83 दिन में जियो के पांच करोड़ उपयोक्ता
पांच सितंबर को अपने परिचालन के बाद से अब तक हर मिनट 1000 और हर दिन छह लाख ग्राहक जोड़ने का कीर्तिमान बनाया है।
दूरसंचार क्षेत्र में मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली नयी कंपनी रिलायंस जियो ने तीन महीने से भी कम वक्त में पांच करोड़ उपयोक्ता जोड़े हैं। गौरतलब है कि कंपनी के पास पूरे देश में 4जी सेवाएं देने का लाइसेंस है। सूत्रों के अनुसार कंपनी ने पांच सितंबर को अपने परिचालन के बाद से अब तक हर मिनट 1000 और हर दिन छह लाख ग्राहक जोड़ने का कीर्तिमान बनाया है।
कंपनी ने बताया कि 83 दिनों में उसके उपयोक्ताओं की संख्या पांच करोड़ को पार कर गई है।
उधर दूसरी तरफ रिलायंस जियो इन्फोकॉम ने कुछ दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) में शिकायत दर्ज की है। कंपनी ने इन ऑपरेटरों पर प्रतिस्पर्धा नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली नई दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनी का कॉल कनेक्टिविटी के मुद्दे पर मौजूदा कंपनियों एयरटेल, वोडाफोन तथा आइडिया सेल्युलर से विवाद चल रहा है।मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है, कि रिलायंस जियो ने प्रतिस्पर्धा आयोग में कुछ कंपनियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। सूत्रों ने बताया कि यह शिकायत इसी महीने दर्ज की गई है। सीसीआई ने अभी इस पर कोई निर्णय नहीं किया है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज गुजरात से पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर तक बिछाई जाने वाली देश की सबसे लंबी एलपीजी पाइपलाइन का इस्तेमाल करना चाहती है। यह पाइनलाइन सरकारी क्षेत्र की कंपनी इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसी) बिछा रही है ताकि क्षेत्र में रसोई गैस की बढती मांग को पूरा करने में आसानी हो।
आईओसी ने गुजरात के कांडला में एलपीजी का आयात करके उसे इस 1987 किलोमीटर की पाइपलाइन के जरिये गोरखपुर तक पहुंचाने की योजना बनायी है। इसके रास्ते में अहमदाबाद, उज्जैन, भापाल, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी तथा लखनउ जैसे बड़े शहर पड़ेगें। पेट्रोलियम उत्पादों के खुदरा बाजार के नियामक पीएनजीआरबी को आईओसी के प्रस्ताव पर अपनी टिप्पणी में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा है कि वह इस पाइपलाइन के सेवा क्षेत्र में पड़ने वाले इलाकों में अपनी खुद की मांग को पूरा करना चाहती है और वह इस पाइपलाइन की क्षमता का खुद भी प्रयोग करना चाहती है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा कि वह अपनी एलपीजी को इस पाइपलाइन के जरिये दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचाना चाहती है। उसकी एलपीजी संभवत: गुजरात की जामनगर रिफाइनरी में उत्पादित होगी। इस पाइपलाइन की सालाना परिवन क्षमता 37.5 लाख टन एलपीजी होगी। आईओसी ने इसको बिछाने के लिए पीएनजीआरबी से अनुमति मांगी है। प्रस्ताव है कि इसकी एक चौथाई क्षमता का इस्तेमाल अन्य पक्ष भी कर सकेंगे।
रिलायंस इसके जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी पहुंचाना चाहती है।
गौरतलब है कि सरकार पर्यावरण और स्वास्थ्य के मद्देनजर ग्रामीण इलाकों में रसोईं गैस वितरण सुविधा पर विशेष बल दे रही है। रिलायंस का कहना है कि वह ग्रामीण क्षत्र के बाजार में प्रतिस्पर्धा करना चाहेगी। आरआईएल ने नियामक को लिखा है कि इस पाइपलाइन के साथ बीच बीच में आईओसी द्वारा बनी जाने वाली गैर भंडारण सुविधाओं का भी इस्तेमाल करना चाहेगी। ऐसे केंद्रों से ही गस को एलपीजी सिलेंडर भरने वाले संयंत्रों तक पहुंचाया जायेगा। इस समय गेल की जामनगर-लोनी (उत्तर प्रदेश) पाइपलाइन सबसे बड़ा नेटवर्क है। इसकी लंबाई 1415 किलो मीटर है और क्षमता 25 लाख टन एलपीजी की है।
उधर दूसरी तरफ रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट) के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की भी मंजूरी मिल गई है।
सेबी ने रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर इनविट फंड को पंजीकरण का प्रमाणपत्र दे दिया है।
बुनियादी ढांचा क्षेत्र के डेवलपरों को दीर्घावधि की परियोजनाओं के लिए पारदर्शी तरीके से कोष जुटाने को मदद देने को सेबी ने अगस्त, 2014 में इनविट की शुरुआत की थी। इससे प्रवर्तकों को अपनी पूर्ण हो चुकी परिसंपत्तियों के मौद्रिकरण में मदद मिलेगी। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर इस कोष का प्रायोजन करेगी, जो इनविट की गतिविधियों को पूरा करेगा। इससे पहले बाजार नियामक आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर, जीएमआर और एमईपी इन्फ्रास्ट्रक्चर को यह लाइसेंस दे चुका है।