माड्यूलर टॉयलेट पर राजी हुई कन्नौज की क्रांतिकारी दुल्हनिया
ये दुल्हन तो टॉयलेट बनवा कर ही मानी...
अब तो मान ही जाइए कि अक्षय कुमार की फिल्म 'टॉयलेट: एक प्रेमकथा' सचमुच देश में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। कानपुर की क्रांतिकारी दुल्हनिया सुनीता ने तो टॉयलेट के लिए बड़े-बड़ों का ऐंठन ढीला कर दिया। अनशन किया, बीमार पड़ी, मायके लौट गई। प्रशासन ने टॉयलेट बनवा दिया है। अब दोबारा ससुराल लौटने के लिए उसे 14 अप्रैल का इंतजार है। उत्तर प्रदेश में 'मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना' के तहत अब हर दुल्हनिया को उपहार के साथ टॉयलेट बनवाने का चेक भी मिलेगा।
कन्नौज के गांव ग्राम टिड़ियापुर में 18 फरवरी 2018 को सुनीता की शादी दिनेश शर्मा के बेटे सुमित से हुई। जब अगले दिन 19 फरवरी को मैट्रिक पास सुनीता ससुराल पहुंची तो पता चला कि दूल्हे के घर में तो टॉयलेट ही नहीं है। सास और ननद ने कहा कि खेत में चली जाओ। सुनीता ने कहा कि वह बाहर खेत में नहीं जाएगी। ससुराली उस पर दबाव बनाने लगे तो उसने खाना-पीना त्याग दिया
'ऐसी लागी लगन, दुल्हन हो गई मगन, टॉयलेट-टॉयलेट गुनगुनाने लगी।' वाह, क्या जमाना आ गया। बहुत सुंदर। आनंद ही आनंद। गांवों में उल्लास का मौसम। उत्तर प्रदेश में 'मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना' के तहत अब हर दुल्हनिया को उपहार के साथ टॉयलेट बनवाने का चेक भी मिलेगा। जमाना बदल रहा है। गांव सुधर रहे हैं तो खेतों में शौच करने वालों की भी अब खैर नहीं। लखनऊ (उ.प्र.) के गांव पटखौली में पिछले दिनो शिवकुमार गुप्ता की बेटी सुमन की शादी के दिन खेतों में शौच करने वाले बारातियों को ग्रामीणों ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। पांच बाराती घायल हो गए।
अब तो मान ही जाइए कि अक्षय कुमार का 'टॉयलेट' सचमुच देश में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। कन्नौज की दुल्हनिया ने तो टॉयलेट के लिए बड़े-बड़ों का ऐंठन ढीला कर दिया। आखिरकार वह मॉड्युलर टॉयलेट बनवा दिए जाने के बाद ही अपनी ससुराल जाने को राजी हुई। इस क्रांतिकारी दुल्हनिया का नाम है सुनीता। कानपुर के नौबस्ता थाना क्षेत्र निवासी हीराचन्द्र की बेटी सुनीता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है - ''हमारे गांव को ओडीएफ मुक्त करें। हर मां-बाप से भी अपील है कि बेटी का रिश्ता पक्का करने से पहले वे इतना जरूर देख लें कि उसकी ससुराल में टॉयलेट है या नहीं। जब ससुराल पक्ष दहेज ले सकता है तो क्या टॉयलेट नहीं बनवा सकता!''
कन्नौज के गांव ग्राम टिड़ियापुर में 18 फरवरी 2018 को सुनीता की शादी दिनेश शर्मा के बेटे सुमित से हुई। जब अगले दिन 19 फरवरी को मैट्रिक पास सुनीता ससुराल पहुंची तो पता चला कि दूल्हे के घर में तो टॉयलेट ही नहीं है। वह टॉयलेट जाना चाही तो सास और ननद ने कहा कि खेत में चली जाओ। सुनीता ने कहा कि वह बाहर खेत में नहीं जाएगी। उसके मायके में टॉयलेट है। बाहर जाने में उसे शर्म आती है। ससुराली उस पर दबाव बनाने लगे तो उसने खाना-पीना त्याग दिया और लगातार चार दिन तक टॉयलेट नहीं गई। इससे उसकी तबीयत बिगड़ गई। पेट में संक्रमण हो गया। इस बीच पूरा गांव जान गया कि दुल्हन हठ कर बैठी है। उसके पिता को फोन पर सारा वाकया बताया गया। ससुर ने चेतावनी दे डाली की वह अपनी बेटी को ले जाए। वह अभी टॉयलेट नहीं बनवा पाएंगे। जब टॉयलेट बनवा लेंगे तो बहू को विदा करा लाएंगे।
विगत 24 फरवरी हीराचन्द्र बेटी को ससुराल से नौबस्ता के घर ले आए। इस बीच सुनीता का इलाज भी चलता रहा। हीराचन्द्र बताते हैं कि गलती उनकी है। जब वह रिश्ता तय कर रहे थे, उन्हें इस बात का ध्यान नहीं रहा था। अब तो बेटी तभी ससुराल जाएगी, जब वहां टॉयलेट बन जाएगा। उधर, क्रांतिकारी सुनीता के ससुर दिनेश शर्मा ने प्रधान मानसिंह पाल को साथ लेकर कन्नौज सदर तहसील में टॉयलेट के लिए आवेदन कर दिया। चूंकि प्रधानमंत्री स्तर से देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है, इसलिए दिनेश के प्रार्थनापत्र पर सरकारी मशीनरी तुरंत सक्रिय हो गई। कानपुर के नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने सुनीता को माड्यूलर टॉयलेट देने की घोषणा की। कन्नौज जिला प्रशासन ने उन्हें छह हजार का चेक और छह हजार कैश देकर शौचालय निर्माण शुरू करा दिया। चेक क्लियरेंस में देरी से काम में वक्त लगा। आखिरकार, लड़ाई खत्म हुई। अब माड्यूलर टॉयलेट बनकर तैयार हो चुका है। सुनीता के मायके वालों से बातचीत के बाद तय हुआ है कि 14 अप्रैल तक शुक्र अस्त होने के कारण विदाई ठीक नहीं है। शुक्र उदय होते ही विधि-विधान से विदा कराके सुनीता को ससुराल ले जाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश का ही एक और जनपद है शाहजहांपुर। यहां के अटसलिया गांव में भी अब शहनाइयां बजने की उम्मीद जाग गई है। पिछले दिनो जब मीडिया ने इस गांव पर 'टॉयलेट- एक प्रेमकथा' को हवा दी तो प्रशासनिक अमला गांव जा धमका। टॉयलेट बनने लगे। अटसलिया शाहजहांपुर शहर से सटे भावलखेड़ा ब्लाक की ग्राम पंचायत हथौड़ा बुजुर्ग का एक मजरा है। इस गांव के कुंआरे परेशान डोल रहे थे क्योंकि उनके घरों में शौचालय नहीं होने के कारण उनकी शादियां अटकी हुई थीं। कोई भी जागरूक पिता इस गांव के लड़कों से अपनी बेटियां ब्याहने को तैयार नहीं था। अब गांव में नया जमाना आ गया है। प्रशासन टॉयलेट के निर्माण करा रहा है। यहां की महिलाएं भी कहती हैं- बिना टॉयलेट दुल्हन का श्रृंगार अधूरा होता है। हम सबने ठाना है, टॉयलेट जरूर बनवाना है, परिवार को स्वस्थ बनाना है।
उल्लेखनीय है कि 'टॉयलेट- एक प्रेम कथा' मथुरा के निकट के दो गांवों की कहानी है। यह एक हास्य-व्यंग्य फिल्म है जो ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता के महत्व पर प्रकाश डालती है और खुले में शौच की परंपरा की मुखालफत करती है। पंचायत से स्वच्छता विभाग, सरकार की भूमिका से लेकर ग्रामीणों के अंधविश्वासों, घोटालों, पहले प्रेम से लेकर परिपक्व रोमांस तक को इस फिल्म में व्यंग्यात्मक रूप में दर्शाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देशव्यापी स्वच्छता अभियान तो मानो पूरी दुनिया को आईना दिखा रहा है। देश की राजधानी दिल्ली में तो अनूठा 'शौचालय महोत्सव' भी आयोजित किया जा चुका है। स्वच्छ भारत मिशन की तर्ज पर पड़ोसी देश चीन ने भी स्वच्छ चीन मिशन शुरू किया है। इसका मुख्य उद्देश्य देशभर में शौचालयों को स्वच्छ बनाना है। इस 'टॉइलट क्रांति' के तहत चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पिछले दिनो सभी अधिकारियों को पूरे देश में मौजूद टॉइलट्स को अपग्रेड करने के आदेश दिए। सिन्हुआ न्यूज के मुताबिक शी ने संबंधित अधिकारियों से कहा है कि शहरी और ग्रामीण लोगों के जीवनस्तर को सुधारने के लिए स्वच्छ टॉइलट्स का निर्माण करना देश के लिए बहुत महत्वूर्ण काम हो गया है।
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार गाँवों को निर्मल बनाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना का संचालन कर रही है। योजना के तहत ऐसे परिवार जिनके घरों में शौचालय नहीं है और उन्हें खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है उन्हें आर्थिक रूप से मदद देकर शौचालय निर्माण के साथ ही नियमित उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। शौचालय निर्माण के लिए प्रत्येक परिवार को 12 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दो किस्तों में देने की व्यवस्था है। ये धनराशि वर्तमान में ग्राम पंचायतों के द्वारा दी जा रही है। देश के ऐसे गरीब परिवारों को इस योजना का लाभ प्रदान किया जाता है, जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है और वह अपने यहां शौचालय का निर्माण कराने में असमर्थ हैं। उन्हें मजबूरन खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। ऐसे कमजोर परिवारों को स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय निर्माण के लिए अनुदान प्रदान किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत पात्र आवेदक को सरकार द्वारा दो किस्तों में धन उसके बैंक खाते के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। स्वच्छ भारत मिशन योजना का उद्देश्य देश के सभी ग्राम पंचायतों को 2019 तक स्वच्छ बनाना है।
देश में शौचालयों को लेकर सबसे ज्यादा महिलाओं में बेचैनी इसलिए भी है कि इस अव्यवस्था अथवा मजबूरी का सबसे शर्मनाक खामियाजा उन्हें ही भुगतना पड़ता है। यह स्थिति उनके लिए बेहद शर्मनाक होती है। घर से बाहर शौच जाने के वक्त उनके साथ प्रायः छेड़खानी, अपहरण, दुष्कर्म आदि की अप्रिय वारदातें होती रहती हैं।
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