देश के रिटेल, MSME और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में क्या हैं ई-कॉमर्स की सफलता के मायने?
IIFT की रिसर्च रिपोर्ट में यह पता चला है कि ई-कॉमर्स सेक्टर के फले-फूले बगैर देश में रिटेल और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का औसत विकास कम ही रह जाता. ई-कॉमर्स सेक्टर से रिटेल और मैन्युफैक्चिरंग सेक्टर को काफी मदद मिली है. लेकिन इसके बावजूद रिटेल MSME को उतना फायदा नहीं मिला, जितनी उम्मीद थी.
ई-कॉमर्स मेजर्स, SSI रिटेलर्स एंड द इंडियन इकनॉमी पर आधारित रिसर्च को 14 नवंबर, 2022 को जारी करने के मौके पर, अनुराग जैन, सचिव, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार) ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए बताया कि किस प्रकार टेक्नोलॉजी ने अर्थव्यवस्था को दक्ष बनाने तथा ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों को आगे बढ़ने में मदद दी है.
उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में MSME के महत्व के बारे में बोलते हुए हितधारक-उन्मुख नीतिगत हस्तक्षेपों के जरिए सरकार द्वारा संतुलन बनाए रखने की भूमिका पर भी ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि यूनीफाइड लॉजिस्टिक इंटरफेस (ULI) और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) मिलकर, ओपन नेटवर्क के जरिए ई-कॉमर्स में व्यापक रूप से बदलाव लाने के साथ-साथ ऑनलाइन प्लेटफार्मों को भी बढ़ावा दे सकते हैं.
इस मौके पर, दर्पण जैन ने कहा कि आने वाले समय में, ऑनलाइन रिटेल और अधिक बढ़ेगा तथा ऑफलाइन कारोबारों की तुलना में इसके विकास की दर भी ज्यादा होगी, जिसके पीछे कई कारण हैं, जैसे कि अधिक निवेश, इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी अड़चनें, और अनुपालन की भारी जिम्मेदारी. उन्होंने बताया कि उन्होंने जीवीसी इंटीग्रेशन में डिजिटाइज़ेशन की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है और इस रिपोर्ट में भी काफी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की गई है.
दोनों मुख्य अतिथियों ने कहा कि यह अध्ययन ऐसे में सही दिशा में बढ़ाया गया कदम है जबकि सरकार एक राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति तैयार करने की प्रक्रिया से गुजर रही है. आज के डिजिटाइज़्ड दौर में, ई-कॉर्म्स को जिस प्रकार महत्व दिया जा रहा है, उसके परिप्रेक्ष्य में अधिक प्रोडक्ट-विशिष्ट अध्ययनों को कराए जाने की जरूरत है, तथा देश में रोज़गार, जीडीपी सृजन, निर्यात और MSME के प्रदर्शन के बारे में इस चैनल के महत्व का विश्लेषण भी जरूरी है.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड द्वारा 14 नवंबर 2022 को "ई-कॉमर्स मेजर्स, एसएसआई रिटेलर्स एंड द इंडियन इकनॉमी – थ्योरी एंड एम्पायरिक्स" पर रिपोर्ट जारी करने के साथ-साथ हितधारकों के साथ परामर्श सत्र का भी आयोजन किया.
IIFT के वाइस चांसलर प्रोफे. मनोज पंत ने डिजिटाइज़ेशन के मौजूदा दौर तथा एमएसएमई द्वारा ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों के खिलाफ की जाने वाली शिकायतों के परिप्रेक्ष्य में इस अध्ययन के महत्व के विषय में अपने विचार रखे. इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि इस ऑनलाइन चैनल का भारत के रिटेल एवं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, हालांकि देश के रिटेल एमएसएमई को इससे खास लाभ नहीं मिला है, जिसका कारण (अन्य के अलावा) यह हो सकता है कि इनमें से कइयों की पहुंच समुचित डिजिटाइज़ेशन तक नहीं है, और इस मोर्चे पर नीतिगत सहायता की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि इस अध्ययन में ग्राहकों के परिप्रेक्ष्य को समुचित रूप से प्रतिनिधित्व मिला है (जबकि आमतौर से इस प्रकार के मूल्यांकनों में यह पक्ष उपेक्षित रहता है), हालांकि इस संबंध में डेटा की उपलब्धता काफी सीमित है.
IIFT द्वारा कराया गया यह अध्ययन भारतीय व्यापार संघों द्वारा ई-कॉमर्स दिग्गजों के खिलाफ की जाने वाली शिकायतों के कारणों का मूल्यांकन करने की दिशा में बढ़ाया गया पहला कदम है. सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध डेटाबेस की मदद से, लेखकों ने भारत के मैन्युफैक्चरिंग तथा रिटेल सेक्टर्स की बिक्री तथ प्रदर्शन के आईने में, लगातार बढ़ रहे ऑनलाइन कॉमर्स के प्रभाव का विश्लेषण किया. फिलहाल इस बारे में कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है कि वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद के लिए इस नए चैनल से ग्राहकों को किस प्रकार लाभ पहुंचा है और न ही प्रोडक्शन के साइड-इफेक्ट्स के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ कहा जा सकता है.
यह रिपोर्ट भारतीय अर्थव्यवस्था की 12 अन्य कंपनियों द्वारा उठाए गए मसलों पर गहराई से विचार-मंथन करने के साथ-साथ देश के ई-कॉमर्स विनियामक फ्रेमवर्क का तुलनात्मक अध्ययन करती है. इस अध्ययन से एक और बात जो सामने आयी है वह यह कि ई-कॉमर्स सिर्फ एक चैनल है, डिजिटलाइज़ेशन वह टूल है जिसकी मदद से इस चैनल पर ऑपरेशन मुमकिन होता है – और यही वह पहलू है जिसमें देश के कई एमएसएमई पिछड़े हुए हैं, और उन्हें डिजिटल वैश्विकरण के नए दौर में प्रतिस्पर्धी बनने के लिए सहायता की आवश्यकता है.
इस आयोजन में मुख्य अतिथियों के रूप में अनुराग जैन, सचिव, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार), और दर्पण जैन, सचिव, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार) उपस्थित थे. लॉन्च के बाद, हितधारकों के बीच परामर्श सत्र का आयोजन किया गया जिसमें कम्पीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया, कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज़, ICRIER, इंडिया एसएमई फोरम, MOCI, FISME के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
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