एक थप्पड़ ने बना दिया राज कपूर को सुपरस्टार
नीली आंखों वाले राज कपूर की मासूम अदाकारी, चार्ली चैपलिन से मिलती-जुलती स्टाइल, आंखों में आंसू और होठों पर मुस्कराहट वाली छवि ने लोगों को अपना दीवाना बना दिया था। सोवियत संघ के दौर में वे भारत के ऐसे अनूठे कलाकार रहे जिसे सोवियत जनता ने भी भरपूर प्यार दिया।
हिंदी फिल्म जगत के शोमैन कहे जाने वाले दिवंगत अभिनेता-निर्माता-निर्देशक राज कपूर के फिल्मी करियर की शुरुआत भी उनकी तरह ही निराली है। क्या आप जानते हैं, कि हिंदी सिनेमा में बड़े कीर्तिमान स्थापित करने वाले राज कपूर का फिल्मी करियर एक थप्पड़ के साथ शुरू हुआ था?
राजकपूर फिल्मों में अभिनय के साथ ही कुछ और भी करना चाहते थे। राज कपूर ने 24 साल की उम्र में अपना प्रोडक्शन स्टूडियो 'आर के फिल्म्स' शुरू किया और इसी के साथ वे इंडस्ट्री के सबसे यंग डायरेक्टर बन गए।
14 दिसंबर 1924 को पेशावर में जन्मे राज कपूर जब मैट्रिक परीक्षा के एक विषय में फेल हो गए, उस वक्त उन्होंने अपने पिता पृथ्वीराज कपूर से कहा था कि 'मैं पढ़ना नही चाहता, मैं फिल्मों में काम करना चाहता हूं। मैं एक्टर बनना चाहता हूं। फिल्में बनाना चाहता हूं।' राजकपूर की बात सुनकर पृथ्वीराज कपूर की आंख खुशी से चमक उठी। इसमें शक नहीं कि राज कपूर ने जिस परिवार में जन्म लिया, उसका बॉलीवुड में बड़ा नाम था। लेकिन एक सच यह भी है, कि राज कपूर ने अपने करियर में जिन ऊंचाइयों को छुआ, उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ उनकी मेहनत और काबिलियत थी।
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नामचीन निर्देशकों में शुमार केदार शर्मा की एक फिल्म में 'क्लैपर ब्वॉय' के तौर पर काम करते हुए राज कपूर ने एक बार इतनी जोर से क्लैप किया कि हीरो की नकली दाड़ी क्लैप में फंसकर बाहर आ गई। इस पर केदार शर्मा ने गुस्से में आकर राज कपूर को जोरदार चांटा रसीद कर दिया था।
बॉलीवुड का शोमैन और वो एक थप्पड़
राज कपूर जब अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के साथ मुंबई आकर बसे तो उनके पिता ने उन्हें एक मंत्र दिया था, 'राजू नीचे से शुरुआत करोगे तो ऊपर तक जाओगे।' पिता की इस बात को गांठ बांधकर राजकूपर ने 17 साल की उम्र में 'रंजीत मूवीकॉम' और 'बॉम्बे टॉकीज' फिल्म प्रोडक्शन कंपनी में स्पॉटब्वॉय का काम शुरू किया। पृथ्वी राज कपूर जैसी हस्ती के घर जन्म लेने के बाद भी राज कपूर को बॉलीवुड में कड़ा संघर्ष करना पड़ा। उनके लिए शुरुआत इतनी आसान नहीं रही थी। उस वक्त के नामचीन निर्देशकों में शुमार केदार शर्मा की एक फिल्म में 'क्लैपर ब्वॉय' के तौर पर काम करते हुए राज कपूर ने एक बार इतनी जोर से क्लैप किया कि हीरो की नकली दाड़ी क्लैप में फंसकर बाहर आ गई। इस पर केदार शर्मा ने गुस्से में आकर राज कपूर को जोरदार चांटा रसीद कर दिया था। आगे चलकर इन्हीं केदार ने अपनी फिल्म 'नीलकमल' में राजकपूर को बतौर नायक लिया था।
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बॉलीवुड के पहले सबसे युवा फिल्ममेकर
राजकपूर फिल्मों में अभिनय के साथ ही कुछ और भी करना चाहते थे। राज कपूर ने 24 साल की उम्र में अपना प्रोडक्शन स्टूडियो 'आर के फिल्म्स' शुरू किया और इसी के साथ वे इंडस्ट्री के सबसे यंग डायरेक्टर बन गए। अपनी प्रोडक्शन की पहली फिल्म 'आग' में राज कपूर ने मधुबाला, कामिनी कौशल और प्रेम नाथ के साथ काम किया। इस फिल्म में उन्होंने डायरेक्टर और एक्टर दोनों की भूमिका निभाई।
राज कपूर भारत के पहले ऐसे कलाकार हैं, जिन्हें सोवियत जनता का भी भरपूर प्यार मिला। उनकी आवारा और श्री-420 जैसी फिल्में रूस में बेहद सराही गईं। उन्हें भी रूस से काफी मोहब्बत थी, जिसकी झलक फिल्म 'मेरा नाम जोकर' में साफ-साफ दिखाई पड़ती है।
रूसी लोगों का राजकपूर प्रेम
नीली आंखों वाले राज कपूर की मासूम अदाकारी, चार्ली चैपलिन से मिलती-जुलती स्टाइल, आंखों में आंसू और होठों पर मुस्कराहट वाली छवि ने लोगों को अपना दीवाना बना दिया था। सोवियत संघ के दौर में वे भारत के ऐसे अनूठे कलाकार रहे, जिन्हें सोवियत जनता ने भी भरपूर प्यार दिया। इसकी एक बड़ी वजह ये थी, कि नीली आंखों वाले इस कलाकार का अक्स काफी हद तक रूसी दिखता था। एक बार जब वे रूस गए तो लोगों ने उनको रूसी कलाकार ही समझा। वे भारत के पहले ऐसे कलाकार हैं जिनकी आवारा और श्री-420 जैसी फिल्में रूस में बेहद सराही गईं। उनको भी रूस से बेहद प्यार था। उसकी झलक 'मेरा नाम जोकर' फिल्म में दिखती है। फिल्म के सर्कस वाले हिस्से में रूसी अदाकार दिखते हैं और राज कपूर एक रूसी बाला से रोमांस करते हुए दिखते हैं।
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राज कपूर के बेटे ऋषि कपूर ने एक बार मीडिया को बताया था कि 'राज कपूर एक बार बिना वीजा के ही रूस चले गए थे और वहां उनका जोरदार स्वागत हुआ था। रूस में राज कपूर की गजब की लोकप्रियता थी और जब भी वे वहां जाते, लोग तहे दिल से उनका स्वागत करते थे।
60 के दशक के मध्य में राज कपूर फिल्म 'मेरा नाम जोकर' बना रहे थे और फिल्म के सिलसिले में उन्हें रूसी सर्कस के कलाकारों से मिलना था, जिसके लिए उन्हें लंदन से मास्को जाना पड़ा। मास्को पहुंचने पर उन्हें पता चला की उनके पास रूस का वीजा ही नहीं है फिर भी रूस में उनका जबरदस्त स्वागत हुआ।