अमित खुद से ही प्रोग्रामिंग सीखने लगे जिससे धीरे-धीरे उन्हें प्यार हो गया। वे ऐसे युवा हैं जिन्होंने खुद को एक प्रोफेशनल प्रोग्रामर और सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में स्थापित किया है।
यह प्लेटफॉर्म फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों के पेशवर डेवलपरों की भी मदद करता है। माइंडऑर्क्स पर तीन सौ से ज्यादा लेखक हैं जो तकनीक और डिजाइन से संबंधित अपने ज्ञान को लिख कर साझा करते हैं।
अमित शेखर ने आईआईटी बीएचयू से साल 2014 में सिविल इंजिनियरिंग में बीटेक किया था। लेकिन अपना भविष्य उन्होंने प्रोग्रामिंग में बनाने का संकल्प लिया। उनके अनुसार एक बेहतरीन प्रोग्रामर खुद से सीखता है और अंदर से मेहनती होता है। अगर समस्या सुलझाने में मजा आता हो तभी कोई बढ़िया प्रोग्रामर बन सकता है। अमित आज तीन स्टार्टअप– माइंडऑर्क्स, गेट मी एन एप और हैकर स्पेस कोवर्किंग स्पेस के सहसंस्थापक हैं।
अमित अपने सिविल इंजिनियर से प्रोग्रामर बनने के सफर के बारे में योरस्टोरी से बात करते हुए बताते हैं कि स्नातक पूरा होने तक मेरे दिमाग में यह विचार आने लगे थे कि क्या मैंने अपने चार साल कॉलेज में बर्बाद कर दिये हैं? लेकिन मेरे अंदर से ही यह जवाब भी आते थे कि नहीं मैंने कॉलेज से ही प्रॉब्लम सॉल्विंग कौशल सीखे हैं और लोगों से मजबूत संबंध बनाए हैं। प्रॉब्लम सॉल्विंग कौशल एक ऐसा महत्वपूर्ण कौशल है जो जिंदगी के हर मोड़ पर काम आता है। उसी दौर में मैंने स्टीव जॉब्स का वो वीडियो देखा जिसमें वे कहते हैं:
'आपको वो चीज मिल ही जाती है जिससे आप प्यार करते हैं। ये आपके काम/पेशा के लिए उतना ही सच है जितना आपके प्यार के लिए। आपका काम आपके जीवन का एक बड़ा हिस्सा होता है, और खुद को संतुष्ट करने के लिए आपको वो काम करना ही पड़ेगा जिसे आप महान कार्य समझते हैं। और महान कार्य करने का एक ही तरीका है कि आप अपने काम से प्यार करें। और अभी तक अगर आप अपने इस प्यार को नहीं पा सकें हैं तो रुकिये मत, खोजिए उसे। आपके रिश्ते की तरह यह सालों साल बाद और खूबसूरत होता जायेगा। इसलिए आप जब तक उसे खोज न पायें तब तक अपने आप को रोकिये मत।'
स्टीव जॉब्स के इन शब्दों में अमित का गहरा विश्वास है। कॉलेज में चार साल तक सिविल इंजिनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद अमित ने प्लेसमेंट के लिए कोई भी कोशिश नहीं की। क्योंकि वो असमंजस की स्थिति में थे कि उन्हें करना क्या है।
अमित खुद से ही प्रोग्रामिंग सीखने लगे जिससे धीरे-धीरे उन्हें प्यार हो गया। वे ऐसे युवा हैं जिन्होंने खुद को एक प्रोफेशनल प्रोग्रामर और सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में स्थापित किया है। यही नहीं उन्होने दुनिया की सबसे बड़ी एंड्राएड कम्यूनिटी माइंडऑर्कस की नींव भी रखी। साथ ही गेटमीएनएप्प और हैक्कर स्पेस कोवर्किंग के जरिये भारत में प्रोग्रामिंग और कोडिंग को आसान बनाने की राह पर चल रहे हैं। अमित के स्टार्टअप जो तकनीक में दुनिया में जरूरी सुधार कर रहे हैं।
माइंडऑर्क्स (MindOrks)
यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म हैं जहां स्टूडेंट प्रोग्रामिंग और सॉफ्टवेयर डेवलप करना सिखते हैं। संसार की सबसे बड़ी इस एंड्राएड कम्यूनिटी से स्टूडेंट और डेवलपर मोबाइल डेवलपमेंट, ब्लॉकचेन और आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बारे में जरूरी मदद हासिल करते हैं। माइंडऑर्कस अभी तक एक लाख से ज्यादा डेवलपरों की मदद कर चुका है।
इस प्लेटफॉर्म पर पब्लिश होने वाले वीडियो ट्यूटोरियल और ब्लॉग्स के जरिये पेशेवर डेवलपर को अपने क्षेत्र में अपनी दक्षता को और सुदृढ़ करने में मदद की जाती है। इसके अलावा पांच हजार से ज्यादा डेवलपरों का एक समूह भी है जिसके माध्यम से वे अपनी समस्यायों का मिलकर समाधान निकालते हैं।
यह प्लेटफॉर्म फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों के पेशवर डेवलपरों की भी मदद करता है। माइंडऑर्क्स पर तीन सौ से ज्यादा लेखक हैं जो तकनीक और डिजाइन से संबंधित अपने ज्ञान को लिख कर साझा करते हैं।
गेट मी एन ऐप
अमित शेखर गेटमी एन ऐप्प के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीइओ) और सह-संस्थापक हैं। गेट मी एन ऐप एक मोबाइल ऐप डिजाइन और डेवलपमेंट कंपनी है। स्टार्टअप और उद्यमों को अपना एंड्रॉएड, आइओएस और ब्लॉकचेन एप्लिकेशन विकसित करने में मदद करता है। ऐप विकसित करने की सभी प्रभावी और लेटेस्ट तकनीक का इस्तेमाल करती है अमित शेखर की यह कंपनी, चाहे वो ब्लॉकचेन हो, एआई हो या मशिन इंटेलिजेंस (एमआई)। इसके साथ ही ये कंपनियों के लिए मोबाइल ऐप्प सलाहकार के रूप में भी काम करते हैं।
हैकर स्पेस कोवर्किंग
अमित शेखर गुप्ता जहां एक तरफ स्टार्टअप और स्थापित कंपनियों को अपने प्रोग्रामिंग कौशल का कायल बना चुके हैं वहीं दूसरी तरफ छोटी कंपनियों और स्टार्टअप के लिए नोएडा में हैकर स्पेस को-वर्किंग नाम से एक ऑफिस स्पेस भी खड़ा किया है। जहां स्टार्टअप के बिजनेस डेवलपमेंट में हर संभव मदद की जाती है।
यह भी पढ़ें: पुराने कपड़ों को रीसाइकिल कर पर्यावरण बचाने वाली दो डिजाइनरों की दास्तान