रिजर्व बैंक ने कहा बैंकों से नई करेंसी का रिकॉर्ड रखने को
रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वे नए नोटों का रिकॉर्ड रखें। आयकर विभाग और अन्य विधि प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा बड़े पैमाने पर ऊंचे मूल्य के नोट जब्त किए जाने के मद्देनजर यह निर्देश जारी किया गया है। केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा है, कि यह महसूस किया जा रहा है कि करेंसी चेस्ट द्वारा जारी इन बैंक नोटों का रिकॉर्ड रखने के लिए उचित प्रणाली होनी चाहिए। इसी के मद्देनजर बैंकों को सलाह दी जाती है कि वे करेंसी चेस्ट के स्तर तथा शाखा स्तर पर ऊंचे मूल्य के नोटों का रिकॉर्ड रखें। दिन के अंत में जारी किए गए नोटों के रिकॉर्ड पर संयुक्त कस्टोडियन और शाखा प्रबंधक द्वारा दस्तखत किए जायें।
इससे पहले वित्त मंत्रालय ने कल सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निर्देश दिया था कि वे पुराने 500 और 1000 के नोटों तथा अन्य वैध मुद्राओं में जमाओं का कड़ाई से रिकॉर्ड रखें।
साथ ही जाली नोटों की मात्रा का पता लगाने के लिए रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है, कि वे नोटबंदी के बाद बदलने या जमा कराए जाने के दौरान पकड़ में आए जाली नोटों का ब्योरा उपलब्ध कराएं। बैंकों को जाली करेंसी का ब्योरा तीन अलग-अलग तारीखों को देना है। इसकी पहली तारीख 16 दिसंबर है। रिजर्व बैंक ने इससे पहले बैंकों को जारी परामर्श में कहा था कि बैंकों को दैनिक आधार पर विभिन्न बैंकों में पकड़ में आए जाली नोटों के बारे में रिपोर्ट करना है। रिजर्व बैंक की अधिसूचना में कहा गया है कि इसी को जारी रखते हुए बैंकों को शाखा दर शाखा जाली नोट का ब्योरा उपलब्ध कराना है।
10 नवंबर से 9 दिसंबर तक पकड़ में आए जाली नोटों का ब्योरा बैंकों को रिजर्व बैंक को 16 दिसंबर तक देना है। 10 से 16 दिसंबर का ब्योरा 23 दिसंबर तक तथा 17 से 30 दिसंबर का ब्योरा 6 जनवरी, 2017 तक देने का निर्देश दिया गया है।
उधर दूसरी तरफ भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है, कि उसने निजी क्षेत्र के एक्सिस बैंक का लाइसेंस रद्द करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है। पिछले महीने 500 और 1,000 का नोट बंद किए जाने के बाद एक्सिस बैंक की कुछ शाखाओं में कथित तौर पर अनियमितता के मामले सामने आए हैं। एक अधिसूचना में केंद्रीय बैंक ने कहा, कि ‘रिजर्व बैंक स्पष्ट करता है कि उसने एक्सिस बैंक का बैंकिंग लाइसेंस रद्द करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है।’ मीडिया में इस तरह की खबरें आई हैं, कि एक्सिस बैंक का लाइसेंस रद्द हो सकता है, जिसके बाद केंद्रीय बैंक ने यह स्पष्टीकरण दिया है। बंबई शेयर बाजार को भेजे स्पष्टीकरण में एक्सिस बैंक ने कहा कि हम संबंधित रिपोर्ट की सामग्री का मजबूती से खंडन करते हैं। बैंक के पास रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार मजबूत प्रणाली और नियंत्रण है।
एक्सिस बैंक ने कहा कि हमारा मानना है कि इस खबर का मकसद आम जनता, कर्मचारियों में भय पैदा करना है और बैंक की छवि को आघात पहुंचाना है। इन्हीं सब अफवाहों के चलते बंबई शेयर बाजार में एक्सिस बैंक का शेयर 2.56 प्रतिशत के नुकसान से 444.60 रुपये पर बंद हुआ।
इन्हीं सबके बीच नकदी की कमी को देखते हुए दो बैंकों के यूनियनों ने आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल को पत्र लिखकर 500 रूपए के नए नोटों और छोटी कीमत के नोटों की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा है। पटेल को लिखे पत्र में संघों ने लिखा है, कि 5,00 और 100 रुपए के नोटों की अनुपलब्धता के कारण ग्राहक 2000 रूपए का नया नोट लेने से हिचक रहे हैं, क्योंकि उन्हें बाजार में उसका खुदरा नहीं मिल रहा है। ऑल इंडिया बैंक इम्पलॉइज एसोसिएशन के महासचिव सीएच वेंकटचलम और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव एस. नागराजन ने पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा है, कि 100 रूपए के नोटों की भारी कमी है। इस कारण रि-कैलिबरेटेड एटीएम भी काम नहीं कर रहे हैं। बैंको को भी दिक्कत आ रही है क्योंकि ग्राहक छोटी कीमत वाले नोट मांग रहे हैं। नोटों की कमी के कारण कुछ जगहों पर ग्राहकों और बैंक कर्मचारियों के बीच कहासुनी की स्थिति भी उत्पन्न हो गयी है।
उधर दूसरी तरफ नोटबंदी के बाद सिक्किम में नकदी संकट पर चिंतित केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रिजर्व बैंक से कहा कि वह यह सुनिश्चित करे कि पूर्वोत्तर के इस राज्य को नोटों की कमी की वजह से किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े। सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने सिंह से बात कर उन्हें राज्य में करेंसी की स्थिति से अवगत कराया जिसके बाद गृह मंत्री ने यह निर्देश दिया। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सिंह ने केंद्रीय बैंक से विभिन्न बैंकों और एटीएम में पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराने को कहा है जिससे लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 और 1,000 के नोट को आठ नवंबर को बंद करने की घोषणा के बाद से देशभर में बैंकों और एटीएम के बारह लंबी कतारें लगी हैं।
साथ ही डिजिटल भुगतान से जुड़े खाके की समीक्षा के लिए गठित नीति आयोग की एक समिति ने नयी कंपनियों सहित सभी भागीदारों को समान अवसर प्रदान करते हुए देश में लेनदेन के इलेक्ट्रोनिक तरीकों को बढावा देने की सिफारिश की है।
नीति आयोग के बयान के अनुसार समिति ने देश में डिजिटल भुगतान की वृद्धि तेज करने के लिए मध्यावधि रणनीति सुझाई है। समिति ने देश में ऐसी नियामकीय प्रणाली की वकालत की है, जो कि प्रतिस्पर्धा को बढावा देने के साथ साथ ‘डिजिटल अंतर’ को पाटे।
यह समिति पूर्व वित्त सचिव और फिलहाल नीति आयोग के प्रधान सलाहकार रतन पी वाटल की अध्यक्षता में गठित की गई थी। समिति ने अपनी रपट आज वित्तमंत्री अरूण जेटली को सौंप दी है।
यह समिति अगस्त में गठित की गई थी। समिति को कर रियायत व अन्य प्रोत्साहनों के जरिए देश में डिजिटल या कार्ड भुगतान के उपाय सुझाने को कहा गया था। इस 11 सदस्यीय समिति में आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर एच आर खान, सीबीडीटी व यूआईडीएआई के चेयरमैन भी शामिल हैं।