18 वर्षीय टिकटॉक स्टार ने बैन के बाद की आत्महत्या, थोड़े दिनों से थी डिप्रेशन में
डिप्रेशन हमारे सामने भ्रम पैदा करता है, इससे पहले की और देर हो जाये तोड़ना होगा उन भ्रमों को
डिप्रेशन लोगों को यह मानने पर मजबूर कर देता है कि अब उनके सामने कोई विकल्प बाकी नहीं है जिससे उनकी जिंदगी फिर से सामान्य हो सके, लेकिन वास्तव में ऐसा बिल्कुल नहीं होता है।
बीते दिनों खबर आई कि दिल्ली कि रहने वाली एक टिकटॉक स्टार ने कथित तौर पर अवसाद से ग्रसित होकर आत्महत्या कर ली, ऐसा ही मामला कुछ दिनों पहले मुंबई में भी सामने आया था, जब बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने अपने ही घर में आत्महत्या कर ली थी। सुशांत की आत्महत्या के पीछे अवसाद को ही प्रमुख कारण बताया गया था।
अब इस दिल्ली वाले मामले में लड़की के परिचित लोगों का मानना है कि टिकटॉक पर लड़की के कई फैन थे और फिर देश में टिकटॉक के बैन होने के चलते वह डिप्रेशन में चली गई थी, जिसके बाद ही उसने यह कदम उठाया है।
सुसाइड आज देश में युवाओं की मौत का प्रमुख कारण बनकर सामने आ रही है। गौरतलब है कि सुसाइड के अधिकांश मामलों में इसके पीछे का कारण बेहद ही मामूली होता है, जिसे बातचीत के जरिये भी हल किया जा सकता था, लेकिन बजाय इसके कुछ युवा सुसाइड को ही अंतिम विकल्प मान लेते हैं और यहीं वो सबसे बड़ी और आख़िरी गलती कर बैठते हैं।
कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो सुसाइड के अधितर मामले 15 से 29 साल की आयु वर्ग से जुड़े हैं। आमतौर पर डिप्रेशन युवाओं को यह मानने पर मजबूर कर देता है कि अब उनके सामने कोई ऐसा विकल्प नहीं बचा है जिससे उनकी जिंदगी फिर से सामान्य हो सके, जबकि वास्तव में ऐसा बिल्कुल नहीं होता है।
थोड़ी सी कोशिश करके डिप्रेशन को आसानी से हराया जा सकता है। अगर आपके आस-पास कोई ऐसा शख्स है जो आपके अनुसार आपको समझता है तो आप उसके साथ अपने विचारों को खुलकर साझा करें और अगर ऐसा कोई व्यक्ति आपको नज़र नहीं आ रहा है तो आप जल्द से जल्द मनोचिकित्सक या किसी विशेषज्ञ से सलाह लें या आप हेल्पलाइन नंबर 09152987821 पर कॉल कर भी इस संबंध में मदद मांग सकते हैं।
याद रहे हम सभी की जिंदगी में कई ऐसे मौके आते हैं जब हमें विकल्पों की कमी नज़र आती है। अक्सर लोगों की नौकरियाँ चली जाती हैं या उनके किसी अपने की मृत्यु हो जाती है या व्यापार में उनका बहुत अधिक नुकसान हो जाता है या उनके रिश्तों में उथल-पुथल शुरू हो जाती है, ये सब ऐसे मौके हैं जब हम अपने आप को कमजोर महसूस करते हैं और हम चाहते हैं कि कोई हमारे साथ खड़ा हो और हमारे दुख का भी साथी बने, हमें समझे, हमें राय दे। आप ऐसे लोगों के पास जाएँ जो आपके खास हैं, जो आपके सुख-दुख के साथी हैं। उनके साथ अपने विचार साझा करें, बजाय इसके कि आप अपने ही मन में उसके परिणामों की छवि तैयार करने लगें।
हर दिन एक जैसा नहीं होता और जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए जिस मौके की तलाश आप कर रहे हैं क्या पता वो मौका आपके लिए बाहें फैलाए बस कुछ ही पल आगे खड़ा हो। अगर आप फिल्मों के थोड़े से भी शौकीन हैं तो मैं आपको फिल्म ‘परस्यूट ऑफ हैपिनेस’ देखने की सलाह देना चाहूँगा। आप उस किरदार को खुद से जोड़कर देखें, आप पाएंगे कि हम सभी की जिंदगी लगभग एक सी ही है, यहाँ एक लड़ाई है जिसे हम सभी को जीतना है, ना कि हार मानते हुए पीछे हटना है।