बच्चों की एक्स्ट्रा केयर के लिए 'प्रीकेयर्ड'
...ताकि बच्चा भी खुश और मम्मा भी प्रीकेयर्ड पर बिकने वाले प्रोडक्ट की कीमत इसकी असल कीमत से आधी
तबरेज खान उन उद्यमियों में से एक हैं जो एक निजी समस्या के समाधान तलाशने के लिए प्रेरित होते हैं और कुछ नया करने की सोचते हैं। तबरेज खान ने अपने बच्चे के उपकरणों को बेचने के लिए ही प्रीकेयर्ड की शुरुआत की थी। पर उनके लिए बड़ी निराशा की बात थी कि भारत में इस तरह का कोई प्लेटफॉर्म ही नहीं था। ऐसे में उनके सामने बस एक ही विकल्प था कि वो या तो उन्हें कबाड़ को बेच दें या फिर उसे अपने घर के स्टोर में धूल फांकने के लिए छोड़ दें।
वो इसे लेकर जितना सोचते थे, उन्हें ये विश्वास होने लगता कि इस तरह के इस्तेमाल किए हुए सामान को बेचने के लिए कोई न कोई जगह जरूर होनी चाहिए। काफी सोच-विचार के बाद तबरेज ने 2011 में प्रीकेयर्ड की शुरुआत की। योरस्टोरी तबरेज की इस पहल के विकास पर लगातार नजर रखे हुए थी, लेकिन बाद में वो इसकी नजरों से ओझल हो गया। कुछ हफ्ते पहले तबरेज ने हमें फोन किया और कहा कि उसके पास कुछ बेहद ही रोचक बात साझा करने को है।
आपको बता दें कि तबरेज का पिछले दो साल का समय रोलर-कोस्टर सफर जैसा रहा है।
प्रीकेयर्ड के लॉन्च के बाद तबरेज धीमी रफ्तार से ही सही, लेकिन लगातार आगे बढ़ते रहे हैं। तबरेज ने बताया, ‘मैंने अच्छी संख्या में प्रोडक्ट जमा कर लिया है। इस प्लेटफॉर्म पर अच्छी संख्या में ग्राहकों ने भी रजिस्ट्रेशन कराया है।’ प्रीकेयर्ड ने नवंबर, 2011 में माईफर्स्टचेक के जरिए पहली बार फंड भी जुगाड़ लिया है। जुलाई, 2012 तक प्रीकेयर्ड करीब 4 लाख की इनवेंट्री खड़ा करने में कामयाब हो गया। लेकिन जुलाई, 2012 में मुंबई में हुई जबरदस्त बारिश से आई बाढ़ ने वेयरहाउस में रखे सभी सामान को बर्बाद कर दिया।
ये घटना तबरेज और प्रीकेयर्ड के लिए बड़ा झटका था। इस इनवेंट्री को तैयार करने में तबरेज को एक साल लगा था, लेकिन बारिश और बाढ़ ने सबकुछ बर्बाद कर दिया।
प्रीकेयर्ड पर बच्चों के इस्तेमाल किए वे प्रोडक्ट्स बेचे जाते हैं, जिन्हें पहले तो साफ कर सैनिटाइज किया जाता है, और फिर उसकी स्थिति के मुताबिक उसकी ग्रेडिंग की जाती है। प्रीकेयर्ड पर बच्चों के खिलौने, नहाने के एसेसरीज, कार की सीट, प्रैम्स, क्रैडल्स सरीखे प्रोडक्ट्स ऑफर्स में उपलब्ध हैं।
शुरुआत में प्रीकेयर्ड माता-पिता से सभी प्रोडक्ट खरीद लिया करता था, लेकिन बाढ़ से हुए नुकसान के बाद तबरेज ने अपनी इस नीति में बदलाव किया। जनवरी, 2014 के बाद तबरेज ने आंशिक उधार पर लोगों से सामान लेना शुरू किया। इसके तहत प्रोडक्ट की कीमत का 5% हिस्से का भुगतान किया जाता था, बाकी की रकम का भुगतान सामान बिकने के बाद किया जाता था। प्रीकेयर्ड अभी भी एक शख्स का संगठन है और ज्यादातर काम बाहरी स्रोत से कराए जाते हैं। तबरेज खुद सारे प्रोडक्ट्स का पीक-अप संभालते हैं। इस काम में उन्हें अपने परिवार के दूसरे सदस्यों की भी मदद मिलती है।
सामान की जांच, उसकी ग्रेडिंग और पैकेजिंग के लिए एक अलग टीम है, जबकि इसका लॉजिस्टिक्स या संचालन के लिए एक अलग टीम है। प्रीकेयर्ड पर बिकने वाले सामान पर 15 दिनों के अंदर वापसी नीति है, लेकिन तबरेज कहते हैं कि बहुत कम ही ऐसे मौके आते हैं जब सामान वापस किए जाते हैं। तबरेज का कहना है, ‘जब मैंने इसकी शुरुआत की थी, तब मुजे स्टार्टअप, एंटरप्रेन्योरशिफ जैसी बातों की कोई जानकारी नहीं थी। मेरे लिए बस ये एक ऐसा आडिया था जिससे मैं काफी प्रभावित था और जिसे मैं बाजार में लागू कर इसके असर को देखना चाहता था।’ शुरुआत के बाद इस क्षेत्र में कई चीजें सीखने को मिली।
जो भी प्रोडक्ट बेचे जाते हैं, वो सुरक्षित हैं या नहीं, ये हमेशा से प्राथमिकता में रहे हैं। अगली सीख लोगों को अच्छे प्रस्ताव देने की है। ग्राहकों को प्रोडक्ट में विभिन्नाताएं चाहिए, वो थोड़े बहुत नहीं, बहुत सारे प्रोडक्ट की उम्मीद रखते हैं। ये एक बड़ी चुनौती रही है क्योंकि विभिन्नता इस बात पर निर्भर करती है कि ग्राहकों ने साइट पर क्या-क्या लिस्ट की हैं, और इस तरह और ज्यादा तरह के प्रोडक्ट के लिए ग्राहकों को ऑनलाइन लिस्ट भी करना होगा। इस चुनौती से पार पाने का एक ही उपाय है और ये कि ज्यादा से ज्यादा लोग साइट पर विजिट करें और अपने प्रोडक्ट को ऑनलाइन लिस्ट करें। धीरे-धीरे ये बात फैलने लगी और ज्यादा से ज्यादा लोग साइट पर आने लगे, आलम ये है कि आज प्रीकेयर्ड पर 300 से ज्यादा प्रोडक्ट हैं जिन्हें ग्राहक चुन सकते हैं।
तबरेज कहते हैं कि साइट पर बड़ी संख्या में लोग ऑर्गनिक रहे हैं। जब बाढ़ ने मेरे सारे प्रोडक्ट को बहा ले गई थी, तब मैं इस काम को बंद करने की सोच रहा था। लेकिन मैंने इस काम को सिर्फ इसलिए जारी रखा क्योंकि मेरे पास लगातार ग्राहकों के फोन आते रहे। औसतन हर रोज मेरे पास जानकारी के लिए दस फोन कॉल्स आया करती थीं। तबरेज अपने प्रीकेयर्ड के प्रचार के लए गूगल एडवर्ड्स का भी इस्तेमाल करते हैं।
प्रीकेयर्ड के लिए मुंबई लगातार मुख्य बाजार बना हुआ है, और इस सूची में बैंगलोर का नंबर दूसरा है। तबरेज ने बताया, ‘ज्यादातर मांग न्यूक्लियर फैमिली यानी छोटे परिवारों से आते हैं और इस तरह के प्रोडक्ट इस्तेमाल करने वाले नई पीढ़ी के माता पिता भी इसकी मांग करते हैं। ये माता-पिता शायद पहली पीढ़ी के माता-पिता हैं जिन्होंने इस तरह के प्रोडक्ट की मांग की है।’ साइट पर औसतन प्रति खरीदारी 3,500 रुपये की होती है और साइट पर खरीदारी करने के लिए आने वाले ग्राहकों में 28% ऐसे खरीदार होते हैं जो पहले भी खरीदारी कर चुके होते हैं।
प्रीकेयर्ड पर बिकने वाले प्रोडक्ट की कीमत इसकी असल कीमत से आधी कीमत पर बेचे जाते हैं, और तबरेज की मानें तो साइट पर तो ऐसे प्रोडक्ट्स की भरमार है जिन्हें कुछ ही महीने के इस्तेमाल के बाद साइट पर बेचने के लिए लिस्ट कर दिए गए हैं। प्रीकेयर्ड जिस अवधारणा के साथ शुरू की गई है, वो भारत में एक नई बात है, लेकिन भारत के लोगों में सामान को रिसाइकिल करने की आदत पुरानी है। हम सब को याद है कि कैसे हमें हमारे बडे भाई या बहन के पुराने खिलौने खेलने के लिए दिए जाते थे।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ये काम काफी लोकप्रिय है और काफी समय से चल रहा है। ये इसलिए भी है क्योंकि विदेश में लोग बेबी केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल भारतीयों के मुकाबले काफी पहले से कर रहे हैं। तबरेज का कहना है कि भारत में ये बाजार करीब 4,000 से 6,000 करोड़ के बीच का है और प्रीकेयर्ड को इस क्षेत्र में पहला होने का फायदा मिलेगा।
तबरेज ने अपने पिछले सभी बुरे दिनों को भूलाकर अब इस कारोबार को और बढ़ाने की योजना बनाई है। भारत में बेबी केयर मार्केट जिस तेजी से विकास कर रहा है, वैसे में फायदा तो तबरेज को ही होगा।