चेक और डिमांड ड्राफ्ट में न हों कन्फ्यूज, एक-दूसरे से अलग हैं दोनों
चेक और DD दोनों से ही किसी बैंक खाते में पैसे भेजे जा सकते हैं. DD को कुछ खास कामों के लिए ही ट्रांजेक्शन का माध्यम बनाया जाता है.
जब भी कैशलेस ट्रान्जेक्शन (Cashless Transaction) की बात होती है तो अन्य माध्यमों के साथ-साथ बैंक चेक (Bank Cheque) और डिमांड ड्राफ्ट (Demand Draft) का भी जिक्र होता है. वैसे तो ये दोनों ट्रांजेक्शन के अनजान माध्यम नहीं हैं लेकिन कुछ लोग इन दोनों में कन्फ्यूज हो जाते हैं. दरअसल चेक और डिमांड ड्राफ्ट (DD) कुछ-कुछ समान ही दिखते हैं लेकिन फिर भी दोनों एक जैसे बिल्कुल भी नहीं हैं. DD को कुछ खास कामों के लिए ही ट्रांजेक्शन का माध्यम बनाया जाता है. आइए जानते हैं कि इन दोनों में क्या अंतर है और चेक व डीडी में से किसे ज्यादा सुरक्षित माना जाता है...
चेक और DD दोनों से ही किसी बैंक खाते में पैसे भेजे जा सकते हैं. चेक के लिए चेकबुक होती है, जो ग्राहक के बैंक खाते पर जारी होती है. लेकिन DD बैंक में जाकर ही बनवाया जा सकता है. DD बनवाने के लिए ग्राहक का बैंक में खाता होना जरूरी नहीं है. ग्राहक किसी भी बैंक में जाकर इसे बनवा सकता है. जिस बैंक में आपका खाता है अगर DD वहां से ही बनवा रहे हैं तो DD के लिए पेमेंट, खाते में से कर सकते हैं. अगर किसी दूसरे बैंक से बनवा रहे हैं तो कैश में पेमेंट कर सकते हैं.
DD से केवल खाते में ही जाएंगे पैसे
जब भी आप DD के जरिए कहीं पैसे भेजते हैं तो पेमेंट DD पर उल्लिखित व्यक्ति या संस्था या संस्थान के बैंक खाते में ही होता है. बाद में संबंधित व्यक्ति या संस्था DD के पैसों को इनकैश करा सकता है. लेकिन अकाउंट पेई चेक की मदद से खाते में भी पैसा जमा कराया जा सकता है या फिर बीयरर चेक जारी किया जा सकता है, जिसे बीयरर सीधे इनकैश करा सकता है. बीयरर यानी वह शख्स, जिसके नाम पर चेक जारी किया गया है.
DD नहीं होता बाउंस
अगर चेक जारी हो चुका है और बैंक खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं है तो चेक बाउंस हो जाएगा. बैंकों में चेक बाउंस होने पर चार्जेस भी लागू रहते हैं. लेकिन DD के साथ ऐसा कोई झंझट नहीं है, DD कभी बाउंस नहीं होता. कारण DD बनवाने वाला व्यक्ति पहले ही पेमेंट कर चुका होता है.
DD है अधिक सिक्योर
अगर चेक, अकाउंट पेई न होकर बीयरर है और यह खो गया तो उसका गलत इस्तेमाल होने की आशंका रहती है. कोई भी शख्स बीयरर बनकर खोए हुए चेक को इनकैश कराने की कोशिश कर सकता है. लेकिन डिमांड ड्राफ्ट के जरिए केवल बैंक खाते में ही पैसा जाता है, इसलिए अगर यह खो या चोरी भी हो गया तो इसे इनकैश करा लिए जाने का खतरा नहीं रहता। DD खो जाने पर इसे कैंसिल कराया जा सकता है. मनी लॉन्ड्रिंग की कोशिशों को नाकाम करने के लिए रिजर्व बैंक ने 15 सितंबर 2018 से नियम लागू किया कि DD पर बायर का नाम प्रिंट होना अनिवार्य है.
बैंक DD को आमतौर पर बड़े और इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन के लिए अच्छा माना जाता है. कई एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स की फीस और कई जॉब वैकेंसी के लिए फीस पेमेंट का माध्यम DD को ही बनाया जाता है. DD को रुपये के अलावा जरूरत पड़ने पर किसी भी अन्य करेंसी में बनवाया जा सकता है.