अपने बच्चे को गोद में लेकर भाषण देने वाली इस आईएएस की तस्वीर से लोगों को क्यों दिक्कत है ?
दिव्या अय्यर कहती हैं कि मेरा मां होना मेरे आईएएस होने से कम महत्वपूर्ण नहीं है. जिस तरह मैं चौबीस घंटे एक जिलाधिकारी हूं, उसी तरह मैं चौबीस घंटे एक मां भी हूं.
पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही थी, जिसमें एक महिला अपने दो साल के छोटे बेटे को गोद में लेकर मंच पर भाषण दे रही थीं. यह महिला कोई और नहीं, बल्कि आईएएस अधिकारी और केरल के पथानामथिट्टा की जिलाधिकारी दिव्या एस. अय्यर हैं.
एक महिला जिलाधिकारी के इस तरह मंच पर अपने बच्चे को गोद में लेकर भाषण देने में कुछ भी अजीब नहीं होना चाहिए था, लेकिन जिस तरह बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं आईं, उसे देखते हुए लगता है कि मां की पूजा का दावा करने वाले इस देश की असलियत कुछ और ही है.
एक स्त्री के गोद में बच्चा देखते ही लोगों को लगने लगता है कि वह बतौर जिलाधिकारी, बतौर आईएएस अधिकारी अपना काम पूरी निष्ठा के साथ करने में सक्षम नहीं है. मंच पर भाषण देते हुए वह जिलाधिकारी और मां दोनों ही भूमिकाएं निभा रही हैं और मां की भूमिका लोगों को जिलाधिकारी की भूमिका के साथ अन्याय करती जान पड़ती है.
दरअसल उस दिन हुआ ये था कि वह अडूर में आयोजित एक फिल्म फेस्टिवल में गई हुई थीं. फेस्टिवल खत्म होने पर उन्हें एक भाषण देना था. चूंकि रविवार का दिन था तो उस कार्यक्रम में उनका तीन साल का बेटा भी साथ गया था. जब उनके भाषण देने की बारी आई और वो मंच पर पहुंची तो उनका बेटा भी दौड़कर पीछे-पीछे पहुंच गया और उन्हें पकड़कर गोदी में लेने की जिद करने लगा. बच्चे को देखकर उन्हें उसे गोद में उठा लिया और अपना भाषण देना जारी रखा.
इस तस्वीर ने सोशल मीडिया पर जो बहस खड़ी की है, उसके बारे में दिव्या कहती हैं कि वो खुश हैं कि एक फोटो के बहाने ही सही और आलोचना के सुर में ही सही, लेकिन इस बारे में बात तो हो रही है. वो पूछती हैं कि मुझे शर्मिंदा किस बात पर होना चाहिए. औरत होकर आईएएस होने पर या फिर मां होने पर. मैंने रविवार के दिन बच्चे को अपने साथ ले जाकर कुछ भी गलत नहीं किया. उसे गोद में उठाकर भाषण देना भी गलत नहीं था.
यह देखना सुखद है कि बड़ी संख्या में महिलाओं ने दिव्या अय्यर का समर्थन किया है. दिव्या कहती हैं कि ढेर सारी महिलाओं ने उस घटना के बाद मुझ बात की और विभिन्न जरियों से मुझ तक पहुंचने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि कामकाजी मां होने के नाते हम औरतों को जिन चुनौतियों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है, उसे लेकर समाज बिलकुल संवेदनशील, जिम्मेदार और सहयोगपूर्ण नहीं है.
दिव्या अय्यर कहती हैं कि मेरा मां होना मेरे आईएएस होने से कम महत्वपूर्ण नहीं है. जिस तरह मैं चौबीस घंटे एक जिलाधिकारी हूं, उसी तरह मैं चौबीस घंटे एक मां भी हूं. मेरे लिए कोई पद और जिम्मेदारी एक दूसरे से कम या ज्यादा नहीं है. दिव्या तो सोशल मीडिया पर अपने परिचय में भी लिखती हैं कि वह “मल्हार (बेटे का नाम) की मां हैं, आईएएस ऑफिसर-डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर हैं.”
क्या आपने कभी किसी नामी प्रसिद्ध मर्द को अपने परिचय में ऐसा लिखते हुए देखा है कि “वो पिता है.”
Edited by Manisha Pandey