जंगल और खराब लकड़ियों के इस्तेमाल को लेकर जागरुक करते मिस्टर गारबेज वुड
इंडोनेशिया के दलदलों में पाई जाने वाली दुर्लभ लकड़ी से फर्नीचर इत्यादि बनाकर बेचते हैं टिम ओ‘ब्रायनपहले-पहल स्थानीय लोगों से लकड़ी के पुराने खंबो को खरीदकर उन्हें नया रूप देते हुए की ‘ट्राॅपिकल सैल्वेज’ की स्थापनाप्रारंभिक दिनों में लोग इन्हें मिस्टर गारबेज वुड यानि कूड़े की लकड़ी वाला कहकर चिढ़ाने लगेबीते दस वर्षों में लकड़ी से कलाकृतियां और फर्नीचर बनाकर दिया इस व्यवसाय को एक नया रूप
वर्ष 1977 में स्नातक की डिग्री लेने के बाद टिम ओ‘ब्रायन ने खुद को इंडोनेशिया के लोम्बोक द्वीप पर पाया। हालांकि वे इस क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य के कायल होकर रह गए लेकिन उन्होंने देखा कि वहां के स्थानीय लोग उन दिनों बहुत ही सुंदर, पुरानी और मजबूत लकड़ी के बने खंबों इत्यादि को नष्ट कर रहे हैं और उनके स्थान पर कंक्रीट के ढांचों का प्रयोग कर रहे हैं। वे और भी हैरान उस समय हुए जब उन्होंने देखा कि स्थानीय लोग इन आबनूस और सागौन की लकड़ी के मजबूत काॅलमों को या तो कूड़े में फेंक दे रहे हैं या फिर गरीब लोगों को ईंधन या जलावन के रूप में प्रयोग करने के लिये दे रहे हैं।
ओ‘ब्रायन इतनी उच्च गुणवत्ता वाली और कीमती इमारती लकड़ी को इस प्रकार बर्बाद होते देख नहीं पा रहे थे। हालांकि उन्हें अभी तक यह नहीं सूझ रहा था कि वे इस करीब 18 इंच के व्यास वाली और 5 इंच लंबी लकड़ी के काॅलमों का इस्तेमाल करके क्या कर सकते हैं लेकिन उन्होंने एक ठेठ और पारंपरिक उद्यमी की तरफ तुरंत फैसला किया और एक खाली गोदाम को किराये पर लेते हुए स्थानीय लोगों से उनकी इस अतिरिक्त लकड़ी को खरीदना प्रारंभ कर दिया।
बहुत जल्द ही एक समय ऐसा आ गया जब उनके पास लकड़ी का ढेर लग गया और अब भी उन्हें यह साफ नहीं था कि उन्हें इसका करना क्या है। इसके बाद ओ‘ब्रायन ने अन्य विकल्पों की खोज में स्थानीय बढ़ईयों के साथ संपर्क करना शुरू किया। उनका विचार था कि शायद इन बढईयों की मदद से वे इस बेशकीमती लकड़ी से कलाकृतियां या फर्नीचर तैयार करके उसे बेचने में सफल हो पाएंगे।
उनके इरादे तो मजबूत थे लेकिन उनका साथ देने वाला कोई नहीं था और मात्र एक महीने के अंतराल पर ही स्थानीय बढ़ई इन्हें अलविदा कर गए। उनके अनुसार इस बेकार लकड़ी जिसे वे लोग कूड़ा मानकरर फेंक देते हैं या जलावन में प्रयोग करते हैं, पर अपने शिल्प-कौशल का प्रयोग करना इनके कौशल का अपमान करना था। जैसे-जैसे यह कहानी इलाके में फैली और स्थानीय लोगों को ओ‘ब्रायन के इरादों के बारे में पता चला तो उन्होंने उन्हें ‘पाक कायू साम्पाह’ यानि मिस्टर गारबेज वुड के नाम से चिढ़ाना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे ओ‘ब्रायन पूरे इलाके में बेहद बदनम हो गये और उन्हें इन स्थानीय कारीगरों को इस बेशकीमती लकड़ी के बारे में जानकारी देने के अलावा एक व्यवसाई के तौर पर और भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
चुंकी इस पुरानी लकड़ी का एक अच्छा खासा भाग कई बार बहुत अच्छी स्थिति में नहीं होता था इसलिये कई लकडि़यों को आपस में मिलाकर एक कलात्मक और बिक्री योग्य फर्नीचर या कलाकृति का निर्माण करने के लिये बहुत अधिक रचनात्मकता और संसाधनों की आवश्यकता होती थी। इसके अलावा आम और ड्यूरियन सहित कुछ ऐसी भी लकडियां थीं जो दूसरी प्रजाति के साथ मिलाये जाने पर बहुत जल्द ही दीमक और अन्य कीड़ों की चपेट में आ जाती थीं और उस समय तक बाजार में मौजूद प्रतिरोधी संसाधन इनपर काबू पाने में नाकामयाब सिद्ध हुए थे।
अपने व्यवसायिक कौशल का प्रयोग करते हुए ब्रायन और उनकी टीम ने कुछ ऐसे अनुकूलित कीटनाशकों को तैयार करने में सफलता प्राप्त की जो इन कीड़ों का प्रभावी तरीके से सफाया करने के अलावा इस्तेमाल में आसान और सुरक्षित थे। इस सबसे बड़ी चुनौती से पार पान के बाद ओ‘ब्रायन को मालूम था कि अब उनका उत्पाद एक उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद बन गया है और इस तरह ‘ट्राॅपिकल सैल्वेज’ की नींव पड़ी।
व्यापार करने के लिये आवश्यक एक स्पष्ट दृष्टिकोंण के साथ अब ओ‘ब्रायन को चिंता थी तो सिर्फ यही कि क्या उन्हें लकड़ी की इतनी आपूर्ति नियमित रूप से मिलती रहेगी जितनी उनके व्यापार के लिये जरूरी है?
अब तक प्राप्त हुई जानकारी से वे इतना जानने मे सफल रहे थे कि बीते कई वर्षों की विवर्तनिक और ज्वालामुखी गतिविधियों नें सैंकड़ों पेड़ों को जड़ों से उखाड़ दिया था और फिरर वे उस इलाके में होने वाली भारी बारिश के साथ बहकर यहहां आ गए थे और नदी की तलहटी में इकट्ठे हो गए थे। इसके अलावा बीते कई वर्षों से जारी अवैध कटान के चलते भी पेड़ों को काटकर नदी में फेंका जाता रहा था।
फिर भी लकड़ी की इस बहुतायत के बावजूद ओ‘ब्रायन ‘ट्राॅपिकल सैल्वेज’ को स्थापित करने की अपनी क्षमता और स्थिरता सुनिश्चित करने को लेकर चिंतित रहे।
इसी दौरान उन्हें बरसात के दिनों की अपनी यात्राओं के अनुभवों की याद आई जिनमें वे अक्सर चावल के खेतों से गुजरने के दौरान लकड़ी के बड़े-बड़े लट्ठों को जमीन से निकलते हुए देखकर बहुत हैरान हुआ करते थे। ये लट्ठे वहां तक कैसे पहुंचे उन्होंने इसकी जांच करने का फैसला किया। इस जांच के बाद ही ओ‘ब्रायन को यहां के दलदलों और इनमें दफ्न लकड़ी के बड़े लट्ठों के राज के बारे में पता चला। उन्हें मालूम हुआ कि यह सब सैंकड़ों वर्ष पहले हुए ज्वालामुखी विस्फोटों का नतीजा है।
कुछ ही क्षणों में भूवैज्ञानिक परिवर्तन के अद्भुत और विनाशकारी नतीजे देखने को मिले जिसके फलस्वरूप इन उष्णकटिबंधीय वनों में खड़े से विशाल पेड़ एक बहुत ही अविश्वसनीय परिणति को प्राप्त हुए। ये विशाल पेड़ जिनमें से कई तो जमीन के ऊपर ही बेहद प्राचीन थे इन दलदलों में दफ्न होकर जमीन के नीचे जाकर तो और भी अधिक प्राचीन और कीमती हो गए।
क्योंकि आॅक्सीजन इन घने और गीले दलदलों को भेदकर भीतर जाने में असमर्थ थी इसलिये ये दफ्न पेड़ न केवल सैंकड़ों वर्षों तक सलामत रहे बल्कि इन्होंने इन दलदलों में मौजूद खनिजों को अपने भीतर अवशोषित किया और अधिक शक्ति और करिश्मे से सराबोर हो गईं। टिम ओ‘ब्रायन जो अपने व्यवसाय को स्थापित करते हुए इन उष्णकटिबंधीय वनों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के प्रयासों में लगे हुए थे के लिये ये दलदल सोने की किसी खान से कम नहीं थे।
आज दस वर्षों के बाद उत्तरी अमरीका और यूरोपीय बाजारों में अपनी छाप छोड़न के बाद 80 स्थानीय कर्मचारियों के साथ ओ‘ब्रायन अब भी अपनी संरक्षण की उसी मूल प्रतिबद्धता से प्रेरित हैं जिसके चलते उन्होंने ‘ट्राॅपिकल सैल्वेज’ की स्थापना की थी।
व्यापार में कमाए अपने धन के साथ ओ‘ब्रायन ने जेपारा फाॅरेस्ट कंज़रवेंसी के साथ हाथ मिलाया और इंडोनेशिया में संरक्षण, शिक्षा और वनीकरण की परियोजनाओं को लागू करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन्होंने देशी प्रजातियों के पौधो को लगाने के साथ ही वनीकीण के काम को करना प्रारंभ भी कर कर दिया है। ये लोग बहुत प्रभावशाली तरीके से अब तक 35 विभिन्न प्रजातियों के 500 से अधिक पौधों को सफलतापूर्वक उगा भी चुके हैं।
ओ‘ब्रायन का मानना है कि हालांकि अब अधिकतर लोग इन उष्णकटिबंधीय वनों की महत्ता को जानते हुए इनके संररक्षण के बारे में विचार करने लगे हैं लेकिन फिर भी एक अतिरिक्त जागरुकता तात्कालिक आवश्यकता है।
चुनौतियों को पसंद करने वाले ओ‘ब्रायन को यह काम कररना सबसे अधिक पसंद है। ‘ट्राॅपिकल सैल्वेज’ के साथ अपने काम के माध्यम से वे अबतक सैंकड़ों, हो सकता है हजारों, पेड़ों को कटने से बचा चुके हैं वे यह अच्छी तरह से जानते हैं कि दूसरे उद्यमियों को इन उष्णटिबंधीय वनों का संरक्षण करते हुए आर्थिक रूप से व्यवहारिक व्यवसाय शुरू करने के क्याा फायदे हैं।
ओ‘ब्रायन कहते हैं, ‘‘मैं रोजाना इन उष्णकटिबंधीय जंगलों के एक बेहतर भविष्य का सपना देखते हुए जागता हूँ और अपने कामों के द्वारा इसे और मजबूती प्रदान करता हूँ।’’