परफेक्ट हनीमून का दूसरा नाम 'HoneymoonSwami'
ब्रेकफास्ट को ना, लोकल बीयर को हां
जब नेहा और पुनीत अग्रवाल अपने हनीमून के लिए ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और सिंगापुर गए तो उन्होंने यात्रा से जुड़े कुछ ऑनलाइन इंफार्मेशन इकट्ठा किये। हनीमून पर 25 दिन बिताने के बाद वो घर लौट आए मगर वो सोच रहे थे कि प्लान को और भी बेहतर किया जा सकता था। बाद में उनका एक दोस्त हनीमून पर जाने वाला था तो पुनीत और नेहा ने उसके लिए प्लान किया। हनीमून डेस्टिनेशन से जुड़ी सूचनाओं का ही कमाल था कि दूसरे लोग भी उनके पास हनीमून प्लान के लिए आने लगे। इस तरह पुनीत ने हनीमूनस्वामी की स्थापना की।
ब्रेकफास्ट को ना, लोकल बीयर को हां
नेहा और पुनीत ने 2008 में हनीमूनस्वामी को शुरू किया. फरीदाबाद में अपने घर में ही छोटा सा ऑफिस खोला। पुनीत याद करते हैं- “हमारा इकलौता लक्ष्य ये था कि कपल्स का हनीमून प्लान परफेक्ट हो।” उन्होंने 50 हजार रुपये की पूंजी से शुरुआत की।
उस समय तक उनके पास अपने दोस्तों के हनीमून प्लान करने का 2 साल से ज्यादा का अनुभव था। उसी समय पुनीत ने अपने हनीमून के बारे में एक ब्लॉग लिखा और ये बताया कि क्यों हनीमून पर जाने वाले कपल्स के लिए कंसल्टिंग सर्विस जरूरी है। ब्लॉग काफी लोकप्रिय हो गया और बहुत सारे कपल्स उनसे पूछने लगे। पुनीत याद करते हैं- “मुझे अब भी समीर और कानू के साथ अपनी पहली मीटिंग पूरी तरह याद है। ये पहला कपल था जिसने हमारी सर्विस ली। मैं उनसे नई दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में मिला था। उन्होंने हमारे पूरे आइडिया को काफी पसंद किया, उन्हें एक परफेक्ट हनीमून इंजॉय करना था बाकि प्लानिंग वगैरह के लिए हम तो थे ही। हमने उनसे पूछा कि क्या हनीमून प्लान के लिए उनकी कोई स्पेशल रिक्वेस्ट है? उन्होंने कहा कि बस ब्रेकफास्ट को शामिल मत कीजिएगा क्योंकि वो देर से उठेंगे और तब तक ब्रेकफास्ट का टाइम निकल चुका होगा। वो एक छोटी सी बार टाइप सुविधा चाहते थे जो लोकल बीयर सर्व कर सके।” इससे उन्हें ये अंदाजा हुआ कि छोटी-छोटी बातें भी अगर सही से किया जाए तो हनीमून में चार चांद लग जाता है।
इस तरह से हनीमून पर जाने वालों के लिए अपने तरह की पहली कंसल्टिंग सर्विस का जन्म हुआ।
पुनीत बताते हैं-“HoneymoonSwami एक वन-सॉप सोल्यूशन है जहां एक्सपर्ट्स की टीम हनीमून डिजाइन, यात्रा से जुड़ी सूचनाएं, कपल्स की प्राथमिकताओं, पसंद-नापसंद के हिसाब से प्लान करने में मदद करते हैं। इस तरह कपल को हनीमून यात्रा की सारी चिंताए हम पर छोड़कर अपनी शादी को इंजॉय करने का पूरा मौका मिलता है।”
पुनीत मुख्य रूप से तीन वजह बताते हैं कि क्यों कपल्स को उनकी सर्विस लेनी चाहिए-
1) क्योंकि वो शादी में व्यस्त रहते हैं इसलिए उनके पास हनीमून प्लान करने के लिए टाइम नहीं होता।
2) वो हनीमून को लेकर सुपर एक्जाइटेड रहते हैं और इस बेहद स्पेशल ट्रिप पर कुछ गलत होने का रिस्क उठाना नहीं चाहते।
3) 95 फीसदी मामलों में कपल उन जगहों पर नहीं जाना चाहता जहां वो पहले भी जा चुके होते हैं।
HoneymoonSwami की कंसल्टिंग सर्विस में पूरी तरह से मनी बैक गारंटी की सुविधा है जो हनीमून पर जाने वालों के ट्रिप से वापसी तक वैलिड होता है।
नेट स्क्राइब रिपोर्ट के मुताबिक भारत में शादी का मार्केट करीब 3500 अरब रुपये का है। पुनीत कहते हैं- “हमारा मानना है एक कपल शादी पर होने वाले खर्चों का करीब 10-15 फीसदी हिस्सा हनीमून पर खर्च करता है। इस तरह से हनीमून मार्केट 350 अरब रुपये के आस-पास का है।”
अपने क्रेडेंशियल के बारे में बात करते हुए पुनीत चुटीले अंदाज में कहते हैं- “काश सर्टिफाइड हनीमून प्लानर नाम से कोई डिग्री रही होती।” उन्होंने अपने हॉलीडेज के दौरान यात्रा से जुड़े तमाम पहलूओं की जानकारी हासिल की। दूसरे शब्दों में कहें तो उन्होंने अपनी छुट्टियों के दौरान ही ट्रेवल एजुकेशन हासिल किया। HoneymoonSwami के अलावा वो एक और कंपनी को पिछले 13 सालों से चला रहे हैं जो जड़ी-बूटी और आयुर्वेदिक प्रोडक्ट बेचती है।
अभी हनीमूनस्वामी में नेहा और पुनीत के लोकर 6 सदस्यों की टीम है। पुनीत ये बताते हुए बहुत खुशी महसूस करते हैं कि उन्होंने एक सामान्य सी कंसल्टिंग सर्विस शुरू की मगर पहले ही दिन से वो प्रॉफिट में रहे और वो इसे आगे भी बरकरार रखना चाहते हैं।
वैसे तो कॉक्स एंड किंग्स, थॉमस कूक जैसी कई बड़ी ट्रेवल कंपनियां हैं, कुछ बूटिक ट्रेवल फर्म भी हैं जो हनीमून पैकेज ऑफर करती हैं। मगर इनमें से किसी के पास भी हनीमूनस्वामी जैसा कंसल्टिंग मॉडल नहीं है। पुनीत बता हैं- “हम हनीमून पर जाने वाले कपल्स को कंसल्टिंग सर्विस देते हैं। इससे उन्हें बेशकीमती सलाह मिलती है और वो एक क्लियर और अपने मनमाफिक प्लान पाते हैं। एक बार जब वो जब किसी जगह को प्लान कर लेते हैं तो उन्हें ये आजादी होती है कि वो हमसे बुक कराये या किसी और कंपनी से। दूसरी कंपनियां ज्यादातर प्रोडक्ट बेचने में रूचि लेती हैं ना कि सलाह देने में।”
पुनीत एक पते कि बात बताते हैं- “ज्यादातर बार हनीमून का वास्तविक खर्च पैकेज से ज्यादा होता है. लोग समझते हैं कि वो पैकेज लेकर एक अच्छा सौदा किया है मगर ये उसके उलटा होता है।”
हनीमूनस्वामी के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं. आज लोग कुछ फोन कॉल कर सकते हैं या वेब पर कुछ फॉर्म भर सकते हैं। बस इतना करने की देरी होती है कि विभिन्न ट्रेवल कंपनियों की तरफ से पैकेज, ऑफर्स से जुड़ी मेल की भरमार लग जाती है। उसके बाद यात्री यात्रा से जुड़ी सूचनाओं, जरूरी विवरण वगैरह को भूल जाता है और प्राइस की तुलना करने लगता है। इसके अलावा कपल्स अक्सर अपने दोस्तों और परिवार से किसी डेस्टिनेशन के बारे में सलाह लेते हैं जबकि उन्हें बजट का कोई अंदाजा नहीं होता। पुनीत बताते हैं- “जो चीज वो महसूस नहीं करते वो ये है कि उनके दोस्त सिर्फ एक जगह पर गए हुए होते हैं, इसलिए वो डिटेल में जानकारी नहीं दे पाते और ना ही दो जगहों की तुलना कर पाते हैं। इसके अलावा हो सकता है कि वो अलग-अलग सीजन में यात्रा किये हों, इससे बजट भी अलग होगा और वरीयताएं भी कुछ और रही होंगी. हमारे लिए ये सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है जिसे हम हल करना चाहते हैं।”