलने-फूलने का रास्ता खुलेगा.
यह उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है और 2022 इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग क्षेत्र के लिए अपेक्षाओं और विनियमों के संदर्भ में एक दिलचस्प साल रहा है, सरकार गिफ्ट लेने वाले क्रिएटर्स पर टीडीएस लगा रही है. नतीजतन, इसका मतलब है कि वे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहे हैं.
उन्हें अब कुछ सरकारी लाभ मिलना चाहिए क्योंकि वे देश की टैक्स प्रणाली का एक हिस्सा हैं. उदाहरण के लिए, भारतीय पर्यटन को बढ़ावा देने वाले क्रिएटर्स को किसी तरह से लाभ होना चाहिए.
सरकार एक बजट तय कर सकती है और अपने प्रोडक्ट, इनीशिएटिव या पर्यटन की मार्केटिंग के लिए क्रिएटर्स को काम पर लगा सकती है.